बिहार वोटर लिस्ट विवाद: महुआ मोइत्रा पहुंचीं सुप्रीम कोर्ट, चुनाव आयोग के फैसले को दी चुनौती

समग्र समाचार सेवा
पटना, 6 जुलाई: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की राजनीति में मतदाता सूची संशोधन को लेकर जबरदस्त घमासान मच गया है। चुनाव आयोग के फैसले ने एक तरफ सत्तापक्ष को राहत दी है, तो दूसरी तरफ विपक्षी पार्टियां इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बता रही हैं। अब तृणमूल कांग्रेस की फायरब्रांड सांसद महुआ मोइत्रा ने इस मसले को सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा दिया है।

महुआ बोलीं- लोकतंत्र पर हमला
महुआ मोइत्रा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में दावा किया है कि चुनाव आयोग का 24 जून 2025 का आदेश संविधान के अनुच्छेद 14, 19(1)(a), 325 और 328 का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा कि वोटर लिस्ट संशोधन में नागरिकता प्रमाण दिखाने की नई शर्त लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है और इससे लाखों वोटरों के नाम लिस्ट से गायब हो सकते हैं।

पहली बार नागरिकता प्रमाण पत्र की शर्त
महुआ मोइत्रा ने कहा कि ऐसा पहली बार हो रहा है जब पुराने मतदाताओं को भी नागरिकता प्रमाण पत्र देना अनिवार्य किया गया है। महुआ का आरोप है कि इससे गरीब, ग्रामीण और हाशिए पर खड़े समुदाय के मतदाता सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।

क्या है चुनाव आयोग का फैसला?
गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए चुनाव आयोग ने 1 जुलाई से 31 जुलाई तक वोटर लिस्ट का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) कराने की घोषणा की है। इसके तहत 11 दस्तावेजों में से कोई एक अनिवार्य रूप से देना होगा। 1 अगस्त को नई लिस्ट जारी होगी और 1 सितंबर तक आपत्तियां दर्ज की जा सकेंगी।

राजनीति गरमाई
मतदाता सूची संशोधन को लेकर अब विपक्ष पूरी ताकत से हमलावर है। महुआ के सुप्रीम कोर्ट पहुंचने से यह मुद्दा और गरमाने वाला है। तेजस्वी यादव पहले ही इस आदेश को ‘मतदाता अधिकार पर हमला’ बता चुके हैं। आने वाले दिनों में यह मामला बिहार चुनाव की सियासत में बड़ा मुद्दा बनने वाला है।

 

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