बिहार वोटर लिस्ट विवाद: SIR प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 10 जुलाई: बिहार में अक्टूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) प्रक्रिया को लेकर सियासी संग्राम तेज हो गया है। विपक्षी दलों ने इसे न सिर्फ मनमाना बल्कि संविधान विरोधी करार दिया है।

SIR प्रक्रिया क्या है?

24 जून को चुनाव आयोग ने बिहार में SIR की घोषणा की थी। आयोग के मुताबिक, तेजी से बढ़ते शहरीकरण, लगातार हो रहे प्रवासन और मृतकों की कम रिपोर्टिंग के चलते यह कदम ज़रूरी था। आयोग का दावा है कि इस प्रक्रिया से वोटर लिस्ट को ज्यादा पारदर्शी बनाया जाएगा और अवैध विदेशी नागरिकों को हटाया जाएगा।

विपक्ष का तर्क और सवाल

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR), सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा समेत कई याचिकाकर्ताओं ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला बताया है। उनका कहना है कि देश में पहली बार सभी मतदाताओं से फिर से अपनी पात्रता साबित करने को कहा जा रहा है, जिससे लाखों लोगों के नाम लिस्ट से गायब हो सकते हैं।

विपक्षी नेताओं का आरोप है कि गरीब, ग्रामीण और पहचान से जुड़े दस्तावेजों की कमी वाले लोग सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। चुनाव आयोग ने हालांकि साफ किया है कि 1 अगस्त तक ड्राफ्ट लिस्ट बनेगी, आपत्तियां ली जाएंगी और हर नागरिक को सुनवाई का मौका मिलेगा।

सुप्रीम कोर्ट की निगाहें

इस पूरे मामले की सुनवाई आज सुप्रीम कोर्ट में होनी है। क्या आयोग अपनी दलीलें अदालत के सामने सही साबित कर पाएगा या फिर बिहार चुनाव से पहले ये विवाद और गहराएगा? फिलहाल राज्य की राजनीति में यह मुद्दा बड़ा सियासी हथियार बन गया है।

 

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