समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 22दिसंबर। संसद की सुरक्षा में चूक मामले पर विपक्ष लगातार आक्रमक दिखाई दे रहा है। बीते कुछ दिनों से संसद के दोनों सदनों में विपक्षी सांसदों के हंगामे के बीच बड़ी संख्या में सांसदों को निलंबित किया गया है। बीते गुरुवार से सांसदों को निलंबित करने की कार्रवाई शुरू हुई। शीतकालीन सत्र की कार्यवाही के दौरान दोनों सदनों के अबतक 146 विपक्षी सांसदों को निलंबित किया जा चुका है। जिसके बाद से संसद परिसर में विपक्षी सांसद लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। कांग्रेस ने केंद्र पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ कठोर विधेयकों को बिना चर्चा के पास करने की सत्ता पक्ष की मंशा है।
लोकसभा में ध्वनिमत से ‘पास’ हुआ विधेयक
सीईसी, निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्तियों एवं सेवा शर्तों से संबंधित विधेयक को संसद की मंजूरी मिल गई है। इस विधेयक को राज्यसभा में 12 दिसंबर को पारित किया जा चुका है, वहीं लोकसबा में इसे ध्वनिमत से पारित किया गया। मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त(नियुक्ति, सेवा शर्ते,पदावधि) विधेयक की लोकसभा में चर्चा हुई। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विपक्ष के सभी आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि यह विधेयक जो हम लाए हैं वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ नहीं हैं। इस विधेयक को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के मुताबिक लाया गया है। अनुच्छेद 324(2) के तहत सूचीबद्ध प्रावधानों के यह मुताबिक है।
विपक्ष ने लगाए गंभीर आरोप
बता दें विपक्ष का आरोप था कि यह विधेयक मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्तियों से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को दरकिनार करने के लिए लाया गया है। केंद्रीय मंत्री मेघवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल मार्च में फैसला सुनाया था कि सीईसी और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर संसद द्वारा कानून बनाए जाने तक प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति इनका चयन करेगी।
विपक्ष के सवाल क मंत्री मेघवाल ने दिया जवाब
सर्च कमेटी में पीएम को शामिल किए जाने को लेकर एक सदस्य की टिप्पणी पर केंद्रीय मंत्री मेघवाल ने कहा कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति कार्यपालिका का मामला है, ऐसे में प्रधानमंत्री का न होना उचित नहीं होगा। उन्होंने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मस्लिमीन के असदुद्दीन ओवैसी के उस आरोप का खंडन किया, जिसमें उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर का सम्मान नहीं करते हैं।
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