Birth Anniversary: स्वतंत्रता प्रत्येक मानव का अधिकार है, हम इसे छीन कर लेंगे यही मेरा प्रण है- शहीद भगत सिंह

देश के अमर शहीदों में लिया जाता है भगत सिंह का नाम

स्निग्धा श्रीवास्तव
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 28सितंबर। शहीद भगत सिंह भारत के ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे जिन्होंने देश के युवाओं में भारत मां के लिए मर-मिटने की प्रेरणा जागृत की। भगतसिंह ने अपने बहुत ही छोटे से जीवन में वैचारिक क्रांति की जो मशाल जलाई, उनके बाद अब किसी के लिए संभव न होगी।

जीवन परिचय
भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1960 को लायलपुर जिले के बंगा में हुआ था। उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह सिंधु था और माता का नाम विद्यावती था। वो 10 भाई बहन थे। उनका पैतृक गांव खटकड़ कलां है जो पंजाब में है। उनके चाचा अजीत सिंह जी स्वतंत्रता सेनानी थे।

शिक्षा
भगत सिंह जी का दाखिला दयानंद एंग्लो वैदिक हाई स्कूल में कराया था बाद में नेशनल कॉलेज BA की पढ़ाई छोड़कर भगत सिंह ने 1920 में महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन में भाग लेने लगे गांधीजी विदेशी चीजों का बहिष्कार करते थे।

आंदोलन
सन 1926 में नौजवान भारत सभा में भगत सिंह को सेक्रेटरी बना दिया गया और इसके बाद सन 1928 में उन्होंने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन को ज्वाइन किया इसे चंद्रशेखर आजाद ने बनाया था और पूरे पार्टी को एकजुट कर व्वे 30 अक्टूबर 1928 को भारत में आ गए> उन्होंने साइमन कमीशन का विरोध किया उनके साथ लाला लाजपत राय थे। वे “साइमन वापस जाओ” के नारे लगाते रहे।
8 अप्रैल 1929 भगत सिंह जी ने अपने साथी क्रांतिकारी बटुकेश्वर दत के साथ मिलकर ब्रिटिश सरकार की असेंबली में बम विस्फोट कर दिया उस बम से के केवल आवाजही होती थी और उसे खाली स्थान पर पर ही फेका गया ताकि किसी को हानि ना हो। इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाते रहे।

निधन
24 मार्च 1931 फांसी दी जानी थी। लेकिन 23 मार्च 1931 की शाम 7 बजकर 33 मिनट पर भगत सिंह और उनके साथियों सुखदेव ,राजगुरु को फांसी दे दी गई। हर साल उनके मुत्यु तिथि को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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