समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,30 नवम्बर। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने संभल में सपा डेलिगेशन को प्रवेश करने से रोके जाने पर भाजपा सरकार को निशाने पर लिया है। उन्होंने इसे सरकार की नाकामी और लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन करार दिया।
क्या है मामला?
संभल में हाल ही में जामा मस्जिद से जुड़ा विवाद गर्माया हुआ है, जिसके चलते जिला प्रशासन ने 10 दिसंबर तक जिले में बाहरी व्यक्तियों और जनप्रतिनिधियों के प्रवेश पर रोक लगा दी है। इस फैसले के तहत सपा के प्रतिनिधिमंडल को भी जिले में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई।
अखिलेश यादव का बयान
अखिलेश यादव ने इस फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए कहा, “भाजपा सरकार जनता की आवाज को दबाने का प्रयास कर रही है। प्रतिबंध लगाना उनकी नाकामी का सबूत है। यह सरकार लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों को कुचलने पर उतारू है।”
उन्होंने आगे कहा कि सपा का प्रतिनिधिमंडल शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए वहां जाना चाहता था, लेकिन सरकार ने उसे रोककर अपनी विफलता छिपाने की कोशिश की है।
सपा का उद्देश्य
सपा का प्रतिनिधिमंडल संभल में जाकर वहां की स्थिति का आकलन करना और स्थानीय जनता के साथ संवाद करना चाहता था। पार्टी ने कहा कि उनका इरादा पूरी तरह शांतिपूर्ण था और यह कदम किसी भी प्रकार की राजनीति से प्रेरित नहीं था।
भाजपा सरकार का रुख
भाजपा सरकार ने सपा पर आरोप लगाया कि वह ऐसे संवेदनशील मुद्दों को राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रही है। सरकार के मुताबिक, प्रतिबंध का उद्देश्य जिले में शांति और कानून-व्यवस्था बनाए रखना है, और किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को रोकना इसका हिस्सा है।
राजनीतिक विवाद
अखिलेश यादव के इस बयान के बाद प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई है।
- सपा का आरोप: भाजपा सरकार लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन कर रही है।
- भाजपा का पलटवार: सपा स्थिति को भड़काने का प्रयास कर रही है।
लोकतांत्रिक मूल्यों पर सवाल
अखिलेश यादव ने सवाल उठाया कि जब एक लोकतांत्रिक देश में नागरिकों और जनप्रतिनिधियों को अपनी बात रखने का अधिकार है, तो ऐसे प्रतिबंध क्यों लगाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, “यह फैसला यह दिखाता है कि सरकार खुद को जनता की नाराजगी से बचाने के लिए डर गई है।”
स्थानीय जनता की प्रतिक्रिया
संभल के स्थानीय नागरिक इस प्रतिबंध को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कुछ का मानना है कि यह कदम जरूरी है, जबकि अन्य इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर अंकुश मानते हैं।
निष्कर्ष
अखिलेश यादव का भाजपा सरकार पर हमला इस बात को दर्शाता है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में हर मुद्दा सत्ताधारी और विपक्षी दलों के बीच तकरार का कारण बन रहा है। हालांकि, संभल की स्थिति को शांति और संवेदनशीलता के साथ संभालने की जरूरत है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह विवाद राजनीतिक तौर पर किस दिशा में जाता है।
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