भाजपा नेता हिमंत बिस्व सरमा का कांग्रेस पर हमला: दलितों के प्रति पार्टी की सच्चाई उजागर

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,24 अक्टूबर। असम के मुख्यमंत्री और भाजपा नेता हिमंत बिस्व सरमा ने हाल ही में कांग्रेस पार्टी पर हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस दलितों के प्रति सच्ची प्रतिबद्धता नहीं दिखा रही है और पार्टी के अंदर दलितों का अपमान किया जा रहा है। उनका यह बयान उन समयों में आया है जब राजनीतिक दल अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए दलित समुदाय का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।

दलितों की स्थिति पर बयान

हिमंत बिस्व सरमा ने कहा, “हमने दलितों की कांग्रेस में स्थिति दिखाई है। बाहर से राहुल गांधी दिखाते हैं कि कांग्रेस पार्टी दलितों का समर्थन करती है और उन्हें बराबर के अधिकार देती है, लेकिन अंदर से दलितों का अपमान किया जाता है।” उनका यह बयान यह दर्शाता है कि भाजपा दलितों के मुद्दे को अपने राजनीतिक फायदे के लिए उपयोग कर रही है और कांग्रेस की नीतियों पर सवाल उठा रही है।

कांग्रेस की नीतियों पर सवाल

सीएम सरमा ने कांग्रेस की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि जबकि पार्टी अपने नेता राहुल गांधी के माध्यम से दलितों का समर्थन करने का दिखावा करती है, लेकिन वास्तविकता में पार्टी में दलितों के प्रति भेदभाव हो रहा है। उनका आरोप है कि कांग्रेस ने अपने भीतर के दलित नेताओं को उचित सम्मान नहीं दिया है, जिससे यह साबित होता है कि पार्टी केवल दिखावे के लिए काम कर रही है।

भाजपा की रणनीति

भाजपा ने हमेशा से यह कोशिश की है कि वे दलित समुदाय के मुद्दों को उठाकर उन्हें अपनी ओर आकर्षित करें। हिमंत बिस्व सरमा का यह बयान भी उसी रणनीति का हिस्सा है। भाजपा का मानना है कि यदि वे दलितों के प्रति अपनी सहानुभूति दिखाते हैं, तो इससे उन्हें चुनावी मैदान में फायदा होगा।

भाजपा ने दलित समुदाय के अधिकारों और कल्याण के लिए कई योजनाएं भी शुरू की हैं, जो पार्टी को दलितों के बीच एक सकारात्मक छवि बनाने में मदद कर सकती हैं।

विपक्ष की प्रतिक्रिया

हिमंत बिस्व सरमा के बयान पर कांग्रेस पार्टी ने भी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि भाजपा ने हमेशा से केवल राजनीतिक लाभ के लिए दलितों का इस्तेमाल किया है। उनका आरोप है कि भाजपा की नीतियों ने ही दलित समुदाय को और भी अधिक हाशिये पर धकेल दिया है।

निष्कर्ष

हिमंत बिस्व सरमा का कांग्रेस पर किया गया यह हमला एक बार फिर से दलित मुद्दों को राजनीतिक विमर्श में लाने का प्रयास है। यह स्पष्ट है कि दलित समुदाय को अपनी ओर खींचने के लिए सभी राजनीतिक दलों में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में कौन सा दल दलितों के अधिकारों के प्रति सच्ची प्रतिबद्धता दिखा पाता है और किसकी रणनीति सफल होती है।

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