भाजपा नेता सैयद शाहनवाज हुसैन ने ओवैसी का किया पलटवार, कहा- हमेशा विवाद पैदा करना चाहते हैं

समग्र समाचार सेवा
पटना, 10अक्टूबर। भाजपा नेता सैयद शाहनवाज हुसैन ने रविवार को एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की आबादी वाली टिप्पणी पर जबरदस्त हमला किया. उनकी आलोचना करते हुए कहा कि तेलंगाना के नेता हमेशा विवाद पैदा करना चाहते हैं.

हुसैन ने असदुद्दीन ओवैसी को ‘बयान पुरुष भी बताया. शाहनवाज हुसैन ने कम आबादी की वकालत करते हुए इसे समाज के लिए फायदेमंद बताया.

उनकी टिप्पणी एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी द्वारा आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की आलोचना करने पर आई है. ओवैसी ने भागवत को मुखातिब करते हुए कहा कि था कि भारतीय मुसलमान गर्भनिरोधक का सबसे अधिक उपयोग करते हैं.

भाजपा नेता ने जनसंख्या पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा, जितनी अधिक जनसंख्या बढ़ती है, उतनी ही बड़ी समस्या पैदा होती है. इसे ध्यान में रखा जाना चाहिए.

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा एक व्यापक जनसंख्या नीति के आह्वान के बाद वाक्य युद्ध शुरू हो गया है. भागवत ने कहा कि है कि बढ़ती आबादी बोझ न बने, बल्कि इसे एक संसाधन के रूप में इस्तेमाल किया जाए.

इसपर ओवैसी ने कहा, घबराएं मत. मुस्लिम आबादी नहीं बढ़ रही है, बल्कि गिर रही है… सबसे ज्यादा कंडोम का इस्तेमाल कौन कर रहा है? हम हैं. मोहन भागवत इस पर कुछ नहीं बोलेंगे.

ओवैसी ने आरएसएस प्रमुख पर कसा था तंज
ओवैसी ने आरएसएस प्रमुख पर तंज कसा था। उन्‍होंने कहा था कि आरएसएस को मुसलमानों की आबादी के लिए चिंता नहीं करनी चाहिए। मुसलमानों की आबादी बढ़ नहीं रही है। ओवैसी ने कहा था कि कंडोम का सबसे अधिक प्रयोग मुसलमान ही तो कर रहे हैं।

ओवैसी ने हाल ही में वायरल हुए उस वीडियो का भी जिक्र किया जिसमें पुलिस अधिकारियों ने कथित तौर पर अल्पसंख्यकों को सड़कों पर बांधकर पीटा था.

इसपर ओवैसी ने कहा, आप उन्हें पुलिस स्टेशन ले जा सकते थे. आपने उनका सम्मान छीन लिया. उन्हें सड़कों पर पीटा. ओवैसी ने कहा,133 करोड़ के देश में जहां 30 करोड़ मुसलमान हैं, एक मुसलमान की गरिमा सड़क के किनारे कुत्ते से कम है .

बता दें कि 5 अक्टूबर को आरएसएस प्रमुख ने वार्षिक दशहरा समारोह का उद्घाटन करते हुए जनसंख्या नीति को समान रूप से लागू करने पर जोर दिया था.

कहा,यह सच है कि जितनी अधिक जनसंख्या, उतना अधिक बोझ. यदि जनसंख्या का सही उपयोग किया जाता है, तो यह एक संसाधन बन जाता है. हमें यह भी विचार करना होगा कि हमारा देश 50 वर्षों के बाद कितने लोगों को खिला सकता है और उनका समर्थन कर सकता है.

जनसंख्या असंतुलन से भौगोलिक सीमाओं में परिवर्तन होता है.उन्होंने सभी जगहों पर महिलाओं को समान अधिकार देने की भी वकालत की थी.कहा था,एक महिला को मां मानना ​​अच्छा है, लेकिन उन्हें बंद दरवाजों तक सीमित रखना अच्छा नहीं है.

हर जगह निर्णय लेने के लिए महिलाओं को समान अधिकार देने की जरूरत है. वह सभी काम जो मां शक्ति कर सकती है वह पुरुष नहीं कर सकता, वे इतनी शक्ति है. इसलिए उन्हें प्रबुद्ध करना, उन्हें सशक्त बनाना और उन्हें काम करने की स्वतंत्रता देना महत्वपूर्ण है.

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