वक्फ संशोधन अधिनियम पर समर्थन के बाद भाजपा नेता का घर जलाया गया, मणिपुर के लिलोंग में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लागू

समग्र समाचार सेवा
थौबल (मणिपुर),9 अप्रैल।
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 का समर्थन करना मणिपुर के भाजपा नेता को भारी पड़ गया। रविवार शाम एक उग्र भीड़ ने भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद अस्कर अली के लिलोंग स्थित आवास को आग के हवाले कर दिया। इसके बाद स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मणिपुर सरकार ने थौबल जिले के लिलोंग विधानसभा क्षेत्र में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लागू कर दिया है।

जिला मजिस्ट्रेट ए. सुभाष सिंह ने जानकारी दी कि रविवार को लगभग 7,000 से 8,000 लोगों की भीड़ लाठियों और पत्थरों से लैस होकर लिलोंग संब्रुखोंग मामेल स्थित अली के घर पहुंची और उसे पूरी तरह से जला दिया। बताया जा रहा है कि यह हमला अली द्वारा शनिवार को सोशल मीडिया पर वक्फ संशोधन अधिनियम के समर्थन में किए गए पोस्ट के विरोध में किया गया।

थौबल के पुलिस अधीक्षक के अनुरोध पर प्रशासन ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 63 के तहत कर्फ्यू लागू किया। प्रशासन ने चेतावनी दी है कि लिलोंग और आसपास के क्षेत्रों में शांति व्यवस्था को लेकर गंभीर खतरा बना हुआ है।

रविवार को मणिपुर की घाटी में स्थित मुस्लिम-बहुल इलाकों—जैसे थौबल और इंफाल ईस्ट—में वक्फ अधिनियम के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन हुए। हजारों की संख्या में पुरुषों और महिलाओं ने इम्फाल-दीमापुर राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-2) को लिलोंग में अवरुद्ध कर दिया।

इरोंग चेसाबा और अन्य स्थानों पर प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़पें भी हुईं। हालात को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है और वरिष्ठ अधिकारी लगातार स्थिति की निगरानी कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को मंजूरी दी थी। यह विधेयक संसद में गहन बहस के बाद पारित किया गया था। अधिनियम का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता बढ़ाना, वक्फ बोर्डों और स्थानीय निकायों के बीच समन्वय मजबूत करना, और संबंधित पक्षों के अधिकारों की रक्षा करना है।

मणिपुर में पहले से ही जातीय और धार्मिक मुद्दों को लेकर संवेदनशीलता बनी हुई है। ऐसे में इस घटना ने सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। स्थानीय प्रशासन ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है, जबकि राज्य सरकार ने मामले की उच्चस्तरीय जांच के संकेत दिए हैं।

इस घटना को लेकर राजनीतिक हलकों में भी हलचल है। भाजपा ने इसे लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया है, वहीं विरोधी दलों ने सरकार पर सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने का आरोप लगाया है।

यह मामला न केवल कानून-व्यवस्था की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि धार्मिक मुद्दों पर सार्वजनिक भावना कितनी तीव्र हो सकती है। आने वाले दिनों में मणिपुर की राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता इस फैसले के प्रभाव में रह सकती है।

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