समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 29 सितंबर: भाजपा के वरिष्ठ सांसद निशिकांत दुबे ने सोमवार को पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्रा की मौत को लेकर कांग्रेस पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर पोस्ट करते हुए सवाल उठाया कि क्या कांग्रेस ने अपनी कमीशन खोरी छुपाने के लिए तत्कालीन रेल मंत्री की हत्या करवाई।
दुबे ने इस घटनाक्रम को ‘घोर कलयुग’ करार देते हुए छह बिंदुओं में विस्तार से पेश किया। उन्होंने लिखा कि भारत सरकार ने 1972-73 में एक फर्जी आयात-निर्यात लाइसेंस जारी किया था, जिसके बाद ललित नारायण मिश्रा, जो उस समय विदेश व्यापार मंत्री थे, के मंत्रालय में पैसे का लेन-देन शुरू हुआ।
भाजपा सांसद ने बताया कि उस समय महीने में 1 लाख 20 हजार रुपए का लेन-देन हुआ, जिस पर संसद में हंगामा भी हुआ और 1973 में जांच शुरू की गई। जांच के दौरान ललित नारायण मिश्रा का मंत्रालय बदलकर उन्हें रेल मंत्रालय का जिम्मा दिया गया। इसके बाद सितंबर 1974 में सीबीआई ने चार्जशीट दायर की, जिसमें फर्जी कंपनियों के जरिए पैसे के लेन-देन के आरोप सिद्ध हुए।
निशिकांत दुबे ने दावा किया कि अटल बिहारी वाजपेयी ने दिसंबर 1974 में ललित नारायण मिश्रा की गतिविधियों को उजागर किया और सबूत पेश किए। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इसी भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए 3 जनवरी 1975 को ललित नारायण मिश्रा बम विस्फोट में मारे गए।
दुबे ने कहा, “यह घटना भारतीय राजनीति का सबसे बड़ा धक्का थी और इसे घोर कलयुग कहा जा सकता है।” उन्होंने कांग्रेस पर लगातार आरोप लगाते हुए यह भी याद दिलाया कि इससे पहले उन्होंने सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार पर 2004–2014 के दौरान गरीबों से लूट और अमीरों को मालामाल करने के लिए 8 लाख करोड़ रुपए की टैक्स छूट देने का आरोप लगाया था।
भाजपा सांसद का यह बयान फिर से कांग्रेस और गांधी परिवार के खिलाफ एक नया राजनीतिक विवाद खड़ा कर सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि निशिकांत दुबे का यह आरोप आगामी संसदीय सत्र में हंगामे को और बढ़ा सकता है।
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