बीजेपी ने प्रशांत किशोर पर साधा निशाना, जन सुराज पार्टी को बताया ‘धोखाधड़ी आधारित राजनीतिक स्टार्टअप’

समग्र समाचार सेवा
पटना, 21 सितंबर: बिहार में विधानसभा चुनावी हलचल तेज होते ही सियासी हमलों का दौर और तीखा हो गया है। शनिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की बिहार इकाई ने जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर पर गंभीर आरोप लगाते हुए उनकी पार्टी को “धोखाधड़ी आधारित राजनीतिक स्टार्टअप” करार दिया।

भाजपा ने दावा किया कि प्रशांत किशोर (पीके) ने फर्जी कंपनियों के जरिए सैकड़ों करोड़ रुपये जुटाए हैं और यह राशि उनके परिवार व सहयोगियों से जुड़ी संस्थाओं में प्रवाहित की गई है।

प्रशांत किशोर पर लगे आरोप

भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी दानिश इकबाल ने कहा कि किशोर का असली मकसद बिहार की राजनीति को भ्रमित करना और अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) व महागठबंधन को फायदा पहुंचाना है।
उन्होंने सवाल उठाया कि जन सुराज पार्टी विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में शामिल दलों द्वारा शासित राज्यों से धन क्यों ले रही है।

इकबाल ने दावा किया,

  • पश्चिम बंगाल से 370 करोड़ रुपये से अधिक राशि आई है, जहां प्रशांत किशोर ने 2021 विधानसभा चुनावों में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के लिए काम किया था।
  • इसके अलावा, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों से भी बड़ी धनराशि पीके के खातों में आई है।

‘जंगलराज की वापसी की कोशिश’

भाजपा का आरोप है कि किशोर बिहार में “जंगलराज की वापसी” का रास्ता तैयार कर रहे हैं।
इकबाल ने कहा कि जन सुराज पार्टी ने 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवारों से ही 50 करोड़ रुपये से अधिक राशि इकट्ठा की है।
उन्होंने दावा किया कि किशोर की पार्टी फर्जी कंपनियों के जरिए धन जुटाकर अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को साध रही है।

सम्राट चौधरी पर विवाद के बाद जवाबी हमला

भाजपा का यह हमला उस वक्त सामने आया जब हाल ही में प्रशांत किशोर ने बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की शैक्षणिक योग्यता पर सवाल खड़े किए थे।
पार्टी ने कहा कि किशोर दूसरों पर आरोप लगाने के बजाय अपने वित्तीय स्रोतों और पारदर्शिता पर सफाई दें।

सियासी मायने

भाजपा और प्रशांत किशोर के बीच यह आरोप-प्रत्यारोप बिहार विधानसभा चुनाव से पहले के सियासी तापमान को और बढ़ा रहा है।
जहां भाजपा पीके को महागठबंधन का “छुपा सहयोगी” बता रही है, वहीं किशोर खुद को जनता की आवाज बताकर राजनीति के ‘नए विकल्प’ के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं।

 

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