BJP-RSS हमेशा से वक्फ संपत्तियों के खिलाफ रही, वक्फ एक्ट में संशोधन की खबरों पर मोदी सरकार पर भड़के ओवैसी

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 4अगस्त। केंद्र की मोदी सरकार बजट सत्र के दौरान वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन से जुड़ा बिल संसद में पेश कर सकती है। खबर है कि वक्फ बोर्ड अधिनियम में 40 से ज्यादा संशोधन किए जा सकते हैं। इन संशोधनों पर कांग्रेस फिलहाल चुप है, लेकिन कई विपक्षी दल खुलकर अपना विरोध जता रहे हैं। वक्फ बोर्ड बिल को लेकर एआईएमआईएम प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है।

वक्फ बोर्ड का सर्व होगा, तो उसका नतीजा…
ओवैसी ने न्यूज एजेंसियों के सामने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की हुकूमत वक्फ बोर्ड के अधिकार को छीनना चाहती है। भाजपा हमेशा से वक्फ बोर्ड के खिलाफ रही है, और अब वह इस बोर्ड को खत्म करना चाहते हैं। ओवैसी ने कहा, “केंद्र सरकार ने खुद ही इस विधेयक की जानकारी को मीडिया को लीक की, जबकि यह जानकारी सरकार को पहले संसद में देना चाहिए। बीजेपी अगर वक्फ बोर्ड की सर्व कराएगी, तो उसका नतीजा क्या होगा ये सब बहुत अच्छे से जानते हैं।”

भाजपा और RSS ने संपत्तियों को छीनने का इरादा रखा
मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए ओवैसी ने आगे कहा कि वक्फ बोर्ड में संशोधन वक्फ संपत्तियों को छीनने के इरादे से हैं। इस अधिनियम का असली कारण धार्मिक स्वतंत्रता को प्रभावित करना है। भाजपा और आरएसएस शुरू से ही वक्फ संपत्तियों को छीनने का इरादा रखते आई है।

क्यों उठ रही वक्फ बोर्ड में संशोधन की मांग?
आपको बता दें कि 8 दिसंबर 2023 को वक्फ बोर्ड (एक्ट) अधिनियम 1995 को निरस्त करने का निजी विधेयक राज्यसभा में पेश किया गया था। यह विधेयक यूपी से भाजपा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने पेश किया था। राज्यसभा में यह विधेयक पेश करते समय विवाद हुआ था और सदन में विधेयक पेश करने के लिए भी मतदान कराया गया था। तब विधेयक को पेश करने के समर्थन में 53, जबकि विरोध में 32 सदस्यों ने मत दिया।

विधेयक पेश करने की अनुमति मांगते हुए भाजपा सांसद ने कहा था कि ‘वक्फ बोर्ड अधिनियम 1995’ समाज में द्वेष और नफरत पैदा करता है। यह अपनी अकूत ताकत का दुरुपयोग करता है। समाज की एकता और सद्भाव को विभाजित करता है। साथ ही अपनी अकूत शक्तियों के आधार पर सरकारी, निजी संपत्तियों तथा मठ, मंदिरों पर मनमाने तरीके से कब्जा करता है।

जानें क्या है वक्फ एक्ट?
सन् 1954 में चाचा नेहरू की सरकार के समय ‘वक्फ एक्ट’ पास किया गया, जिसका मकसद वक्फ से जुड़े कामकाज को सरल बनाना और तमाम प्रावधान करना था। इस एक्ट में वक्फ की संपत्ति पर दावे से लेकर रख-रखाव तक को लेकर प्रावधान हैं। एक्ट के प्रावधानों के मुताबिक, साल 1964 में अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन केंद्रीय वक्फ परिषद का गठन हुआ। यह वक्फ बोर्डों के कामकाज के मामलों में एक तरीके से केंद्र सरकार को सलाह देती है। फिर साल 1995 में वक्फ एक्ट में बदलाव भी किया गया और हर राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में वक्फ बोर्ड बनाने की अनुमति दी गई।

ओवैसी का कड़ा विरोध
वक्फ संपत्तियों के मुद्दे पर ओवैसी का यह बयान यह दर्शाता है कि विपक्षी दल इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के खिलाफ लामबंद होने की तैयारी कर रहे हैं। ओवैसी का कहना है कि वक्फ संपत्तियों को संरक्षित रखने की बजाय, सरकार उनके अधिकारों को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवाद पर आगे क्या रुख अपनाया जाता है और संसद में इस विधेयक पर कितनी चर्चा होती है।

इस प्रकार, वक्फ एक्ट में प्रस्तावित संशोधनों को लेकर असदुद्दीन ओवैसी ने मोदी सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं और विपक्ष की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

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