बीजेपी के वरिष्ठ नेता विजय कुमार मल्होत्रा का 94 वर्ष की उम्र में निधन, राजनीति और शिक्षा जगत में रहा बड़ा योगदान
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 30 सितंबर: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और दिल्ली की राजनीति के दिग्गज विजय कुमार मल्होत्रा का मंगलवार सुबह 94 वर्ष की आयु में निधन हो गया। करीब 45 वर्षों तक राजनीति में सक्रिय रहे मल्होत्रा पांच बार सांसद और दो बार विधायक रहे। उन्हें दिल्ली बीजेपी का सबसे वरिष्ठ और सम्मानित नेता माना जाता था।
राजनीति में चमक और बड़ी जीत
मल्होत्रा की सबसे बड़ी राजनीतिक उपलब्धि 1999 के आम चुनाव में देखने को मिली, जब उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को भारी अंतर से पराजित किया।
2004 के लोकसभा चुनाव में वे दिल्ली से जीतने वाले एकमात्र बीजेपी उम्मीदवार बने, जबकि कांग्रेस ने बाकी छह सीटों पर कब्जा किया। उनका राजनीतिक करियर बेदाग छवि और ईमानदार नेतृत्व का उदाहरण माना जाता है।
भले ही नरेंद्र मोदी सरकार में उन्हें कोई पद नहीं मिला, लेकिन उन्होंने 2014 के आम चुनाव में दिल्ली बीजेपी के चुनाव अभियान की कमान संभाली और पार्टी को सभी सात सीटों पर शानदार जीत दिलाई।
मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार भी बने
26 सितम्बर 2008 को बीजेपी ने उन्हें दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया। मल्होत्रा ने ग्रेटर कैलाश सीट से जीत हासिल की, लेकिन पार्टी सत्ता में नहीं आ सकी। इसके बावजूद वे दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता बने और सक्रिय भूमिका निभाई।
पाकिस्तान से दिल्ली तक की यात्रा
3 दिसम्बर 1931 को लाहौर में जन्मे विजय कुमार मल्होत्रा एक विद्वान परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनके पिता डॉ. खजान चंद मल्होत्रा प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य थे और मां सुशीला देवी आर्य समाज की कार्यकर्ता थीं।
मल्होत्रा ने बचपन से ही शिक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। गणित में उनकी अद्भुत प्रतिभा के चलते उन्हें दो बार प्रमोशन मिला और मात्र 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने ग्रेजुएशन पूरी कर ली। बाद में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी में एम.ए. और पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। उनका शोध कवि सोहन लाल द्विवेदी पर केंद्रित था।
राजनीति और शिक्षा दोनों में योगदान
देश के विभाजन के समय मल्होत्रा ने हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुँचाने में मदद की। इसके बाद वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के संस्थापक सदस्यों में शामिल हुए।
1951 में जब भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई, तब वे दिल्ली जनसंघ के पहले सचिव बने। यही से उनकी राजनीतिक यात्रा की मजबूत नींव पड़ी।
राजनीति के साथ-साथ मल्होत्रा एक शिक्षाविद और लेखक भी रहे। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के पीजीडीएवी कॉलेज में 35 वर्षों तक हिंदी के प्रोफेसर के रूप में सेवाएं दीं। इसके अलावा वे खेल संगठनों और सांस्कृतिक संस्थाओं से भी जुड़े रहे।
विजय कुमार मल्होत्रा का निधन भारतीय राजनीति और शिक्षा जगत के लिए बड़ी क्षति है। उनकी बेदाग छवि, संगठनात्मक कौशल और समाज सेवा के प्रति समर्पण उन्हें हमेशा यादगार बनाए रखेंगे।
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