राम मंदिर का निमंत्रण ठुकराने को लेकर BJP ने विपक्ष पर साधा निशाना – पोस्टर शेयर कर बताया ‘सनानत विरोधी’
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,11 जनवरी।अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर के उद्घाटन समारोह की भव्य तैयारियां की जा रही हैं. प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में 22 जनवरी को भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. कार्यक्रम में तकरीबन 7 हजार वीआईपी गेस्ट के शामिल होने की उम्मीद की जा रही है. कांग्रेस ने हालांकि प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण ठुकरा दिया है. भारतीय जनता पार्टी ने इसे लेकर विपक्ष पर निशाना साधा और उसे ‘सनातन विरोधी’ करार दिया.
भारतीय जनता पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर कहा, ‘पहचानिए, राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के न्योते को ठुकराने वाले सनातन विरोधियों के चेहरे… BJP ने इस कैप्शन के साथ एक पोस्टर भी शेयर किया है, जिसमें ममता बनर्जी, सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, सीताराम येचुरी, अखिलेश यादव और अधीर रंजन चौधरी हैं. कांग्रेस और वाम दलों के नेताओं के अलावा, पोस्टर में उन चेहरों को शामिल किया गया है, जिन्होंने भव्य कार्यक्रम में शामिल होने के लिए स्पष्ट रूप से अनिच्छा दिखाई है.
कांग्रेस ने बतया ‘राजनीतिक परियोजना’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी को 22 जनवरी के समारोह के लिए निमंत्रण भेजा गया था, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए इसे अस्वीकार कर दिया कि यह BJP और उसके वैचारिक संरक्षक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की एक ‘राजनीतिक परियोजना’ थी. कांग्रेस ने कहा कि धर्म एक व्यक्तिगत मामला है. वामपंथी नेताओं ने पहले नकारात्मक प्रतिक्रिया भेजी थी. तृणमूल कांग्रेस ने भी साफ कर दिया है कि वे इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे. हालांकि, समाजवादी पार्टी ने हालांकि अब तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया है.
‘हिंदू धर्म की विरोधी है कांग्रेस’
भारतीय जनता पार्टी ने रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने का कांग्रेस के तीन नेताओं की तरफ से निमंत्रण ठुकराये जाने के बाद दावा किया कि इस कदम से भारत की संस्कृति और हिंदू धर्म के प्रति मुख्य विपक्षी पार्टी का स्वाभाविक विरोध उजागर हो गया है. BJP प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के प्रति अपनी ‘ईर्ष्या, द्वेष और हीन भावना’ के कारण कांग्रेस देश का विरोध करने की हद तक चली गई है और अब भगवान का भी विरोध कर रही है. उनका कहना था कि अयोध्या में राम मंदिर भारतीय परंपराओं और संस्कृति के उच्चतम मूल्यों का प्रतीक है, लेकिन कांग्रेस और समान मानसिकता वाले अन्य विपक्षी दलों के लिए कट्टरपंथी राजनीति अधिक महत्वपूर्ण है.
इकबाल अंसारी ने भी स्वीकारा न्योता
त्रिवेदी ने कहा कि मंदिर और बाबरी मस्जिद से जुड़े भूमि विवाद मामले में मुस्लिम पक्ष के वादी रहे इकबाल अंसारी को भी न्योता दिया गया था, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है, लेकिन यह कांग्रेस है, जिसने समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है. उन्होंने दावा किया कि देश के लिए ऐतिहासिक क्षणों में बाधा उत्पन्न करना मुख्य विपक्षी दल की प्रवृत्ति रही है.
कांग्रेस ने क्या कहा था?
कांग्रेस ने बुधवार को कहा था कि अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की मूर्ति के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी शामिल नहीं होंगे, क्योंकि यह BJP और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का आयोजन है तथा ‘अर्द्धनिर्मित मंदिर’ का उद्घाटन चुनावी लाभ के लिए किया जा रहा है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में यह भी कहा था कि भगवान राम की पूजा-अर्चना करोड़ों भारतीय करते हैं तथा धर्म मनुष्य का व्यक्तिगत विषय है, लेकिन BJP और RSS ने चुनावी लाभ के लिए अयोध्या के राम मंदिर को एक ‘राजनीतिक परियोजना’ बना दिया है.
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