नेहरू की भूल पर प्रधानमंत्री मोदी को दोष देना: कांग्रेस का राजनीतिक प्रपंच

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,6 जनवरी।
कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर से इतिहास को तोड़-मरोड़कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाए हैं। पार्टी ने चीनी क्षेत्रीय विस्तार और भारतीय भूभाग पर कब्जे को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर सवाल उठाए हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि चीन द्वारा भारत के भूभाग पर कब्जा जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान हुआ था।

नेहरू के कार्यकाल में चीन का भारतीय भूभाग पर कब्जा

कांग्रेस पार्टी द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन करते हुए यह साफ है कि चीन ने भारतीय क्षेत्र, विशेष रूप से अक्साई चिन, पर कब्जा नेहरू के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान किया।

अक्साई चिन और चीन के नए काउंटियों की सच्चाई

चीन द्वारा हाल ही में घोषित नए काउंटियों की सच्चाई इस प्रकार है:

  • हे’आन काउंटी: यह अक्साई चिन का नया नाम है, जिसे चीन ने 1962 से पहले ही कब्जा लिया था।
  • हेकांग काउंटी: यह अक्साई चिन के आसपास का क्षेत्र है।

गौरतलब है कि जी219 हाइवे, जिसे चीन ने औपचारिक रूप से 1957 में खोला, अक्साई चिन से होकर गुजरता है। नेहरू ने स्वयं 1959 में संसद में इस हाइवे के निर्माण को स्वीकार किया था।

हे’आन काउंटी के प्रमुख स्थान:

  • हाजी लंगर: 1959 में चीन द्वारा कब्जा; भारतीय गश्ती दल को 1958 में यहां हिरासत में लिया गया।
  • किजिल जिल्गा: 1962 में चीन द्वारा कब्जा।
  • चुंग ताश: 1962 में चीन ने इसे अपने नियंत्रण में लिया।
  • देहरा कंपास: 1961 में चीन ने इसे कब्जा किया।
  • शामल लुंगपा: अक्टूबर 1959 में चीन ने इसे कब्जा किया, जहां भारतीय गश्ती दल पर हमला हुआ था।

कांग्रेस के आरोप और वास्तविकता

कांग्रेस पार्टी प्रधानमंत्री मोदी को “नेहरू की भूलों” के लिए दोषी ठहराने की कोशिश कर रही है। लेकिन तथ्य यह है कि नेहरू के गलत निर्णयों और कमजोर विदेश नीति के कारण चीन ने भारतीय भूभाग पर कब्जा किया। यह प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल का नहीं, बल्कि नेहरू युग की नीतियों का परिणाम है।

कांग्रेस का दोहरा रवैया

कांग्रेस न केवल ऐतिहासिक सच्चाई को छिपाने की कोशिश कर रही है, बल्कि चीनी कब्जे के मुद्दे पर जनता को गुमराह भी कर रही है। पार्टी के नेता राहुल गांधी बार-बार प्रधानमंत्री मोदी पर झूठे आरोप लगाकर सच्चाई को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे हैं।

निष्कर्ष

कांग्रेस का यह रवैया न केवल उनकी राजनीतिक कमजोरी को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि पार्टी अपनी ऐतिहासिक विफलताओं को स्वीकारने के बजाय दूसरों पर दोष मढ़ने में व्यस्त है। देश को नेहरू की नीतियों का सच पता है, और जनता ऐसे झूठे आरोपों को समझती है।

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