गिरीश पाण्डे
देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले महान क्रान्तिकारी शहीद अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ जी की जयंती (जन्म 22 अक्टूबर, 1900) पर उन्हें नमन , श्रद्धांजली ।
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“दिलवाओ हमें फाँसी, ऐलान से कहते हैं, खूं से ही हम शहीदों के, फ़ौज बना देंगे !” – अशफ़ाक़
और उनकी एक कविता है –
“जाऊँगा खाली हाथ मगर
ये दर्द साथ ही जायेगा,
जाने किस दिन हिन्दोस्तान
आज़ाद वतन कहलायेगा?
बिस्मिल हिन्दू हैं कहते हैं
“फिर आऊँगा,फिर आऊँगा,
फिर आकर के ऐ भारत माँ
तुझको आज़ाद कराऊँगा”.
जी करता है मैं भी कह दूँ
पर मजहब से बंध जाता हूँ,
मैं मुसलमान हूँ
पुनर्जन्म की बात
नहीं कर पाता हूँ;
हाँ खुदा अगर मिल गया
कहीं अपनी झोली फैला दूँगा,
और जन्नत के बदले
उससे एक पुनर्जन्म ही माँगूंगा.“
अशफ़ाक उल्ला ख़ाँ
जन्म – 22 अक्टूबर 1900
मृत्यु /शहीद – 19 दिसम्बर 1927
फांसी (फ़ैजाबाद जेल)
देश की गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए हंसते-हंसते फांसी का फंदा चूमने वाले अशफाक उल्ला खान जंग-ए-आजादी के महानायक थे। हिंदुस्तान रिपब्लिकन असोसिएशन के अमर फ़ौजी, काकोरी कांड के शहीद अशफाक शहीद बिस्मिल के अनन्य मित्र और हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रतीक पुरुष थे।
19 दिसंबर, 1927 को जालिम अंग्रेजों ने चार नौजवान क्रांतिकारियो में से तीन – राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, राजेंद्र नाथ लाहिड़ी तथा 17 दिसंबर को रोशन सिंह को फांसी पर लटका दिया था। काकोरी के शहीदों के महत्वपूर्ण होने की एक वजह यह थी कि आज़ादी के आंदोलन के दौरान अंग्रेज जो फूट डालो और राज करो की नीति अपना रहे थे और लगातार जो तमाम संप्रदायिक दंगे भड़काने की कोशिश कर रहे थे, इन शहीदों ने अंग्रेजों की इन सभी नीतियों को नाकाम करते हुए हिंदू और मुस्लिम एकता स्थापित को स्थापित किया।
चौरी-चौरा कांड के बाद जब गाँधी जी ने असयोग आंदोलन वापस ले लिया था, तो तमाम युवाओं ने क्रन्तिकारी संगठनों के साथ मिलकर क्रान्तिकारी दल ‘हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ का गठन किया। अशफ़ाक़ इस दल के सिपाही बने।
आज जब देश में साम्प्रदायिक उन्माद शीर्ष पर है, देश देशी-विदेशी पूँजीपतियों की लूट का अड्डा बना दिया गया है, आम जन की तबाही बर्बादी बढ़ती जा रही है तब काकोरी के इन शहीदों को याद करने की ज़रूरत और ज्यादा हो गई है। इनके विचारों से प्रेरणा लेकर इनके अधूरे कामों को पूरा करने के लिये इस अमानवीय व्यवस्था के ख़िलाफ़ संघर्ष तेज करने की ज़रूरत है।
काकोरी कांड के सहनायक,हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रतीक #अशफाकउल्लाखान की #जयंती पर #कोटिशःनमन_🙏🙏
उनकी ही ग़ज़ल है-
“कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएँगे,
आज़ाद ही हो लेंगे, या सर ही कटा देंगे।
हटने के नहीं पीछे, डर कर कभी जुल्मों से,
तुम हाथ उठाओगे, हम पैर बढ़ा देंगे।
बेशस्त्र नहीं है हम, बल है हमें चरखे का,
चरखे से जमीं को हम, ता चर्ख गुँजा देंगे।
परवा नहीं कुछ दम की, गम की नहीं, मातम
की, है जान हथेली पर, एक दम में गवाँ देंगे।
उफ़ तक भी जुबां से हम हरगिज न निकालेंगे,
तलवार उठाओ तुम, हम सर को झुका देंगे।
सीखा है नया हमने लड़ने का यह तरीका,
चलवाओ गन मशीनें, हम सीना अड़ा देंगे।
दिलवाओ हमें फाँसी, ऐलान से कहते हैं,
खूं से ही हम शहीदों के, फ़ौज बना देंगे।
मुसाफ़िर जो अंडमान के तूने बनाए ज़ालिम,
आज़ाद ही होने पर, हम उनको बुला लेंगे।”
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-अशफ़ाक उल्ला खाँ
तो आइए स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिदूत , मां भारती के वीर सपूत , अमर शहीद -अशफ़ाक उल्ला खाँ की जयंती के दिवस पर अपने अंतस्तल से ये प्रतिज्ञा करें, प्रण करें और व्रत लें कि स्वतंत्रता आंदोलन के तपस्वियों और शहीदों के सपनों के अनुसार देश चलाने तथा उन सपनों को तपस्या भाव से पूरा करेंगे
हमें अपने व्यक्तिगत तथा सामूहिक कार्यों में सतत यह प्रयास करेंगे कि देश वैसा ही ख़ुशहाल हो जाए जैसा आज़ाद तथा अन्य बलिदानी चाहते थे ।
उन सपनों को पूरा करने के लिए अच्छे ईमानदार संवेदनशील लोगों को व्यवस्था में आने की ज़रूरत हैं।
कृपया देश को सही दिशा में ले चलने तथा लोक नीति अपनाएँ तथा कार्य योजना बनायें ताकि सब मिलजुल कर इस बात अमल करें .
यही हमारी उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी ।
1.मात्र शहीदों को श्र्द्धांजलि देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री नहीं मान लेंगे बल्कि उनके सपनों को पूरा करने के लिए जी जान से लग जाएँगे ।
2.भगीरथ बन कर उनके सपनों की गंगा , संविधान गंगा को जन जन तक ले जाएँगे ,
3.हर चुनाव में , चाहे वह लोकसभा , विधान सभा , नगर निकायों या गाँव पंचायतों का हो , अच्छे , चरित्रवान , ईमानदार , संवेदनशील लोगों को ही प्रत्याशी बनाने के लिए उत्साहित करेंगे और जिताएँगे ।
शहीदों के सपनों को पूरा करने वालों को जिताएँगे न कि पैसे , शराब ,जाति , धर्म , बाहुबल , अति प्रचार , मीडिया में बड़े बड़े विज्ञापन और प्रचार , भौकाल बनाने या जिताऊपन के आधार पर ।
और अंत में –
अच्छे और संवेदनशील व्यक्ति को चुनकर अपना प्रतिनिधि बनाएँ.
आओ हम सब मिल जुल-कर शहीदों के सपनों को साकार कराएँ।
(गिरीश पाण्डे -सुविख्यात लेखक ,कवि .सामाजिक चिंतक और IRS के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी हैं)
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