BrahMos: भारतीय ‘ब्रह्मास्त्र’ को जल्द मिलेगा दूसरा खरीदार, चीन के एक और ‘दुश्मन’ से डील तय!

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,30 दिसंबर।
भारत द्वारा विकसित सुपरसोनिक मिसाइल प्रणाली BrahMos ने न केवल भारतीय रक्षा प्रणाली को मजबूत किया है, बल्कि अब यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी छाप छोड़ रही है। फिलीपींस के बाद, अब चीन के एक और पड़ोसी देश के साथ इस मिसाइल की खरीद को लेकर बातचीत अंतिम चरण में है। यह डील न केवल भारत के रक्षा निर्यात को बढ़ावा देगी, बल्कि एशिया में शक्ति संतुलन पर भी असर डालेगी।

BrahMos: भारतीय मिसाइल प्रणाली का गौरव

ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस के संयुक्त सहयोग का परिणाम है। यह दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में से एक है, जिसकी अधिकतम रफ्तार 3 मैक (ध्वनि की गति का तीन गुना) है। यह मिसाइल जमीन, समुद्र और हवा से लॉन्च की जा सकती है और इसमें दुश्मन के ठिकानों को सटीकता के साथ निशाना बनाने की अद्वितीय क्षमता है।

फिलीपींस के बाद नया खरीदार कौन?

फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस मिसाइल की डील भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी। अब खबरें हैं कि वियतनाम, जो चीन के साथ लगातार सीमा विवादों में उलझा हुआ है, ब्रह्मोस खरीदने की तैयारी कर रहा है।
वियतनाम के लिए ब्रह्मोस मिसाइल एक महत्वपूर्ण रणनीतिक हथियार साबित हो सकती है, खासकर दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता के खिलाफ।

भारत और वियतनाम के रक्षा संबंधों में मजबूती

भारत और वियतनाम के बीच रक्षा सहयोग लगातार मजबूत हो रहा है। वियतनाम ने पहले से ही भारत के साथ विभिन्न रक्षा उपकरणों की खरीद और प्रशिक्षण समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। ब्रह्मोस मिसाइल की डील इन संबंधों को और गहरा करेगी और वियतनाम को चीन के खिलाफ अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने में मदद करेगी।

चीन के लिए बढ़ती चुनौती

फिलीपींस और वियतनाम, दोनों ही दक्षिण चीन सागर में चीन की विस्तारवादी नीतियों के खिलाफ खड़े हैं। ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली की तैनाती से इन देशों की सामरिक स्थिति मजबूत होगी और चीन पर दबाव बढ़ेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रह्मोस जैसे शक्तिशाली हथियारों की खरीद चीन के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि एशिया के छोटे देश उसकी आक्रामकता को अब बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं।

भारत के लिए क्या हैं फायदे?

  1. रक्षा निर्यात में बढ़ोतरी: ब्रह्मोस मिसाइल की बिक्री भारत के रक्षा निर्यात को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी।
  2. सॉफ्ट पावर में इजाफा: भारत अपने पड़ोसियों और अन्य देशों के लिए एक विश्वसनीय रक्षा सहयोगी के रूप में उभर रहा है।
  3. चीन पर रणनीतिक बढ़त: चीन के पड़ोसियों को सशक्त बनाकर भारत अप्रत्यक्ष रूप से अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी पर दबाव डाल सकता है।

भविष्य की संभावनाएं

ब्रह्मोस मिसाइल की बढ़ती मांग को देखते हुए, भारत आने वाले वर्षों में इसके नए संस्करणों को विकसित करने और अधिक देशों को निर्यात करने की योजना बना रहा है। ऐसे में यह मिसाइल भारत को न केवल एक मजबूत रक्षा शक्ति बल्कि एक महत्वपूर्ण रक्षा निर्यातक के रूप में स्थापित करेगी।

निष्कर्ष

ब्रह्मोस मिसाइल भारत के वैज्ञानिक और रक्षा क्षेत्र की क्षमता का प्रतीक है। वियतनाम के साथ संभावित डील न केवल भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत करेगी, बल्कि एशिया में शक्ति संतुलन को भी प्रभावित करेगी। यह चीन के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि भारत और उसके सहयोगी देश किसी भी आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए तैयार हैं।

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