मुंबई: देश की अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बड़ा कदम उठाया है! आज घोषित की गई मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट को 25 बेसिस प्वाइंट घटाकर 6% कर दिया गया है। यह फैसला आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा और मौद्रिक नीति समिति (MPC) के सभी छह सदस्यों की एकमत सहमति के बाद लिया गया।
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर RBI, बैंकों को कर्ज देता है। इस कटौती का सीधा असर आम आदमी पर पड़ेगा —
होम लोन, ऑटो लोन, पर्सनल लोन होंगे और सस्ते
उद्योगों को मिलेगा सस्ता कर्ज
निवेश और खपत में आएगी तेजी
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, “ब्याज दरों में कमी से निजी उपभोग को बल मिलेगा और उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा। इससे न केवल GDP बढ़ेगी, बल्कि रोजगार और पूंजी निवेश में भी तेजी आएगी।”
मल्होत्रा ने यह भी जोड़ा कि महंगाई दर 4% के लक्ष्य के करीब है, ऐसे में ‘मौद्रिक ढील’ देना वक्त की मांग है।
RBI के डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव ने चेतावनी दी कि दुनिया भर में आर्थिक अनिश्चितता बनी हुई है। “हमें अलर्ट रहना होगा ताकि हम विकास और महंगाई के बीच संतुलन बनाए रख सकें।”
वहीं, कार्यकारी निदेशक राजीव रंजन ने कहा, “देश की विकास दर फिलहाल अपेक्षा से कम है, ऐसे में RBI की जिम्मेदारी है कि वह आर्थिक इंजन को ईंधन देती रहे।”
सरकार द्वारा नामित MPC सदस्य डॉ. नागेश कुमार ने चीनी माल की डंपिंग पर चिंता जताई और देशी उद्योगों की रक्षा के लिए ठोस नीतियों की मांग की। सौगत भट्टाचार्य और राम सिंह ने भी इस दिशा में आक्रामक रणनीति की जरूरत बताई।
RBI की अगली मौद्रिक नीति बैठक 4 से 6 जून, 2025 को होगी, जहां फिर से ब्याज दरों और आर्थिक नीतियों पर मंथन होगा। अगर महंगाई काबू में रही, तो रेपो रेट में और कटौती की उम्मीद की जा सकती है।
रेपो रेट 6% — यानी भारत में लोन लेना हुआ और आसान!
अब सरकार और आरबीआई मिलकर Post-Covid आर्थिक रफ्तार को पटरी पर लाने के लिए तैयार हैं। सस्ते कर्ज, बढ़ते निवेश, और उपभोग में तेजी के साथ देश अगले वित्त वर्ष में 8% से ऊपर की ग्रोथ की उम्मीद कर रहा है।
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