समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 23 जून: यूएस-ईरानी तनाव के बीच सोमवार को वैश्विक तेल बाजार में उथल-पुथल मची। ब्रेंट क्रूड 78.93 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचते हुए जनवरी के बाद सबसे ऊँचे स्तर पर पहुँचा, जबकि WTI 75.73 डॉलर पर बंद हुआ। ये दोनों इंडेक्स लगभग 2.5 प्रतिशत की छलाँग मारकर बंद हुए।
होर्मुज जलडमरूमध्य बंद की धमकी – आपूर्ति संकट की वजह
ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की चेतावनी दी है — वह मार्ग जो विश्व क्रूड उत्पादन का करीब 20 प्रतिशत सप्लाई करता है। इस खतरे ने मध्य-पूर्व की आपूर्ति चिंताओं को बढ़ा दिया, जिससे तेल की कीमतों में तत्काल बढ़त देखी गई।
भंडार में बड़ी गिरावट – ईआईए डेटा
यूएस एनर्जी इंफोर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन (EIA) के आंकड़ों के अनुसार पिछले सप्ताह अमेरिकी कच्चे तेल के स्टॉक में अनुमानित 2.3 मिलियन बैरल की जगह 11.5 मिलियन बैरल की गिरावट दर्ज की गई। इस घटाव ने भी कीमतों में तेजी को बढ़ावा दिया।
मार्केट एनालिस्ट का नजरिया
मेहता इक्विटीज के राहुल कलंत्री ने बताया कि ब्रेंट फ्यूचर को 74.20‑73.40 डॉलर पर समर्थन और 75.65‑76.20 डॉलर पर प्रतिरोध का मुकाबला करते देखा जा रहा है। दूसरी ओर, भारतीय पैसे में यह सपोर्ट 6,320‑6,400 रुपए और प्रतिरोध 6,580‑6,690 रुपए के बीच दिख रहा है।
चीन-ईरान को सबसे बुरा असर – विशेषज्ञों की राय
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के V.K. विजयकुमार ने कहा कि होर्मुज बंद होने की सबसे नकारात्मक प्रतिक्रिया ईरान और चीन को होगी क्योंकि उनका व्यापार इस मार्ग पर निर्भर है। भारत पर इसका असर अपेक्षाकृत कम है क्योंकि उसने अपनी सप्लाई चैन को विविध किया है।
भारत को आपूर्ति में गारंटी – मंत्री पुरी का बयान
रक्षा और पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आश्वस्त किया कि भारत की तेल सप्लाई विविध हो चुकी है। उन्होंने कहा:
“हम होर्मुज के जोखिम को ध्यान में रखते हुए कई स्रोतों से तेल खरीद रहे हैं; स्थिति पर हमारी नजर है।”
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