समग्र समाचार सेवा
तिरुवनंतपुरम, केरल, 15 जून: शनिवार देर रात केरल के तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ब्रिटिश नेवी के एक अत्याधुनिक F-35 फाइटर जेट की इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई। यह लैंडिंग उस समय की गई जब पायलट को हवा में फ्यूल की कमी का संकेत मिला और हादसे की आशंका के चलते उसने तत्काल नजदीकी एयरस्पेस से लैंडिंग की अनुमति मांगी।
तिरुवनंतपुरम बना सुरक्षित विकल्प
सूत्रों के अनुसार, फाइटर जेट को किसी अन्य निर्धारित स्थान पर फ्यूल लेने की योजना थी, लेकिन खराब मौसम के चलते वहां लैंडिंग संभव नहीं हो पाई। ऐसे में केरल का तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट, जो सबसे नजदीक था, आपातकालीन लैंडिंग के लिए चुना गया।
शनिवार रात लैंडिंग के बाद से जेट अभी भी हवाई अड्डे पर खड़ा है। भारत सरकार से ईंधन भरवाने के लिए जरूरी अनुमति मिलने का इंतजार किया जा रहा है।
HMS प्रिंस ऑफ वेल्स का हिस्सा है यह फाइटर जेट
यह F-35 फाइटर जेट ब्रिटिश नेवी के एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स कैरियर स्ट्राइक ग्रुप का हिस्सा है, जो इस समय हिंद-प्रशांत क्षेत्र में तैनात है। हाल ही में इस ग्रुप ने भारतीय नौसेना के साथ एक साझा सैन्य अभ्यास भी पूरा किया है।
F-35 की खासियत: दुश्मन की पकड़ से बाहर
F-35 को दुनिया का सबसे खतरनाक और एडवांस स्टील्थ तकनीक वाला फाइटर जेट माना जाता है। यह पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है जो न केवल छोटी और मध्यम दूरी की मिसाइलों से लैस होता है, बल्कि इसकी स्टील्थ क्षमता के चलते दुश्मन के रडार तक इसे पकड़ नहीं पाते।
यह विमान बहु-भूमिकाओं में सक्षम है—जैसे एयर टु एयर कॉम्बैट, ग्राउंड अटैक और खुफिया निगरानी। यही कारण है कि यह यूके और नाटो सेनाओं की रीढ़ बन चुका है।
भारत-ब्रिटेन रक्षा सहयोग का प्रतीक
F-35 की भारत में लैंडिंग, भले ही आकस्मिक हो, लेकिन यह भारत-ब्रिटेन के गहराते सैन्य और रणनीतिक संबंधों का संकेत भी देती है। दोनों देशों ने हाल के वर्षों में इंडो-पैसिफिक में रणनीतिक भागीदारी को मजबूती देने के लिए कई संयुक्त अभ्यास किए हैं।
हाई अलर्ट पर एयर ट्रैफिक, पर स्थिति नियंत्रण में
हालांकि इस इमरजेंसी लैंडिंग ने हवाई यातायात को कुछ समय के लिए प्रभावित किया, लेकिन एयरपोर्ट अथॉरिटी और सुरक्षा एजेंसियों की तत्परता से स्थिति जल्द ही सामान्य कर दी गई। इस घटना से यह भी साफ हुआ कि भारत की हवाई अवसंरचना किसी भी वैश्विक रक्षा स्थिति को संभालने में सक्षम है।
अब नजरें इस बात पर टिकी हैं कि ब्रिटिश फाइटर जेट को कब ईंधन भरवाने की अनुमति मिलती है और यह कब अपने मिशन पर दोबारा रवाना होगा।
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