स्विट्जरलैंड में बुर्के पर प्रतिबंध, तुर्की, फ्रांस, श्रीलंका, यूरोप विश्व की वो जगहें, जहां हिजाब पहनना गैरकानूनी
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 9 फरवरी। भारत के कर्नाटक में इन दिनों हिजाब को लेकर फसाद मचा हुआ है और कर्नाटक में ऐसा सियासी पारा चढ़ा हुआ है, जिसकी लपेट में पूरा हिंदुस्तान है। हिजाब पहनना चाहिए या नहीं, इसको लेकर भारत में भारी बहस जारी है और पहनने की आजादी या ‘तालिबानी रिवाज’ इन बहसों के बीच सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि कई और देशों में भी हिजाब को लेकर बहसबाजी जारी है। ऐसी बहस ना तो नई है और न ही भारत तक सीमित है। कई देशों, विशेष रूप से मध्य पूर्व में, विशेष रूप से महिलाओं के लिए ड्रेसिंग के लिए कई नियम हैं।
स्विट्जरलैंड में बुर्का पहनने पर है प्रतिबंध
अपनी पसंद का कपड़ा पहनना किसी भी व्यक्ति का निजी अधिकार है। लेकिन बुर्का पहनने को लेकर दुनिया के कई देशों में समय-समय पर विवाद होता रहा है। काफी विवाद के बाद स्वीट्जरलैंड में बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। स्वीट्जरलैंड सरकार ने भारी विरोध के बावजूद एक बड़ा फैसला लेते हुए सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का या नकाब पहनना बैन कर दिया है।
श्रीलंका में क्या है स्थिती
नए कानून के अनुसार, महिलाएं अपना चेहरा ढंककर सार्वजनिक स्थानों, रेस्टोरेंट, स्टेडियम, पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम और सड़क पर नहीं चल पाएंगी। हालांकि, धार्मिक स्थलों में, स्वास्थ्य और सुरक्षा कारणों के कारण चेहरा ढंकने की इजाजत है। इसके अलावा कोरोना महामारी से बचाव के लिए भी चेहरा ढंकने पर छूट होगी।
तुर्की में हिजाब पर संघर्ष
हिजाब और बुर्का के खिलाफ अभियान कम से कम एक सदी पुराना है। और तुर्की के नेता कमाल पाशा हिजाब और नकाब के बहुत बड़े विरोधी थे। उन्होंने तुर्की में हिजाब, नकाब और बुर्का के खिलाफ बहुत बड़ा आंदोलन चलाया था और आज तुर्की में कुछ ही महिलाएं नकाब और हिजाब पहनती हैं। कमल पाशा को आधुनिक तुर्की राष्ट्र के पिता के तौर पर संबोधित किया जाता है। ये कमल पाशा का ही कमाल था, कि आज तुर्की में महिलाएं पश्चिमी देशों से भी आधुनिका लिबास पहनती हैं और तुर्की की फिल्मों में एक्ट्रेस ऐसी ऐसी ड्रेस पहनती हैं, जो शायद पश्चिमी देशों से भी ज्यादा खुला होता है। कमाल पाशा ने बकायदा सरकारी दफ्तरों में हिजाब और नकाब पहनने पर पाबंदी लगा दिया था और इसके लिए बकायदा तुर्की में कानून बनाया गया था, जिसे 2014 में राष्ट्रपति एर्दोआन ने कट्टर इस्लाम को बढ़ावा देते हुए खत्म किया है।
फ्रांस में बुर्का-हिजाब पर पाबंदी
एक तरफ तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन फिर से नकाब और हिजाब को लाने की कोशिश में लगे हुए हैं, तो दूसरी तरफ यूरोपीय देशों में हिजाब और नकाब पहनने पर पाबंदियां लगाने को लेकर बात चल रही है। फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी सरकार ने काफी मशक्कत के बाद आखिरकार साल 2010-11 में कानून के माध्यम से इस्लामी बुरका और नकाब पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला यूरोपीय देश बन गया। फ्रांस में बुरका और नकाब पर प्रतिबंध लगाने के बाद प्रदर्शन किए गये थे, जिसमें करीब 1500 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। वहीं, हेडस्कर्स समेत धार्मिक कपड़ों को 2004 से फ्रांसीसी स्कूलों में प्रतिबंधित कर दिया गया है। फ्रांस में कानून कहता है “किसी को भी सार्वजनिक रूप से कपड़े पहनने की अनुमति नहीं है जो उन्हें अपने चेहरे को कवर करने की अनुमति देता है”।
बाकी यूरोपीय देशों की स्थिति
विश्व पर्यटन के लिए प्रसिद्ध यूरोपीय देश स्विट्जरलैंड यूरोप में पिछले साल इस्लामी पर्दाप्रथा पर प्रतिबंध लगाने वाला लेटेस्ट देश बन गया है। वहीं, नीदरलैंड में यदि आप किसी भी प्रकार के कपड़े से अपना चेहरा ढंकते हैं, तो फिर आपको 150 यूरो यानि करीब 13 हजार रुपये जुर्माना देना होगा। नीदरलैंड में प्रतिबंध ना सिर्फ नकाब पर है, बल्कि बुर्का और हिजाब पर भी प्रतिबंध लागू है। वहीं, यूनाइटेड किंगडम में चेहरे को कवर करने वाले किसी भी तरह का कपड़ा पहनकर स्कूल जाना प्रतिबंधित है। वहीं, जर्मनी न्यायाधीशों और सैनिकों सहित स्कूलों में या सिविल सेवकों को किसी भी तरह का नकाब, हिजाब या फिर बुर्का पहनने की इजाजत नहीं देता है। वहीं, स्वीडन के स्कूलों में भी किसी भी तरह का नकाब पहनना सख्त मना है। वहीं, डेनमार्क, बुल्गारिया और ऑस्ट्रिया ने भी सार्वजनिक स्थानों पर चेहरे को कवर करने वाले कपड़ों पर प्रतिबंध लगा दिया है। वहीं, ऑस्ट्रिया में भी बुर्के को लेकर कानून है।
क्या भारत में भी कानून है?
भारत में, क्या पहनना है और कैसे पहनना है व्यक्तिगत स्वतंत्रता और संविधान के तहत स्वतंत्रता की गारंटी के मामले हैं। भारत में बुर्का, नकाब या फिर हिजाब पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। भारत में कपड़े पहनने की स्वतंत्रता को लेकर भारतीय संविधान या भारतीय दंड संहिता में परिभाषित नहीं किया गया है।
क्या होता है हिजाब?
हिजाब एक पारंपरिक इस्लामी हेडस्कार्फ है, जो सिर और बालों को ढंकता है, लेकिन चेहरा नहीं। वहीं, बुर्का चेहरे को कवर करता है, और एक ही परिधान शरीर के बाकी हिस्सों को भी कवर कर सकता है। हिजाब और बुर्का हाल ही में अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा करने वाले तालिबान ने भी लागू कर दिया है, जिसका अफगानिस्तान में काफी विरोध किया जा रहा है। तालिबान राज में हिजाब, बुर्का, अबाया (पूर्ण-लंबाई परिधान) या नकाब (चेहरे को कवर करने के लिए कपड़े) या परिवार के बाहर पुरुषों के बाहर पुरुषों के लिए अनिवार्य किया गया है। जिसको लेकर पूरी दुनिया में बहस की जा रही है।
Comments are closed.