उत्तराखंड के अल्मोड़ा में यात्रियों से भरी बस खाई में गिरी, 36 की मौत, 4 गंभीर रूप से घायल

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,4 नवम्बर। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में सोमवार को एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसमें यात्रियों से भरी एक बस खाई में गिर गई। इस भीषण दुर्घटना में अब तक 36 लोगों के मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 4 अन्य यात्री गंभीर रूप से घायल हुए हैं। घायलों को रेस्क्यू कर एयरलिफ्ट के जरिए इलाज के लिए निकटतम अस्पताल में भेजा गया है। यह हादसा उस वक्त हुआ जब बस एक संकरी और घुमावदार पहाड़ी सड़क पर गुजर रही थी।

कैसे हुआ हादसा?

प्राप्त जानकारी के अनुसार, बस पिथौरागढ़ से रामनगर की ओर जा रही थी। इस यात्रा में बस एक संकरी पहाड़ी सड़क पर अचानक अनियंत्रित होकर 500 मीटर गहरी खाई में जा गिरी। स्थानीय लोगों के अनुसार, बस के चालक ने सड़क के एक तीव्र मोड़ पर नियंत्रण खो दिया, जिसके बाद बस सीधे खाई में जा गिरी। यात्रियों में से अधिकांश स्थानीय लोग थे, जो अपने कामकाज और निजी कामों के लिए यात्रा कर रहे थे।

रेस्क्यू ऑपरेशन

हादसे की खबर मिलते ही स्थानीय प्रशासन और पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और बचाव कार्य शुरू किया। दुर्गम इलाका होने के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में भी काफ़ी मुश्किलें आईं। भारी बारिश और खराब मौसम ने बचाव कार्य में अतिरिक्त चुनौतियाँ खड़ी कर दीं। स्थानीय लोगों की भी सहायता ली गई, जिनकी मदद से घायलों को खाई से निकाला गया। घायलों की गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें हेलीकॉप्टर से एयरलिफ्ट कर देहरादून के एक बड़े अस्पताल में भेजा गया है।

मुख्यमंत्री ने जताया शोक, मुआवजे की घोषणा

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस हादसे पर गहरा शोक जताया है और मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की है। मुख्यमंत्री ने हादसे की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं ताकि इस दुर्घटना के कारणों का पता लगाया जा सके। साथ ही, राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि घायलों को जल्द से जल्द उचित इलाज मिल सके।

हादसे के कारणों पर सवाल

इस हादसे के बाद कई सवाल उठने लगे हैं। उत्तराखंड में पहाड़ी सड़कों पर अक्सर ऐसे हादसे होते रहते हैं। दुर्घटना के कारणों में मुख्यतः सड़क की स्थिति, पहाड़ी रास्तों की संकरी और घुमावदार प्रकृति, और ड्राइवर की सतर्कता शामिल हैं। प्रारंभिक रिपोर्ट्स के अनुसार, बस की हालत भी ठीक नहीं थी और संभवतः इसके ब्रेक में तकनीकी समस्या थी, जिससे चालक नियंत्रण नहीं रख सका। दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए लोगों ने सरकार से सड़कों की मरम्मत और रखरखाव के साथ ही यातायात सुरक्षा उपायों को सख्त करने की मांग की है।

सुरक्षा को लेकर चिंताएँ

उत्तराखंड की पहाड़ी सड़कों पर हर साल दर्जनों दुर्घटनाएँ होती हैं, जिनमें कई लोगों की जान जाती है। इन सड़कों पर अक्सर दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण होता है – संकरी सड़कें, तीव्र मोड़, और सुरक्षा मानकों की कमी। बसों और अन्य वाहनों की तकनीकी जांच और नियमित रखरखाव की कमी के कारण दुर्घटनाओं की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तराखंड जैसे राज्यों में पहाड़ी क्षेत्रों की सुरक्षा को लेकर विशेष प्रयासों की आवश्यकता है। रोड सेफ्टी को लेकर सरकार को न केवल सड़कों की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए, बल्कि यातायात नियमों के पालन को भी सख्ती से लागू करना चाहिए।

स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया

हादसे के बाद स्थानीय लोगों में दुख और आक्रोश दोनों है। उनका कहना है कि प्रशासन को बार-बार शिकायत करने के बाद भी सड़कों की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है। यात्रियों के लिए सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन बदहाल सड़कों के चलते स्थानीय लोगों को हमेशा जान का खतरा बना रहता है।

निष्कर्ष

अल्मोड़ा की इस भयावह दुर्घटना ने फिर से पहाड़ी इलाकों में सुरक्षा की कमी की ओर ध्यान आकर्षित किया है। जहां एक ओर सरकार इस हादसे के पीड़ितों के प्रति संवेदना प्रकट कर रही है, वहीं दूसरी ओर यह भी जरूरी है कि प्रशासन ठोस कदम उठाकर पहाड़ी सड़कों की हालत में सुधार करे। सड़क सुरक्षा मानकों का पालन और वाहनों की नियमित जांच इस तरह की दुर्घटनाओं को रोकने के लिए अत्यावश्यक है।

इस दुखद घटना ने उन सैकड़ों लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है जो इन सड़कों पर रोजाना यात्रा करते हैं। प्रशासन के लिए यह एक चेतावनी है कि वह यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तुरंत कारगर कदम उठाए।

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