सी. पी. राधाकृष्णन ने संभाला उपराष्ट्रपति पद, राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 12 सितंबर: राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन के गणतंत्र मंडप में आयोजित भव्य समारोह में श्री सी. पी. राधाकृष्णन को भारत के 15वें उपराष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा और कई वरिष्ठ मंत्री मौजूद रहे।

पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, जिन्होंने पिछले महीने अचानक इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया था, भी इस समारोह में उपस्थित रहे।

राजनीतिक सफर और पृष्ठभूमि

सी. पी. राधाकृष्णन का जन्म 4 मई 1957 को तमिलनाडु के तिरुप्पुर में हुआ। उन्होंने बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातक की डिग्री हासिल की और युवावस्था से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भाजपा से जुड़े रहे।

उन्होंने 1998 और 1999 के आम चुनावों में कोयंबटूर से लोकसभा सदस्य के रूप में जीत हासिल की। संसद में रहते हुए उन्होंने वस्त्र उद्योग की स्थायी समिति की अध्यक्षता की और सार्वजनिक उपक्रमों पर समिति तथा वित्त परामर्श समिति के सदस्य रहे।

2004 में वह संयुक्त राष्ट्र महासभा के भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रहे और ताइवान जाने वाले पहले संसदीय प्रतिनिधिमंडल में भी शामिल हुए।

गवर्नर और पार्टी की ज़िम्मेदारियाँ

राधाकृष्णन महाराष्ट्र और झारखंड के राज्यपाल रह चुके हैं। 2016 में उन्हें कोयर बोर्ड, कोच्चि का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, जहां उनके कार्यकाल में नारियल उत्पादों का निर्यात रिकॉर्ड स्तर पर पहुँचा।

वह 2004 से 2006 तक भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष भी रहे। इस दौरान उन्होंने 93 दिनों की रथयात्रा निकाली, जिसमें नदियों को जोड़ने, छुआछूत मिटाने और आतंकवाद के खिलाफ जनजागरण का संदेश दिया।

ऐतिहासिक महत्व

सी. पी. राधाकृष्णन तीसरे तमिल नेता हैं जिन्हें भारत का उपराष्ट्रपति बनने का अवसर मिला है। उनसे पहले डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और आर. वेंकटरामन इस पद पर रहे और बाद में राष्ट्रपति बने।

समारोह का महत्व और भविष्य की दिशा

उनके उपराष्ट्रपति चुने जाने को न केवल भाजपा और एनडीए की राजनीतिक मजबूती के रूप में देखा जा रहा है, बल्कि इसे दक्षिण भारत में पार्टी की पकड़ को और मजबूत करने वाले कदम के रूप में भी माना जा रहा है। विपक्षी दलों की ओर से कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी ने मुकाबला किया, लेकिन उन्हें 300 वोट मिले जबकि राधाकृष्णन को 452 मत प्राप्त हुए।

इस जीत ने साफ कर दिया कि संसद के दोनों सदनों में एनडीए का वर्चस्व कायम है।

भारत के नए उपराष्ट्रपति के रूप में सी. पी. राधाकृष्णन का कार्यकाल न केवल संवैधानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा, बल्कि यह भाजपा की दक्षिण भारत में रणनीति और राष्ट्रीय राजनीति के संतुलन में भी अहम भूमिका निभाएगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वह इस ऊँचे पद पर अपनी नई ज़िम्मेदारियों को किस प्रकार निभाते हैं।

 

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