समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 17 अगस्त: भारत-अमेरिका के बीच बढ़ते टैरिफ विवाद ने कूटनीतिक और आर्थिक रिश्तों पर असर डालना शुरू कर दिया है। 25 से 29 अगस्त के बीच होने वाली अमेरिकी व्यापारिक टीम की भारत यात्रा रद्द कर दी गई है। इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच चल रहे द्विपक्षीय व्यापार समझौते को आगे बढ़ाना था। हालांकि सूत्रों का कहना है कि यह बैठक बाद में फिर से निर्धारित की जा सकती है।
भारत-अमेरिका वार्ता क्यों थी अहम?
यह बैठक दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते की छठी कड़ी होती। खास बात यह थी कि यह उसी समय निर्धारित थी जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए अतिरिक्त 25% टैरिफ लागू होने वाले थे।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह चर्चा समय पर हो जाती, तो सितंबर-अक्टूबर की समयसीमा से पहले समझौते को अंतिम रूप देने की संभावना थी। लेकिन यात्रा रद्द होने से दोनों देशों के रिश्तों पर नए सिरे से तनाव की स्थिति बन गई है।
मोदी का ‘स्वदेशी’ संदेश
इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में किसानों, मछुआरों और पशुपालकों को आश्वस्त किया। उन्होंने कहा:
“भारत अपने किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के मामले में कोई समझौता नहीं करेगा। मोदी ऐसी हर हानिकारक नीति के खिलाफ एक दीवार की तरह खड़े हैं, जो देश के हितों को प्रभावित करती है।”
मोदी का यह बयान सीधे तौर पर अमेरिका की टैरिफ नीति पर एक कड़ा संदेश माना जा रहा है
ट्रंप का बयान और रूस का मुद्दा
शुक्रवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि रूस ने भारत को तेल ग्राहक के रूप में खो दिया है। वाशिंगटन ने नई दिल्ली पर रूसी तेल खरीदने के लिए दंड लगाया था। हालांकि, उन्होंने यह भी संकेत दिया कि अन्य देशों पर समान दंडात्मक टैरिफ लागू नहीं हो सकते।
ट्रंप ने फॉक्स न्यूज से बातचीत में कहा:
“खैर, उसने (पुतिन) एक तेल ग्राहक खो दिया है, जो भारत था। भारत लगभग 40% तेल का आयात कर रहा था।”
ट्रंप का यह बयान ऐसे समय में आया है जब नई दिल्ली ने अभी तक मास्को से तेल आयात पूरी तरह निलंबित करने की पुष्टि नहीं की है।
आगे का रास्ता क्या?
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका की टीम की रद्द हुई यात्रा दोनों देशों के बीच रिश्तों में बढ़ते तनाव की ओर इशारा करती है। हालांकि, यह भी संभावना है कि सितंबर या अक्टूबर में इसे फिर से निर्धारित किया जाए।
भारत अब अपने घरेलू बाजार और ‘मेक इन इंडिया’ रणनीति पर अधिक जोर दे रहा है, जबकि अमेरिका चाहता है कि भारत रूस से दूरी बनाए।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता फिर से ट्रैक पर आती है या टैरिफ विवाद रिश्तों को और अधिक उलझा देता है।
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