CBI ने सब-इंस्पेक्टर को “लड्डू” लेते हुए गिरफ्तार किया,1 करोड़ 12 लाख रुपए बरामद
SI ने 5 किलो लड्डू (5 लाख रुपए) मांगे, लड्डू 'साहब' भी खाएंगे
इंद्र वशिष्ठ
सीबीआई ने दिल्ली पुलिस के एक सब-इंस्पेक्टर को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है।
सब-इंस्पेक्टर के पास से एक करोड़ बारह लाख रुपए नकद बरामद हुए हैं।
सीबीआई प्रवक्ता आर सी जोशी ने बताया कि सब-इंस्पेक्टर भोजराज सिंह को शिकायकर्ता से पचास हजार रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया है। सब-इंस्पेक्टर भोजराज सिंह दक्षिण जिला के मैदान गढ़ी थाने में तैनात है।
पांच लाख मांगे-
सीबीआई के अनुसार शिकायकर्ता हनी त्यागी उर्फ मनोज और उसके दोस्त अनुज के खिलाफ मैदान गढी थाने मे 23 अगस्त 2021 को मारपीट और जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज किया गया था।
जमानत कराने की गारंटी दी-
हनी ने 26 अक्टूबर को सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई जिसमें आरोप लगाया कि अदालत में उनकी जमानत अर्जी का विरोध न करने की एवज में सब-इंस्पेक्टर भोज राज ने पांच लाख रुपए रिश्वत की मांग की, फिर रकम घटा कर कम से कम दो लाख रुपए देने को कहा। सब इंस्पेक्टर ने उनकी केस में आगे भी मदद करने का भरोसा दिलाया।
लड्डू यानी रिश्वत –
सीबीआई ने शिकायतकर्ता और सब-इंस्पेक्टर भोजराज के बीच मोबाइल फोन पर हुई बातचीत को रिकार्ड किया। सब-इंस्पेक्टर ने रिश्वत की रकम के लिए कोडवर्ड में लड्डू /चीनी शब्द का इस्तेमाल किया था। सब-इंस्पेक्टर ने शिकायतकर्ता से कहा कि पांच किलो लड्डू /चीनी नहीं, तो कम से कम दो किलो लड्डू/ चीनी दो, क्योंकि उसमें ‘साहब’, समेत हम दस लोग हैं। यहां ‘साहब’ शब्द का इस्तेमाल एसएचओ के लिए इस्तेमाल किया गया लगता है।
एक करोड़ 12 लाख बरामद-
सीबीआई ने सब-इंस्पेक्टर भोजराज के घर से एक करोड़ सात लाख रुपए और उसकी कार से पांच लाख 47 हजार 350 रुपए बरामद किए हैं।
डीसीपी का बयान-
दक्षिण जिला की डीसीपी बेनीता मेरी जेकर ने बताया कि सब-इंस्पेक्टर भोजराज को सलेक्ट सिटी मॉल में रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया। इस मामले में जो शिकायकर्ता है, उसके खिलाफ मारपीट, जान से मारने की धमकी आदि धाराओं के तहत एक आपराधिक मामला दर्ज है।
सब इंस्पेक्टर को आज सीबीआई की विशेष अदालत में पेश किया गया।
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महिला SI और ASI गिरफ्तार।
सिपाही से बलात्कार के आरोपी SI से रिश्वत ली।
सीबीआई ने 9 अक्टूबर 2021 को दक्षिण जिले के ही थाना मालवीय नगर में तैनात एएसआई लेखराम और महिला एसआई रोमी मेमरोथ को
बलात्कार के आरोपी एसआई मनोज कुमार से पचास हजार रुपए लेते हुए गिरफ्तार किया था।
सब-इंस्पेक्टर के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज कराने वाली शिकायकर्ता भी दिल्ली पुलिस में सिपाही ही है।
यह मामला उस दिल्ली पुलिस का “चाल चरित्र और चेहरा ” उजागर करता है
जिसे ढिंढोरा पीट-पीट “दिल की पुलिस” घोषित किया जा रहा है।
पुलिस की रग-रग में भ्रष्टाचार-
इस मामले से पता चलता है कि पुलिस में भ्रष्टाचार इस कदर समा गया है कि महिला सिपाही के मामले में भी महिला जांच अफसर, आरोपी सब-इंस्पेक्टर से रिश्वत लेने से भी बाज नहीं आई।
ऐसे में महिला सिपाही की शिकायत पर आरोपी सब-इंस्पेक्टर के खिलाफ की जाने वाली तफ्तीश का अंदाजा ही लगाया जा सकता है। जब महिला सिपाही के मामले में रिश्वत लेकर आरोपी को बचाने की कोशिश की जाती है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि आम लोगों की शिकायतों पर पुलिस किस तरह की जांच करती हैं।
एसएचओ पर भी आरोप-
बलात्कार का आरोपी सब-इंस्पेक्टर मनोज फिलहाल मंगोल पुरी थाने में तैनात है।
सब-इंस्पेक्टर मनोज ने सात अक्टूबर को सीबीआई में शिकायत दी, जिसमें आरोप लगाया कि उसके खिलाफ दर्ज बलात्कार के मामले को खत्म/ सैटल करा देने के लिए मालवीय नगर एसएचओ सतीश राणा, सब इंस्पेक्टर रोमी और एएसआई लेखराम (चिट्ठा मुंशी) ने पचास हजार रुपए रिश्वत की मांग की है।
सीबीआई ने शिकायत में लगाए आरोपों की स्वतंत्र गवाह की मौजूदगी में वैरीफिकेशन की। सब-इंस्पेक्टर मनोज की सब-इंस्पेक्टर रोमी और एएसआई लेखराम से मोबाइल पर हुई बातचीत को रिकॉर्ड किया गया।
एक लाख रुपए मांगे।-
महिला सब-इंस्पेक्टर रोमी के कहने पर मनोज ने एएसआई लेखराम से बात की थी। एएसआई ने एक लाख रुपए रिश्वत मांगी और रकम पचास- पचास हजार की दो किश्तों मे देने को कहा।
एएसआई ने मनोज से कहा कि बलात्कार के मामले में उसके पक्ष में हाईकोर्ट में केस की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने से पहले उसे दिखा दी जाएगी।
इसके बाद 9 अक्टूबर को सीबीआई ने मामला दर्ज किया, जाल बिछा कर एएसआई लेखराम को रंगेहाथ और बाद में सब इंस्पेक्टर रोमी को गिरफ्तार कर लिया।
डीसीपी का बयान-
दक्षिण जिला की डीसीपी बेनीता मेरी जेकर ने बताया कि जांच के दौरान एसआई मनोज ने साकेत, सत्र न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किया। अदालत ने सब इंस्पेक्टर को जांच में शामिल होने के लिए कहा और अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया।
इसके बाद सब इंस्पेक्टर मनोज उच्च न्यायालय चला गया। हाईकोर्ट में भी उसे जांच में शामिल होने के लिए कहा गया। सुनवाई की अगली तारीख 11अक्टूबर है।
दक्षिण जिला की डीसीपी बेनीता मेरी जेकर ने बताया कि शनिवार (9 अक्टूबर) को एसआई मनोज 8 बजे थाने आया और महिला एसआई रोमी को फोन किया, कहा कि वह दस्तावेज लाया है।
लेकिन एसआई रोमी उस समय थाने में मौजूद नहीं थी। इसलिए उन्होंने एएसआई लेखराम से दस्तावेज लेने को कहा। एएसआई लेखराम को पैसा लेते हुए सीबीआई की टीम ने पकड़ लिया।
सीबीआई ने बाद में एसआई रोमी को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
बलात्कार किया, वीडियो बनाया-
इस साल 3 अगस्त को दक्षिण जिला के थाने में तैनात महिला सिपाही ने सब-इंस्पेक्टर मनोज के खिलाफ मालवीय नगर थाने में बलात्कार और जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज कराया था।
महिला सिपाही का आरोप हैं कि सब इंस्पेक्टर मनोज उसे एक घर में ले गया, वहां पर उसे पेय पदार्थ में मिला कर नशा पिला कर बलात्कार किया।
महिला सिपाही ने आरोप लगाया कि मनोज ने वीडियो भी बना लिया। वह वीडियो और तस्वीरों को वायरल करने की धमकी देकर ब्लैकमेल कर रहा है।
दक्षिण जिले में आरोपी मनोज और पीड़िता पहले एक ही थाने में तैनात थे।
मालवीय नगर थाने की सब इंस्पेक्टर रोमी मेमरोथ को इस मामले की जांच अफसर बनाया गया।
आईपीएस की भूमिका पर सवाल।
इस मामले में आईपीएस अफसरों की भूमिका पर भी सवालिया निशान लग जाता है। बलात्कार का मामला दर्ज होने के बावजूद गिरफ्तार करना तो दूर तब स्पेशल सेल में तैनात सब-इंस्पेक्टर मनोज कुमार को निलंबित तक नहीं किया गया। यहीं नहीं उसका तबादला स्पेशल सेल से मंगोल पुरी थाने में कर दिया गया।
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