CEC और EC ने संभाला कार्यभार, अब क्या करेगा सुप्रीम कोर्ट? चयन समिति पर सुनवाई जारी

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,19 फरवरी।
भारत के नए मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और चुनाव आयुक्त (EC) ने अपना कार्यभार संभाल लिया है, लेकिन इस बीच सुप्रीम कोर्ट में उनकी नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई जारी है। याचिकाकर्ताओं ने चुनाव आयोग चयन समिति के गठन और पारदर्शिता को लेकर सवाल उठाए हैं। अब सभी की नजर सुप्रीम कोर्ट के अगले कदम पर है।

क्या है मामला?

हाल ही में मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रधानमंत्री, एक केंद्रीय मंत्री और नेता प्रतिपक्ष की समिति द्वारा की गई थी। इस प्रक्रिया को कई संगठनों और कानूनी विशेषज्ञों ने निष्पक्षता के मुद्दे पर सवालों के घेरे में रखा है। उनका कहना है कि इस समिति में न्यायपालिका का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है, जिससे नियुक्तियां एकतरफा हो सकती हैं।

सुप्रीम कोर्ट में क्या है चुनौती?

चुनाव आयोग की नियुक्ति प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में बदलाव की जरूरत जताई थी और एक स्वतंत्र समिति बनाने का सुझाव दिया था। हालांकि, सरकार ने नया कानून लाकर सीईसी और ईसी की नियुक्ति के लिए वर्तमान चयन समिति का गठन किया, जिसमें केवल सरकार के ही प्रतिनिधि शामिल हैं।

अब इस प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है और इससे चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है।

अब सुप्रीम कोर्ट क्या कर सकता है?

  • संवैधानिक वैधता की जांच – अदालत देखेगी कि क्या यह चयन प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 324 का उल्लंघन करती है या नहीं।
  • नई समिति बनाने पर फैसला – कोर्ट सरकार को एक नई और संतुलित चयन समिति बनाने का निर्देश दे सकता है, जिसमें न्यायपालिका या अन्य स्वतंत्र निकायों का प्रतिनिधित्व हो।
  • नियुक्तियों पर रोक या समीक्षा – अगर कोर्ट को नियुक्ति प्रक्रिया में गंभीर खामी दिखती है, तो वह नई नियुक्तियों पर रोक लगा सकता है या समीक्षा का आदेश दे सकता है।

सरकार का क्या पक्ष है?

सरकार का कहना है कि नया कानून पारदर्शी और लोकतांत्रिक है। उनके अनुसार, प्रधानमंत्री, एक केंद्रीय मंत्री और नेता प्रतिपक्ष का चयन प्रक्रिया में शामिल होना लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन करता है और इससे चुनाव आयोग की स्वायत्तता बनी रहेगी।

निष्कर्ष

नए मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों ने अपना कार्यभार तो संभाल लिया है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई से उनकी नियुक्ति पर अनिश्चितता बनी हुई है। अब यह देखना होगा कि अदालत सरकार की दलील को स्वीकार करती है या लोकतांत्रिक संतुलन के लिए कोई नया निर्देश जारी करती है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला भविष्य की चुनावी प्रक्रियाओं और लोकतंत्र की पारदर्शिता के लिए बेहद अहम साबित हो सकता है।

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