दिवाली पर पटाखों को लेकर ज्ञान न दें, हमारी परंपरा है”: बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री का बयान

समग्र समाचार सेवा
मुंबई, 12 अक्टूबर: दिवाली नजदीक आते ही देशभर में पटाखों और प्रदूषण को लेकर बहस एक बार फिर तेज हो गई है। इस बीच बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने इस विवाद पर अपनी साफ राय रखी है। शनिवार को मुंबई स्थित सिद्धि विनायक गणेश मंदिर में दर्शन के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि किसी एक समुदाय के त्योहारों को बार-बार निशाना बनाना उचित नहीं है।

पंडित शास्त्री ने कहा, “दिवाली पर पटाखों को लेकर ज्ञान न पेलें। हम न बकरीद पर ज्ञान देते हैं, न ताजियों पर। इसलिए हमें भी ज्ञान न दें। यह हमारी परंपरा है, और हम इसे निभाएंगे।”

उन्होंने आगे कहा कि प्रदूषण एक गंभीर समस्या है, लेकिन यह सवाल भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि यह मुद्दा सिर्फ हिंदू त्योहारों के वक्त ही क्यों उठाया जाता है। “त्योहारों का मकसद खुशी और भाईचारा बढ़ाना होता है, विवाद नहीं,” उन्होंने कहा।

धीरेंद्र शास्त्री ने बॉलीवुड और सामाजिक कार्यकर्ताओं पर भी निशाना साधा, जो अक्सर पटाखों और पर्यावरण पर बयान देते हैं। उन्होंने कहा, “जो लोग दिवाली पर ज्ञान देते हैं, उन्हें हर धर्म के पर्वों के प्रति समान दृष्टि रखनी चाहिए। किसी एक समुदाय के त्योहारों पर ही सवाल उठाना न्यायसंगत नहीं है।”

उन्होंने कहा कि धर्म, संस्कृति और परंपरा भारत की आत्मा हैं और इन्हें लेकर भेदभाव नहीं होना चाहिए। “अगर कोई बकरीद पर खुशियां मनाता है, तो हम सम्मान करते हैं। उसी तरह जब हम दिवाली मनाते हैं, तो दूसरों से भी यही उम्मीद करते हैं,” शास्त्री ने जोड़ा।

I love Muhammad’ पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “अगर कोई कहता है ‘I love Muhammad’, तो इसमें कुछ गलत नहीं है। उसी तरह अगर कोई ‘I love Mahadev’ कहता है, तो उसमें भी कुछ गलत नहीं है।”

हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी धर्म के नाम पर हिंसा या उकसाने वाले नारे स्वीकार्य नहीं हैं। “लेकिन अगर कोई ‘सिर तन से जुदा’ जैसे नारे लगाता है, तो यह न हिंदू समाज और न ही भारत का कानून बर्दाश्त करेगा। ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई जरूर होनी चाहिए,” उन्होंने कहा।

अंत में धीरेंद्र शास्त्री ने समाज से अपील की कि सभी धर्मों के पर्वों को समान दृष्टि से देखा जाए और किसी भी समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने से बचा जाए। “भारत उत्सवों की भूमि है। यहां हर धर्म का सम्मान होना चाहिए, न कि विवाद,” उन्होंने कहा।

 

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