केंद्र सरकार ने राज्यों को दी चेतावनी- राज्य सरकारें केवल अपने उपभोक्ताओं को दे बिजली

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 12अक्टूबर। देश में बिजली संकट को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है। केंद्र सरकार बिजली संकट को लेकर बैठकें कर रही है। तो वहीं कई राज्यों ने पीएमओ को इसे लेकर पत्र भी लिखा है। हालांकि ऊर्जा मंत्री ने राहत भरी बातें कहीं लेकिन गृहमंत्री ने इसे लेकर सोमवार को बैठक की थी। बता दें कि कई राज्यों में कोयले की कमी के कारण बिजली संयंत्र ठप हो गए हैं. राज्य सरकारें बिजली की मांग को पूरा करने के लिए बार-बार केंद्र से गुहार लगा रहे हैं।
विद्युत मंत्रालय के ध्‍यान में यह बात आई है कि कुछ राज्य अपने उपभोक्ताओं को बिजली की आपूर्ति नहीं कर रहे हैं और बिजली की कटौती (लोड शेडिंग) कर रहे हैं। साथ ही वह बिजली एक्‍सचेंज में भी ऊंचे दाम पर बिजली बेच रहे हैं।

बिजली आवंटन के दिशा-निर्देशों के अनुसार, केन्‍द्रीय उत्पादन स्टेशनों (सीजीएस) से 15%बिजली को “आवंटित नहीं की गई बिजली” के अंतर्गत रखा जाता है, जिसे केन्‍द्र सरकार उपभोक्ताओं की बिजली की आवश्यकता को पूरा करने के लिए जरूरतमंद राज्यों को आवंटित करती है।

उपभोक्ताओं को बिजली की आपूर्ति करने की जिम्मेदारी वितरण कंपनियों की है और उन्हें पहले अपने उपभोक्ताओं की जरूरत को पूरा करना चाहिए जिन्हें 24घंटे बिजली प्राप्त करने का अधिकार है। इस प्रकार, वितरण कंपनियों को बिजली एक्‍सचेंज में बिजली नहीं बेचनी चाहिए और अपने स्वयं के उपभोक्ताओं को इससे वंचित नहीं रखना चाहिए।

इसलिए राज्यों से अनुरोध किया गया है कि वे अपने उपभोक्ताओं को बिजली की आपूर्ति के लिए आवंटित नहीं की गई बिजली का उपयोग करें। अतिरिक्‍त बिजली के मामले में, राज्यों से अनुरोध किया गया है कि वे भारत सरकार को सूचित करें ताकि इस बिजली को अन्य जरूरतमंद राज्यों को एक बार फिर आवंटित किया जा सके।

यदि यह पाया जाता है कि कोई राज्य अपने उपभोक्ताओं की जरूरत को पूरा नहीं कर रहे हैं और बिजली एक्‍सचेंजों में उच्च दर पर बिजली बेच रहे हैं, तो ऐसे राज्यों की आवंटित नहीं की गई बिजली वापस ले ली जाएगी और अन्य जरूरतमंद राज्यों को आवंटित कर दी जाएगी।

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