केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल के आसार

त्रिदीब रमण
   त्रिदीब रमण

बस इस उम्मीद में तेरे दर पर रोज एक चि़राग जला देते हैं

मेरे ख्वाब हो रौशन, इसी लौ से एक टीका लगा लेते हैं’

ऐसे कयास लग रहे हैं कि बहुत जल्द मोदी कैबिनेट में एक बड़ा फेरबदल होने जा रहा है। सूत्रों की मानें तो मंत्रियों के प्रदर्शन को आधार बना कर उनके ’रिपोर्ट कार्ड’ तैयार किए गए हैं। यह भी सुनने में आ रहा है कि इस बार कई हैवीवेट मंत्रियों की विकेट गिर सकती है। दो युवा मंत्रियों को उनके अति उत्साही बोलों की कीमत चुकानी पड़ सकती है। दिल्ली के निकाय चुनावों को आधार बनाते हुए मनोज तिवारी या गौतम गंभीर में से किसी को मंत्री बनाया जा सकता है, मीनाक्षी लेखी पर भी खतरे की तलवार टंगी है। फेरबदल के कयासों को इस बात से भी बल मिला है कि गृह मंत्री अमित शाह से मिलने के लिए भगवा सांसद गण लगातार टाइम मांग रहे हैं। यूपी के एक चर्चित सांसद जब शुक्रवार को गृह मंत्री से मिल कर बाहर निकले तो उनके सहयोगियों के हौंसले बम-बम थे, उन्हें उम्मीद बंध गई है कि सांसद महोदय इस दफे मंत्री बनने के लिए कतार में शामिल हो गए हैं।

प्रियंका करेंगी हिमाचल सीएम का फैसला

अनिश्चय के सियासी भंवर में डूबती-उतरती कांग्रेस के लिए हिमाचल सुकून का एक ठंडा झोंका लेकर आया है। चूंकि हिमाचल चुनाव के अमूमन सभी अहम फैसले कांग्रेस के नज़रिए से प्रियंका ने लिए थे, सो माना जा रहा है कि प्रदेश का नया सीएम चुनने में उनकी सबसे महती भूमिका होगी। हिमाचल के चुनावी नतीजे आने के तुरंत बाद रानी साहिबा यानी स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह ने प्रियंका को फोन कर कहा था कि ’यह हिमाचल की जनता की अपने स्वर्गीय राजा साहिब (वीरभद्र सिंह) को सच्ची श्रद्धांजलि है, इस जीत को इसी रूप में देखा जाना चाहिए।’ यानी एक तरह से रानी साहिबा ने सीएम पद के लिए अपने परिवार की दावेदारी पेश कर दी कि या तो उन्हें या फिर उनके पुत्र विक्रमादित्य सिंह को हिमाचल की बागडोर मिले। कहते हैं इस पर प्रियंका ने रानी साहिबा से कहा कि ’विक्रमादित्य अभी काफी युवा हैं, नेतृत्व करना उन्हें सीखना होगा, हम उन्हें अगली कैबिनेट में जरूर लेना चाहेंगे।’ प्रतिभा सिंह को लेकर कांग्रेस में ऊहापोह की स्थिति है, वह मंडी संसदीय सीट से सांसद भी हैं, सो उनको सीएम बनाने का अर्थ होगा मंडी लोकसभा सीट पर उप चुनाव और उन्हें विधायक बनाने के लिए किसी निर्वाचित विधायक का इस्तीफा भी करवाना होगा। इन चुनावों में मंडी क्षेत्र में कांग्रेस का प्रदर्शन उतना उम्दा भी नहीं रहा है, सो पार्टी इस बारे में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। इसके तुरंत बाद प्रियंका के पास पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू का फोन आ गया, जिन्होंने दावा किया कि ’उन्हें पार्टी के 10 विधायकों का समर्थन प्राप्त है।’ सूत्रों की मानें तो सुक्खू से प्रियंका ने कहा कि ’एक बार कमेटी की रिपोर्ट आ जाने दीजिए, फिर आप से भी बात करते हैं।’

गांधी परिवार को रानी साहिबा का न्यौता

8 दिसंबर को जब रानी साहिबा प्रतिभा सिंह ने प्रियंका गांधी को फोन किया था तब बातों ही बातों में उनसे यह आग्रह भी किया था कि ’चूंकि कल (9 दिसंबर) सोनिया गांधी जी का जन्मदिन है, इस मौके पर हम आप पूरे परिवार को हिमाचल आने का न्यौता देते हैं, आप, सोनिया जी व राहुल जी यहां आएं और माता चिंतपूर्णी या ज्वाला देवी के दर्शन करें, उनका आशीर्वाद लें और 2024 के लोकसभा चुनावों का आगाज़ भी कर दें।’ कहते हैं इस पर प्रियंका ने रानी साहिबा से दो टूक कह दिया कि ’गांधी परिवार हमेशा से पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ दोनों को अलग-अलग रखता हैं। मां का बर्थडे परिवार का निजी कार्यक्रम ही रहेगा।’ इसके बाद गांधी परिवार सोनिया के ’बर्थडे’ के मौके पर राजीव गांधी की पसंदीदा जगह रणथंभौर नेशनल पार्क आ गया, राहुल भी अपनी भारत जोड़ो यात्रा से ब्रेक लेकर रणथंभौर पहुंच गए, फिर परिवार ने सोनिया का 76वां बर्थडे वहीं सेलिब्रेट किया। साथ में टाइगर सफारी का भी लुत्फ उठाया।

लोगों के बीच जाएंगे नवीन पटनायक

ओडिशा की पदमपुर विधानसभा सीट पर भले ही राज्य में सत्तारूढ़ बीजद ने जीत दर्ज कर ली हो, पर राज्य में भाजपा के तेजी से होते अभ्युदय ने पार्टी के बड़े रणनीतिकारों की पेशानियों पर बल ला दिए हैं। बीजद उम्मीदवार ने भाजपा के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को लगभग 42 हजार वोटों से हरा दिया, जबकि बीजद की परपंरागत प्रतिद्वंद्वी रही कांग्रेस यहां चारों खाने चित्त हो गई, यहां कांग्रेसी उम्मीदवार सत्यभूषण साहू अपने लिए मात्र 1.75 फीसदी ही मत जुटा पाए और यहां उनकी जमानत जब्त हो गई। नतीजा आने के बाद नवीन पटनायक ने अपने पीएस और सलाहकार वीके पांडियन से एक लंबी गुफ्तगू की और 2024 को लेकर विधानसभा व लोकसभा चुनावों की रणनीति पर चर्चा की। पांडियन का साफ तौर पर मानना था कि ’राज्य में जिस तेजी से भाजपा का विस्तार हुआ है वह बीजद के लिए खतरे की घंटी है।’ सो पांडियन ने नवीन से कहा कि ’अगर उन्हें भाजपा को परास्त करना है तो उन्हें स्वयं ज्यादा से ज्यादा जनसभाएं करनी होगी।’ यूं भी पदमपुर उप चुनाव में दो साल में पहली बार नवीन पटनायक ने कोई जनसभा की थी।

कुढ़नी की हार से जदयू व राजद में तनाव

बिहार की कुढ़नी विधानसभा सीट के उप चुनाव में जिस तरह जदयू नीत महागठबंधन को भाजपा के हाथों शिकस्त खानी पड़ी उसने नीतीश व तेजस्वी के संबंधों में एक कटुता ला दी है। कुढ़नी परंपरागत रूप से राजद की सीट रही है, राजद विधायक अनिल कुमार सहनी के अयोग्य घोशित होने से यह सीट खाली हुई थी। नीतीश ने तेजस्वी से यह सीट अपने लिए मांग ली और यहां से जदयू उम्मीदवार चारों खाने चित्त हो गया। भाजपा ने यहां के चुनाव में यादव-मुसलमानों का हौव्वा दिखा कर ओबीसी जातियों खास कर कुर्मी-कोयरी व कुशवाहा वोटों के अपने पाले में कर लिया, मांझी वोटर भी भाजपा के साथ चले गए। नीतीश ने अपनी खास वफादार लेसी सिंह को कुढ़नी सीट का प्रभारी बना रखा था, उनकी रिपोर्ट के अनुसार महागठबंधन यह सीट 20 हजार से ज्यादा मतों से जीत रहा था। तेजस्वी ने नीतीश से पहले भी कहा था कि ’प्रभारी बदलिए नहीं तो यह सीट हाथ से जाएगी, क्योंकि लेसी तो गेस्ट हाउस से बाहर ही नहीं निकल रही हैं।’ पर तब नीतीश के कानों में जूं तक नहीं रेंगी, तेजस्वी इस बात को लेकर ज्यादा परेशान हैं कि हालिया दिनों में बिहार में 3 सीटों पर उप चुनाव हुए हैं, जहां भाजपा ने मोकामा छोड़ कर बाकी दो सीटों पर महागठबंधन को हरा दिया है।

केजरीवाल का मलाल

गुजरात चुनाव के नतीजों को लेकर आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने पार्टी नेताओं के साथ एक वर्चुअल समीक्षा बैठक की। सूत्रों की मानें तो इस बैठक में केजरीवाल ने उन सर्वेक्षण एजेंसियों के अगुआओं को कड़ी डांट पिलाई जो खम्म ठोक कर कह रहे थे कि ’गुजरात में आप का वोट शेयर कम से कम 20 फीसदी रहने वाला है।’ जबकि जब नतीजे आए तो आप का वोट शेयर 13 फीसदी के आंकड़े को भी नहीं छू पाया। फिर केजरीवाल ने कहा कि ’गोपाल इटालिया हों या इसुदान गढ़वी इन्होंने चुनाव से पहले ही मान लिया था कि ये बड़े लीडर हैं, यहां धोखा हो गया, वे समझ ही नहीं पाए कि आखिर वे लड़ किससे रहे हैं।’ फिर आप सुप्रीमो ने पार्टी कैडर से कहा कि ’जो हमारे 5 विधायक जीत कर आए हैं, उन्हें भाजपा में जाने से बचाए रखना ही बड़ी चुनौती है। इन पर आप लगातार नज़र बना कर रखिए, नहीं तो हमारे और कांग्रेस में कोई अंतर नहीं रह जाएगा।’

खड़गे के फैसलों पर सवाल

राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे ने संगठन से जुड़े कुछ बड़े फैसले लिए हैं। जिस शक्ति सिंह गोहिल ने बिहार में कांग्रेस को रसातल में पहुंचाने का काम किया है, उन्हें प्रमोशन देकर हरियाणा का इंचार्ज बना दिया गया है। जी-23 का एक अहम हिस्सा रहीं कुमारी सैलजा को महासचिव के साथ-साथ छत्तीसगढ़ का प्रभारी नियुक्त कर दिया गया है। जबकि छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल किसी ब्राह्मण नेता को प्रभारी के तौर पर चाहते थे। वहीं सैलजा से मिल पाना ही आम कार्यकर्ताओं के लिए एक टेढ़ी खीर है, उनसे मिलने के लिए काफी पहले से ही अर्जी लगानी पड़ती है, इसके बाद ही वे फैसला लेती हैं कि उन्हें किससे मिलना है या किससे नहीं।

और अंत में

यूपी के रामपुर उप चुनाव में भाजपा की अप्रत्याशित जीत को सुनिश्चित करने में पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की ’खिचड़ी पंचायत’ की एक महती भूमिका मानी जा रही है। रामपुर के मुस्लिम बहुल इलाकों में नकवी अपनी एक अनोखी अवधारणा खिचड़ी पंचायत के साथ सामने आए। समाजवादी पार्टी और आजम खां का गढ़ माने जाने वाले रामपुर में मुस्लिम, यादव व दलित मतदाताओं की कुल तादाद 65 फीसदी के आसपास है। नकवी ने इस उप चुनाव में वहां गांव-गांव में खिचड़ी पंचायत का आयोजन किया, बिना मंच, बिना भाषण के लोगों के बीच जमीन पर बैठ कर उनकी बात सुनी और अपनी बात कही, यह फार्मूला हिट हो गया। देखना है अब नकवी अपनी खिचड़ी कब पका पाते हैं।

Comments are closed.