समग्र समाचार सेवा
रायपुर, 14जून। राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके का आज बैगा समाज के सम्मेलन में कवर्धा पहुंचने पर सर्किट हाउस में कलेक्टर श्री रमेश कुमार शर्मा, पुलिस अधीक्षक डॉ. लाल उम्मेद सिंह ने पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया। इसके अलावा सर्किट हाउस के सभागार में सर्व आदिवासी समाज एवं बैगा समाज के प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने तथा कवर्धा में पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रहे, हरीतिमा संगठन के प्रतिनिधियों ने भी राज्यपाल का स्वागत किया। राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर की सलामी ली गई।
इस अवसर पर डीएफओ श्री चूड़ामणि सिंह तथा जिला पंचायत सीईओ श्री संदीप अग्रवाल भी उपस्थित थे।
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने भोरमदेव मंदिर में पूजा अर्चना कर देश-प्रदेश की खुशहाली की कामना की
आज राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके बैगा सम्मेलन में शामिल होने कवर्धा पहुंची। सम्मेलन से पूर्व राज्यपाल सुश्री उइके ने भोरमदेव मंदिर में भगवान भोलेनाथ के दर्शन किए। राज्यपाल ने भगवान शिव के दर्शन और पूजा-अर्चना कर देश एवं प्रदेश की खुशहाली, संपन्नता, सुख-समृद्धि और प्रगति की कामना की।
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके इंडियन रेडक्रास सेासायटी छत्तीसगढ़ शाखा द्वारा आयोजित कार्यक्रम में होंगी शामिल
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके कल राजभवन र्में इंडियन रेडक्रॉस सोसायटी छत्तीसगढ़ शाखा द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शामिल होंगी। उल्लेखनीय है कि भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी के शताब्दी वर्ष पूर्ण होने एवं विश्व रक्तदान दिवस के अवसर पर प्रदेश के स्वैच्छिक रक्तदाताओं एवं मानवीय विकास के कार्य में रेडक्रास को सहयोग देने वाली संस्थाओं का सम्मान करने के लिए, इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।
राज्यपाल ने आम नागरिकों से की रक्तदान करने की अपील, स्वस्थ एवं सतर्क रहकर करें स्वैच्छिक रक्तदान
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने विश्व रक्तदाता दिवस के अवसर पर राज्य के नागरिकों से अधिक से अधिक संख्या में रक्तदान करने की अपील की है। राज्यपाल ने अपने संदेश में कहा है कि रक्तदान एक पुनीत कार्य है। रक्तदान को सभी दानों में सर्वश्रेष्ठ दान माना जाता है क्योंकि इससे किसी का जीवन बचाया जा सकता है। सिकलसेल, एनीमिया, थैलेसिमिया, प्रसव के समय महिलाओं को, किसी दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होने पर या बीमार होने पर लोगों को रक्त की आवश्यकता पड़ती है तो दान किये रक्त से उसकी पूर्ति की जा सकती है। ब्लड बैंकों में रक्त की आवश्यकता की निरंतर पूर्ति करने के लिये पर्याप्त मात्रा में रक्त संग्रह होना जरूरी है। राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा है कि स्वस्थ्य व्यक्ति सुरक्षा मापदण्डों का पालन करते हुए चिकित्सक की सलाह पर स्वैच्छिक रक्तदान कर सकते हैं। राज्यपाल ने कहा है कि रक्तदान हेतु जारी की गई गाइडलाइन का पालन करते हुए लोग अधिक से अधिक रक्तदान करें और संकटग्रस्त मनुष्य का जीवन बचाएं। एक व्यक्ति द्वारा किये गये रक्तदान से चार जिंदगियां बच सकती है।
राज्यपाल ने कबीर जयंती के अवसर पर दी शुभकामनाएं
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने कबीर जयंती के अवसर पर देश एवं प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं। राज्यपाल ने अपने संदेश में कहा है कि भक्तिकाल के निर्गुण धारा के प्रवर्तक संत कबीर दास महान समाज सुधारक थे। उन्होंने तत्कालीन समाज को नई दिशा प्रदान की और समाज में फैली कुरीतियों पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से आम जनता को भाई-चारा, प्रेम, सद्भावना और मानवता का संदेश दिया। उनके दोहे मनुष्य को अज्ञानता के अंधकार से निकालकर ज्ञान के प्रकाश में ले जाने का कार्य करते हैं। उनके संदेश वर्तमान समय में भी प्रासंगिक हैं।
जनजातीय परंपराओं, संस्कृति, बोली-भाषा को सहेजने और उस पर हमें गर्व करने की है जरूरत:राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके कवर्धा में आयोजित बैगा-आदिवासी महासम्मेलन कार्यक्रम में शामिल हुई
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके आज कबीरधाम जिले के पीजी कॉलेज ऑडोटिरियम में आयोजित बैगा-आदिवासी महासम्मेलन कार्यक्रम में शामिल हुई। राज्यपाल सह अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर तथा नागा बैगा और नागा बैगीन के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। राज्यपाल सुश्री उइके ने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले समाज के नागरिकों को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित भी किया।
राज्यपाल श्री सुश्री उइके ने बैगा आदिवासी समाज को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा आदिवासी समाज हमेशा से ही प्रकृति से जुड़ा रहा है। उनकी परंपराओं, धार्मिक आयोजन, लोक नृत्य, संस्कृति में प्रकृति का प्रभाव है। आधुनिक समाज के लिए प्रकृति सिर्फ पर्यावरण है और प्रकृति पर विजय प्राप्त करके ही वे अपने पुरूषार्थ को साबित करते हैं, जबकि जनजातीय समुदाय के लिए प्रकृति पूजनीय है। वे स्वयं को उसका अभिन्न अंग मानते हैं। जनजातीय समुदाय को अपनी परंपराओं, संस्कृति, बोली-भाषा को सहेजने और उस पर गर्व करने की भी जरूरत है। आज की युवा पीढ़ी को भी समुदाय के पारंपरिक ज्ञान को हस्तांतरित किया जाना चाहिए। बैगा आदिवासी समाज का आदिवासी परंपरा-संस्कृति में विशेष योगदान है। यह समुदाय पीढ़ी दर पीढ़ी अपने विशेष परंपरागत जड़ी-बूटी के ज्ञान का उपयोग कर जनजातीय समाज को लाभान्वित कर रहा है। राज्यपाल ने बैगा आदिवासी समाज द्वारा की गई मांगों पर सार्थक विचार करते हुए पूरा करने का आश्वासन भी दिया।
राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि बैगा हमारे राज्य के 7 विशेष पिछड़ी जनजातियों में से एक है। जब हम जनजातीय समुदायों के विकास की बात करते हैं तो निश्चित रूप से विशेष पिछड़ी जनजातियों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। सरकार द्वारा जनजातियों के उत्थान के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही हैं। विकास अभिकरणों का भी गठन किया गया है। इसके बावजूद आज भी इन जनजातियों को शिक्षा, स्वास्थ्य तथा मूलभूत जरूरतों की शत-प्रतिशत् उपलब्धता सुनिश्चित नहीं हो पाई है। उन्होंने कहा कि बैगा जनजातिय जनसंख्या का अधिकांश हिस्सा आज भी निरक्षर है। आंकड़ों के अनुसार बैगाओं में महिलाओं की संख्या पुरूषों से अधिक है लेकिन मात्र 25 प्रतिशत महिलाएं ही साक्षर हो पाई हैं, जो इस जनजाति के पिछड़े होने के कारणों में से एक है। इसलिए हमें इस दिशा में गंभीरता से प्रयास किये जाने की आवश्यकता है। अशिक्षा के कारण भी यह समाज अपने संवैधानिक एवं कानूनी अधिकारों के प्रति सजग नहीं हो पा रहे हैं। इन्हें शिक्षित कर जागरूकता के माध्यम से ही इनका जीवन स्तर सुधारा जा सकता है।
राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि छत्तीसगढ़ में उन्नीस जिले अनुसूचित क्षेत्र के अंतर्गत आते है। इन क्षेत्रों में पेसा कानुन का प्रावधान किया गया है। केन्द्र शासन के नियमानुसार विशेष पिछड़ी जनजाति निवासियों को नौकरियों में सीधी भर्ती का प्रावधान दिया गया है। उन्होंने कहा कि विशेष पिछड़ी जनजाति की समस्याओं की सुनवाई के लिए 15 दिनों में जन सुनवाई का आयोजन किया जाना चाहिए, जिससे वनांचल में रहने वाले लोगों को शासकीय योजनाओं की जानकारी मिल सके। उन्होंने कहा कि जनजातीय बाहुल्य इलाकों में संविधान की पांचवी अनुसूची के अन्तर्गत विशेष प्रावधान उल्लेखित है। यह सुनिश्चित होना चाहिए कि जनजातीय समुदाय को उनके संविधान प्रदत्त अधिकारों से वंचित न किया जाए। संविधान द्वारा उन्हें दिए गए अधिकारों के प्रति जागरूक करने का प्रयास हो ताकि पांचवी अनुसूची जैसे विशेष प्रावधानों से उन्हें संरक्षण मिले।
बैगा आदिवासी महासम्मेलन कार्यक्रम में बैगा आदिवासियों द्वारा पारंपरिक मांदर की थाप के साथ करमा नृत्य का प्रस्तुतिकरण किया गया। कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष बैगा समाज श्री इतवारी राम मछिया, प्रदेश अध्यक्ष सर्व आदिवासी समाज युवा प्रभाग सुभाष परते, राज्य निर्देशक नेहरू युवा केंद्र खेल मंत्रालय भारत सरकार श्री श्रीकांत पांडेय, अध्यक्ष बैगा विकास प्राधिकरण पुसुराम बैगा, जिला अध्यक्ष विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा समाज श्री कामू बैगा, श्रीमती दशमी बाई बैगा सहित बड़ी संख्या में समाज के नागरिक एवं कलेक्टर श्री रमेश शर्मा सहित जिला प्रशासन के अधिकारी उपस्थित थे ।
राज्यपाल ने पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन पर आधारित पुस्तिका का विमोचन किया
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने आज कवर्धा के सर्किट हाऊस में हरीतिमा संगठन द्वारा तैयार की गई पुस्तिका “आज का बीज, कल का पेड़“ का विमोचन किया। संगठन के पदाधिकारियों ने ने बताया कि यह पुस्तिका वृक्षारोपण हेतु एक जन अभियान चलाने के उद्देश्य से तैयार की गई है। उन्होंने बताया कि पर्यावरण की संरक्षण एवं संवर्धन अभियान को लेकर हरीतिमा संगठन द्वारा कवर्धा शहर तथा आसपास क्षेत्रों में पौधा लगाकर निरंतर जन-जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत् वे अब तक लगभग चार हजार पौधे लगा चुके है।
राज्यपाल ने हरीतिमा के कार्याे की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस कार्य को विस्तार देते हुए ग्रामीण क्षेत्रों तक भी ले जाना चाहिए। इस अवसर पर हरीतिमा संगठन के अजय लुनिया, संतराम थवाईत, राकेश दोषी, राजेन्द्र सिंह सलूजा एवं अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।
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