समग्र समाचार सेवा
मदुरै, 4 सितंबर: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने गुरुवार को मदुरै एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान केंद्र सरकार के हालिया जीएसटी दरों में बदलाव पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए, लेकिन यह भी सच है कि उसे अपनी गलती स्वीकार करने में पूरे आठ साल का समय लग गया।
चिदंबरम का बयान
पत्रकारों से बातचीत में चिदंबरम ने कहा, “मैं सरकार के जीएसटी दरों में बदलाव के निर्णय का स्वागत करता हूं। लेकिन यह भी मानना होगा कि इसे लागू करने में उन्होंने बहुत देर कर दी। आखिरकार, यह उनकी अपनी भूल थी, जिसे अब जाकर सुधारा गया है।”
उन्होंने आगे कहा कि इस बदलाव से आम जनता और छोटे कारोबारियों को राहत जरूर मिलेगी, लेकिन आठ साल तक सरकार की कठोर नीतियों के कारण व्यापार जगत और आम नागरिकों को भारी आर्थिक बोझ उठाना पड़ा।
जीएसटी को लेकर कांग्रेस का रुख
कांग्रेस पार्टी शुरू से ही जीएसटी की ऊंची दरों और जटिल संरचना को लेकर सरकार पर सवाल उठाती रही है। पार्टी का कहना रहा है कि जीएसटी का मूल उद्देश्य कराधान को सरल बनाना और राज्यों को समान अधिकार देना था, लेकिन वास्तविकता में यह आम व्यापारियों और उपभोक्ताओं के लिए बोझ साबित हुआ।
चिदंबरम ने भी इसी बात को दोहराते हुए कहा कि यदि सरकार समय रहते सुधार करती तो लाखों छोटे कारोबार बच सकते थे और उपभोक्ताओं पर अनावश्यक दबाव नहीं पड़ता।
राजनीतिक हलचल
चिदंबरम का यह बयान ऐसे समय में आया है जब विपक्ष पहले से ही महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरने में जुटा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस, जीएसटी दरों में बदलाव के मुद्दे को आगामी चुनावों में जनता तक ले जाने की तैयारी कर रही है।
विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि सरकार द्वारा अब किया गया यह सुधार विपक्ष के लिए हथियार बन सकता है, क्योंकि इससे यह तर्क मजबूत होता है कि आठ साल तक सरकार गलत नीतियों पर अड़ी रही।
जनता और कारोबारी वर्ग की उम्मीदें
छोटे व्यापारी और उद्योगपति लंबे समय से जीएसटी दरों को लेकर राहत की मांग करते आ रहे थे। अब जब दरों में संशोधन किया गया है, तो उन्हें उम्मीद है कि इससे कारोबार सुगम होगा और बाजार में रौनक लौटेगी। हालांकि, आलोचक यह भी कहते हैं कि सिर्फ दरों में बदलाव काफी नहीं है, बल्कि जीएसटी की पूरी व्यवस्था को सरल और पारदर्शी बनाने की जरूरत है।
पी. चिदंबरम के बयान ने एक बार फिर जीएसटी को लेकर बहस छेड़ दी है। जहां एक ओर सरकार अपने फैसले को सुधार की दिशा में कदम बता रही है, वहीं विपक्ष इसे अपनी पुरानी दलीलों की पुष्टि के रूप में देख रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जीएसटी सुधार का राजनीतिक और आर्थिक असर किस हद तक दिखाई देता है।
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