समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 8 अक्टूबर: सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस बीआर गवई पर हुई जूता फेंकने की घटना ने देशभर में चर्चा का विषय बना दिया है। इस हमले की कड़ी निंदा की जा रही है और आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता अरविंद केजरीवाल ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
केजरीवाल ने कहा कि चीफ जस्टिस ने इस मामले को नजरअंदाज करते हुए उस व्यक्ति के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने इसे जस्टिस गवई की महानता बताया। केजरीवाल ने चेताया कि यह घटना न्यायपालिका को गंभीर संदेश देती है और सवाल उठाया कि यदि चीफ जस्टिस सुरक्षित नहीं हैं, तो अन्य जज कैसे सुरक्षित रहेंगे।
Justice Gavai decided to leave the matter and not act against the person who tried to throw shoe at him. This is indeed his greatness.
However, the whole incident has sent a chilling message to the entire judiciary. That if anyone can get away with throwing shoe at CJI, then…
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) October 8, 2025
सोशल मीडिया पर केजरीवाल की प्रतिक्रिया
केजरीवाल ने सोशल मीडिया पर लिखा कि जिस तरह से चीफ जस्टिस गवई का मजाक उड़ाया जा रहा है और उन्हें धमकाया जा रहा है, यह कोर्ट को डराने की सुनियोजित कोशिश प्रतीत होती है। उन्होंने कहा कि कोर्ट को इन गुंडों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो न्यायपालिका की स्वतंत्रता और गरिमा दोनों को खतरा होगा।
उन्होंने आगे कहा कि जूता फेंकने वाले व्यक्ति और उन्हें धमकाने वालों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी न्यायपालिका के साथ खिलवाड़ करने की हिम्मत न करे।
आप नेताओं का समर्थन
AAP विधायक सौरभ भारद्वाज ने केजरीवाल के विचारों का समर्थन करते हुए जूता फेंकने वाले व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। मनीष सिसोदिया ने भी केजरीवाल के ट्वीट को साझा करते हुए कहा कि यदि ऐसे हमलावर बच गए, तो भविष्य में कोई भी जज सुरक्षित नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे हमलों के खिलाफ कठोर सजा आवश्यक है, अन्यथा न्यायपालिका की गरिमा को खतरा होगा।
घटना का विवरण
यह घटना तब हुई जब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वकील राकेश किशोर ने चीफ जस्टिस पर जूता फेंकने का प्रयास किया। हालांकि, सुरक्षा कर्मियों ने उसे तुरंत रोक लिया। चीफ जस्टिस ने घटना को नजरअंदाज करते हुए कोर्ट में शांति बनाए रखने की अपील की और जूता फेंकने वाले व्यक्ति को माफ कर दिया।
इस घटना ने न्यायपालिका की सुरक्षा और स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। विशेषज्ञों और नेताओं का मानना है कि न्यायपालिका की गरिमा बनाए रखने के लिए ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई आवश्यक है, ताकि भविष्य में कोई भी न्यायपालिका के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश न कर सके।
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