तेजस्वी यादव का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला: “65% आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल क्यों नहीं?”

समग्र समाचार सेवा,

पटना, 9 जून: बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एनडीए सरकार पर तीखा हमला बोला है। इस बार निशाना बना है 65% आरक्षण सीमा को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल कराने में विफलता।

सोमवार को तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर एक जोरदार पोस्ट कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जवाब मांगा कि उन्होंने अब तक इस अहम मुद्दे पर चुप्पी क्यों साध रखी है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने उनके पहले भेजे गए पत्र का कोई उत्तर नहीं दिया।

“क्या नीतीश जी पत्र नहीं पढ़ते या जवाब देने से डरते हैं?”

तेजस्वी ने सवाल उठाया:

“क्या नीतीश जी ने मेरे पत्र का जवाब इसलिए नहीं दिया क्योंकि उनके पास कोई उत्तर नहीं है, या वे हमेशा ऐसा करते हैं, या अधिकारी उन्हें पत्र दिखाते ही नहीं?”

यह बयान 5 जून को भेजे गए उस पत्र के संदर्भ में आया है, जिसमें तेजस्वी ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया था कि बिहार सरकार द्वारा लागू की गई 65% आरक्षण नीति को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाया जाए।

एनडीए के दलित-पिछड़ा नेताओं पर भी निशाना

तेजस्वी ने एनडीए के प्रमुख नेताओं, जैसे केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, और उपेंद्र कुशवाहा पर भी हमला किया। उन्होंने कहा:

“जो दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के अधिकारों की बात करते हैं, उन्हें बताना चाहिए कि वे हमारी सरकार द्वारा बढ़ाए गए आरक्षण कोटे को 9वीं अनुसूची में क्यों नहीं शामिल करवा सके।”

तेजस्वी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि राजनीति केवल कुर्सी के लिए नहीं होती, बल्कि सामाजिक न्याय और जनहित की जिम्मेदारी के लिए होती है।

“अगर इतनी छोटी मांग भी पूरी नहीं कर सकते तो राजनीति में रहने का क्या मतलब?”

तेजस्वी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य शीर्ष नेताओं की ओर इशारा करते हुए कहा:

“अगर प्रधानमंत्री और उनके सहयोगी नेता इतनी छोटी सी मांग — 65% आरक्षण को संवैधानिक सुरक्षा देने — को भी पूरा नहीं कर सकते, तो उनका राजनीति में रहना धिक्कार योग्य है।”

उन्होंने सुझाव दिया कि नीतीश कुमार को इस विषय पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाना चाहिए ताकि इस मुद्दे पर सरकार की स्थिति साफ हो सके।

कानून व्यवस्था और स्वास्थ्य सेवाओं पर भी सरकार को घेरा

तेजस्वी यादव ने केवल आरक्षण के मुद्दे पर ही नहीं, बल्कि बिहार में कानून व्यवस्था और स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को लेकर भी राज्य सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा:

“बिहार में अपराधी बेलगाम हैं। रोज नई घटनाएं हो रही हैं, और पुलिस बेबस नजर आती है। सरकार सो रही है। बलात्कार की घटनाएं बढ़ रही हैं, और डिप्टी सीएम केवल वादे कर रहे हैं। यह ‘महा-जंगलराज’ है।”

आरएसएस-भाजपा के समर्थन में खड़े नेताओं पर भी टिप्पणी

तेजस्वी ने आरएसएस और भाजपा के समर्थन में खड़े नेताओं को “अवसरवादी” करार देते हुए कहा कि उन्हें अब बिहार की न्यायप्रिय जनता की आवाज़ समझनी होगी। उन्होंने अपने पोस्ट के अंत में जनता से आह्वान किया कि वे इस मुद्दे को लेकर जागरूक और मुखर बनें।

तेजस्वी यादव ने एक बार फिर नीतीश कुमार सरकार की नीतियों, निष्क्रियता और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर कथित चुप्पी को लेकर हमलावर रुख अपनाया है।
जहां एक ओर 65% आरक्षण को संवैधानिक सुरक्षा दिलाने की मांग राजनीतिक दबाव का बड़ा बिंदु बन सकती है, वहीं दूसरी ओर कानून व्यवस्था और सामाजिक सुरक्षा जैसे मुद्दे 2025 की राजनीति के केंद्र में आते दिख रहे हैं।

अब निगाहें इस बात पर हैं कि क्या नीतीश कुमार इस चुनौतीपूर्ण सवाल पर कोई प्रतिक्रिया देते हैं, या यह मुद्दा बिहार की आगामी सियासत में और भी तीखा मोड़ लेता है।

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