त्रिपुरा में बाल विवाह सभी समुदायों को प्रभावित करता है: मुख्यमंत्री माणिक साहा

समग्र समाचार सेवा
अगरतला,9 अप्रैल।
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा ने बाल विवाह जैसी गहराई से जमी सामाजिक कुरीति के खिलाफ सख्त अपील करते हुए कहा कि यह समस्या किसी एक समुदाय तक सीमित नहीं है, बल्कि राज्य के सभी वर्गों में व्याप्त है और यह सबसे गंभीर सामाजिक चुनौतियों में से एक है।

सोमवार को त्रिपुरा हेपेटाइटिस फाउंडेशन द्वारा आयोजित विश्व स्वास्थ्य दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया कि बाल विवाह राज्य के किसी एक समुदाय की नहीं, बल्कि समाज के हर हिस्से की समस्या है।

“जब मैंने कुछ जिलों में बाल विवाह के मामलों की रिपोर्ट सुनी, तो मैंने समुदाय-विशेष आंकड़ों की मांग की,” मुख्यमंत्री ने कहा। “लेकिन जो डेटा मिला, उसने मुझे चौंका दिया — यह कुप्रथा सभी समुदायों में पाई गई। इसे रोकना ही होगा।”

डॉ. साहा ने बाल विवाह के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक दुष्परिणामों को रेखांकित करते हुए चेताया कि कम उम्र में विवाह जीवनभर के स्वास्थ्य संकट पैदा कर सकता है, चाहे लड़का हो या लड़की। उन्होंने यह भी कहा कि यह प्रथा शिक्षा और करियर की संभावनाओं में बाधा डालती है और राज्य के विकास में एक बड़ा रोड़ा है।

“अल्पवयस्क बच्चे विवाह और माता-पिता बनने की जिम्मेदारियों के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार नहीं होते। यह प्रथा पुरानी सामाजिक परंपराओं पर आधारित है और इसे खत्म करना होगा,” उन्होंने कहा।

मुख्यमंत्री ने समाज के सभी वर्गों — समुदाय के नेताओं, अभिभावकों, शिक्षकों और युवाओं — से इस बुराई को समाप्त करने के लिए एकजुट होने की अपील की। उन्होंने कहा कि केवल कानून लागू करना पर्याप्त नहीं है; समाज को सोच और व्यवहार में भी व्यापक और सतत बदलाव लाना होगा।

बाल विवाह के साथ-साथ मुख्यमंत्री ने त्रिपुरा में बढ़ते नशे के दुरुपयोग को लेकर भी चिंता जताई, खासकर युवाओं में इसकी बढ़ती प्रवृत्ति पर। उन्होंने राज्य के अन्य क्षेत्रों में विकास को स्वीकारते हुए आगाह किया कि नशा और बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराइयां अब भी गंभीर चुनौती बनी हुई हैं।

मुख्यमंत्री ने बताया कि नशे की समस्या से निपटने के लिए सरकार पुनर्वास केंद्रों में भारी निवेश कर रही है। उत्तर-पूर्व क्षेत्र विकास मंत्रालय (DoNER) ने त्रिपुरा में अत्याधुनिक वैज्ञानिक नशा पुनर्वास केंद्रों की स्थापना के लिए ₹150 करोड़ की मंजूरी दी है।

“प्रभावी पुनर्वास और जन-जागरूकता बेहद ज़रूरी है। हम नशे की गिरफ्त में आए लोगों के लिए एक मजबूत सहयोग तंत्र खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं,” उन्होंने कहा।

अपने भाषण में मुख्यमंत्री ने त्रिपुरा के स्वास्थ्य क्षेत्र की प्रगति की भी सराहना की। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे राज्य के भीतर बेहतर हो रही स्वास्थ्य सुविधाओं पर विश्वास करें, क्योंकि अब यहां सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर और क्रिटिकल केयर सेवाएं उपलब्ध हो रही हैं।

“त्रिपुरा में स्वास्थ्य सुविधाएं तेजी से बेहतर हो रही हैं। मैं चाहता हूं कि लोग इलाज के लिए बाहर जाने की बजाय राज्य के ही अस्पतालों में सेवाएं लें,” उन्होंने कहा।

जैसे-जैसे त्रिपुरा आधुनिकता की ओर बढ़ रहा है, मुख्यमंत्री का यह भाषण एक गंभीर याद दिलाता है कि असली तरक्की सिर्फ आर्थिक विकास और बुनियादी ढांचे से नहीं, बल्कि समाज में गहरे पैठी कुरीतियों को खत्म करने से आती है।

मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और जनभागीदारी के साथ, सरकार एक प्रगतिशील, स्वस्थ और समानता से परिपूर्ण भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा रही है।

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