त्रिदीब रमण
’जब इसां की अपनी पहचान पर वोट चस्पां हो जाता है
उसकी सूरत मिट जाती है, वह एक गिनती रह जाता है’
एक पुरानी तुर्किश कहावत है-’जंगल कट रहे थे, फिर भी सारे पेड़ कुल्हाड़ी को ही वोट दे रहे थे, क्योंकि पेड़ सोच रहे थे कि कुल्हाड़ी में लगी लकड़ी उनके समाज की है।’ आने वाले चंद महीनों में मध्य प्रदेश में भी वोट पड़ने हैं, सो तुर्किश कहावत यहां भी दुहराने की तैयारी है। मध्य प्रदेश की राजनीति में एसटी और एससी समाज के वोट बहुत मायने रखते हैं, क्योंकि यहां की 47 विधानसभा की सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए और 35 सीटें अनुसूचित जाति के लोगों के लिए रिजर्व है, देखें तो सीटों की यह कुल गिनती 82 है, जो राज्य में किसी पार्टी को हराने या जिताने के लिए गिनती बल के लिहाज से काफी है। बुंदेलखंड, मालवा, ग्वालियर-चंबल संभाग अंचल अनुसूचित जाति के वर्चस्व वाला क्षेत्र है। इन्हें लुभाने के लिए कांग्रेस के पूर्व सांसद व यहां के मौजूदा जिलाध्यक्ष आनंद अहीरवार पिछले दो महीनों से सागर जिले के नरियावली विधानसभा क्षेत्र में एक बड़ी रैली करने की तैयारियों में जुटे थे, यह रैली 13 अगस्त को प्रस्तावित थी, जिसमें कमलनाथ समेत कांग्रेस के कई बड़े नेता शिरकत करने वाले थे। अहीरवार जब यहां के सांसद चुने गए थे तो अपने क्षेत्र में उस वक्त एक तेलशोधन रिफाइनरी लगवाने में कामयाब रहे थे, इस नाते भी उनकी क्षेत्र में थोड़ी-बहुत धाक है। कांग्रेस की रैली की धमक को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नहले पर दहला दे मारा। उन्होंने 12 अगस्त को नरियावली में ही 100 करोड़ रूपयों की लागत से बनने वाले संत रविदास मंदिर के शिलान्यास के लिए पीएम मोदी को यहां आने के लिए मना लिया, चौहान ने 8 फरवरी को यहां एक भव्य मंदिर बनाने की घोषणा की थी। अब यहां 12 अगस्त को पीएम के आने का इतना शोर शराबा है कि कांग्रेस को अपनी 13 अगस्त की प्रस्तावित सभा रद्द करनी पड़ रही है। जेपी अग्रवाल से लेकर कमलनाथ तक ने अहीरवार से बात कर उनसे रैली की डेट आगे ले जाने को कहा है।
क्या होगा राहुल की आगे की यात्रा का?
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल की सदस्यता रद्द होने के मामले में राष्ट्र के समक्ष एक अतुलनीय नज़ीर पेश किया है। इस सुप्रीम नजरिए के प्रतिपादन के बाद से ही कांग्रेस के हौंसले सातवें आसमान पर हैं। अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह चाहते हैं कि ’राहुल गांधी अब अपनी भारत जोड़ो यात्रा के समापन सत्र का आगाज़ करें’, राहुल की यह प्रस्तावित यात्रा गुजरात के पोरबंदर से लेकर पूर्वोत्तर भारत तक पहुंचनी है, ’पोरबंदर से पूर्वोत्तर’ की यह चार हजार किलोमीटर की यात्रा गांधी जयंती के दिन 2 अक्टूबर से शुरू होकर फरवरी 2024 तक चलनी है। पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कांग्रेस के ज्यादातर बड़े नेता राहुल को यह समझाने में जुटे हैं कि ’उनको अपने आपको पूरी तरह इस यात्रा में झोंकने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आने वाले कुछ महीनों में ही यानी अप्रैल-मई 2024 में देश में आम चुनाव की बेला आ सकती है, और उसके लिए राहुल को देश के अलग-अलग हिस्सों में घूम कर कांग्रेस के पक्ष में अलख जगाने की जरूरत होगी। भाजपा के खिलाफ एक देशव्यापी माहौल बनाने की जरूरत होगी।’ उस वक्त संसद का शीतकालीन सत्र भी चल रहा होगा, जहां राहुल एक बड़े मंच पर अपनी बात रख सकते हैं। कांग्रेस रणनीतिकारों का मानना है कि ’राहुल को इस मामले में मोदी की ‘गुरिल्ला प्रचार नीति’ का ही अनुसरण करना होगा, जैसा कि उन्होंने हरियाणा के किसानों के साथ बीज बोने के उपक्रम के साथ किया था। उनकी ऐसी पहल ही ज्यादा से ज्यादा लोगों को कांग्रेस के विचारों के साथ जोड़ेगी’, पर इस बारे में अभी राहुल का अंतिम निर्णय आना बाकी है।
विपक्षी किले में सेंध लगाती भाजपा
राज्यसभा में विपक्ष मणिपुर हिंसा पर संसद में नियम 267 के तहत बहस चाहता था, इस नियम में सदन में पूरे दिन की लंबी बहस के बाद वोटिंग का प्रावधान है, इसमें कायदे से सदन में प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी भी अपरिहार्य थी। वहीं सत्ता पक्ष यानी भाजपा नियम 176 के अंतर्गत बहस के लिए तैयार थी, इस नियम में चर्चा के लिए 150 मिनट का वक्त मिलता है। पर, रूल 267 के तहत चर्चा इसीलिए भी मायने रखती है कि राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर चर्चा के लिए इस नियम में अन्य बातों की चर्चा पर रोक लग जाती है। पर राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि ’उन्हें विभिन्न दलों के सांसदों से नियम 176 के तहत ही चर्चा की मांग की गई थी, जिसे उन्होंने मान लिया है और इसके लिए समय भी आबंटित कर दिया गया है।’ तब विपक्षी नेताओं ने धनखड़ से कहा कि ’वे उन्हें नियम 267 के तहत चर्चा के लिए एक फ्रेश नोटिस दे रहे हैं?’ पर धनखड़ नहीं माने। अब विपक्षी खेमा उन दलों के नेताओं की पड़ताल कर रहा है जो सत्ता पक्ष के झांसे में आकर रूल 176 के तहत चर्चा के लिए तैयार हो गए, क्या यह विपक्ष का ’सेल्फ गोल’ था?
ऐरन को आइना
यूपी विधानसभा चुनाव जनवरी 2022 के वक्त कांग्रेस के पूर्व सांसद प्रवीण सिंह ऐरन कांग्रेस छोड़ अपनी पत्नी व पूर्व महापौर सुप्रिया ऐरन के साथ सपा में शामिल हो गए थे, तब उन्हें अंदाजा हो रहा था मौसम बदलेगा और ये मौजूदा समां भी। पर ऐसा कुछ हुआ नहीं। अब हवा का बदला रुख भांपते वे वापिस कांग्रेस का द्वार खटखटा रहे हैं। ऐरन पिछले काफी समय से सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से मिलने का वक्त मांग रहे थे, पर अखिलेश के ऑफिस से उनसे कहा गया कि ’वे अपनी बात सपा के यूपी प्रदेश अध्यक्ष नरेश पटेल उत्तम के समक्ष रख सकते हैं।’ सूत्रों की मानें तो ऐरन नरेश पटेल से मिलने सपा के लखनऊ दफ्तर पहुंचे और अपने लिए लोकसभा सीट की मांग करने लगे। कहते हैं बदले में नरेश उत्तम ने उनसे कहा कि ’आपकी पत्नी को सपा का टिकट दिया जाना ही पार्टी की एक भूल थी, इससे पूरे बरेली क्षेत्र में हमारी पार्टी का कैडर टूट गया। लोकसभा चुनाव में हम पार्टी का और नुकसान नहीं कर सकते।’ वहां से अपना सा मुंह लेकर लौट आए ऐरन, उन्होंने बाहर निकल कर अपने पुराने मित्र सलमान खुर्शीद को फोन किया और उनसे मिलने का समय मांगा। फिर ऐरन सलमान से मिलने उसी रोज दिल्ली पहुंच गए। सलमान ने ऐरन के समक्ष एक शर्त रखी और कहा कि ’कांग्रेस में एंट्री से पहले उन्हें यह लिख कर देना होगा कि नेहरू युवा सेंटर से उनका कोई लेना-देना नहीं’, ऐरन से ‘अनकंडीशनल लेटर’ मिलने के बाद अब नेहरू युवा सेंटर की निगरानी एआईसीसी कर रही है। सलमान ने ऐरन को भरोसा दिलाया है कि ’वे उनकी घर वापसी को लेकर खड़गे जी से बात कर रहे हैं, तब तक वे शांति से बैठें।’
क्या नाना पटोले बदले जाएंगे?
कांग्रेस संगठन में एक व्यापक फेरबदल के कयास हैं, इस कड़ी में कई प्रदेश अध्यक्षों को बदले जाने की भी बात चल रही है। इसके सबसे ताजा शिकार महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले हो सकते हैं। महाराष्ट्र के बदले घटनाक्रम को देखते हुए कांग्रेस हाईकमान ने वहां के सीएलपी लीडर बाला साहेब थोराट से कहा है कि ’वे नेता प्रतिपक्ष के लिए विजय वडेट्टीवार का नाम प्रस्तावित करें’, यह जगह अजित पवार के पाला बदलने से खाली हुई है। सो यह तय माना जा रहा है कि अब महाराष्ट्र सदन में नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार होंगे। पर अब कांग्रेस के समक्ष एक धर्मसंकट भी उत्पन्न हो गया है चूंकि नाना पटोले भी विदर्भ क्षेत्र से आते हैं और अब नेता प्रतिपक्ष बनने वाले विजय वडेट्टीवार भी विदर्भ के ही रहने वाले हैं। सो, नाना पटोले की कुर्सी जानी तय मानी जा रही है। कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए अशोक चव्हाण का नाम निकल कर सामने आ रहा है। वे इस मामले में छुपे रूस्तम साबित हुए।
…और अंत में
मणिपुर हिंसा को लेकर विपक्ष लगातार वहां के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को हटाए जाने की मांग कर रहा है। अब इस कड़ी में भाजपा के अपने लोग भी शामिल हो गए हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता और हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने मणिपुर हिंसा को राष्ट्रीय शर्म बताया है और वहां के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को हटा कर वहां राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। वहीं भाजपा से जुड़े एक विश्वस्त सूत्र का दावा है कि भाजपा शीर्ष बीरेन सिंह को हटाए जाने का पक्षधर नहीं, सो 2024 के चुनाव तक उन्हें बनाए रखा जा सकता है। शायद यह वोटों के ध्रुवीकरण से लाभ लेने की सोच हो। (एनटीआई-gossipguru.in)
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