गलवान के बाद पहली बार चीन दौरे पर जा सकते हैं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, द्विपक्षीय संबंधों में दिखी नरमी
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 15 जून: साल 2020 के गलवान संघर्ष के बाद भारत और चीन के रिश्तों में आए तनाव के बीच अब संधि और सहयोग की नई दिशा बनती दिखाई दे रही है। इसी क्रम में देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस महीने के अंत में चीन के किंगदाओ शहर में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने जा सकते हैं।
यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह गलवान संघर्ष के बाद उनकी पहली चीन यात्रा होगी। साथ ही, यह दोनों देशों के बीच सीमा समझौते के बाद पहली उच्चस्तरीय द्विपक्षीय बैठक मानी जा रही है।
SCO शिखर बैठक: सहयोग का नया अवसर
इस वर्ष SCO की मेजबानी चीन कर रहा है और उसने भारत के रक्षा मंत्री को इस सम्मेलन के लिए औपचारिक आमंत्रण भेजा है। अगर यह यात्रा होती है, तो यह सिर्फ एक राजनयिक भागीदारी नहीं होगी, बल्कि सीमा तनाव के बाद संबंधों की पुनर्स्थापना की दिशा में एक बड़ा कदम माना जाएगा।
अक्टूबर 2024 में भारत-चीन के बीच हुए सीमा समझौते के तहत दोनों देशों ने पूर्वी लद्दाख में गश्त को फिर से शुरू करने और सैनिकों की चरणबद्ध वापसी पर सहमति दी थी।
रक्षा मंत्रियों के बीच संभावित बातचीत
राजनाथ सिंह की चीन के रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जुन से पिछली मुलाकात लाओस में ADMM-Plus शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी। वहां दोनों नेताओं के बीच सीमा से सैनिक हटाने और तनाव कम करने पर महत्वपूर्ण सहमति बनी थी।
अब यह बैठक सीमा समझौते की समीक्षा, सैन्य संवाद के स्थायी तंत्र, और अन्य रक्षा सहयोग के पहलुओं पर चर्चा के लिए मंच बन सकती है।
द्विपक्षीय संबंधों की बहाली की पहल
राजनाथ सिंह की संभावित यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत और चीन के बीच सामान्य संबंधों को बहाल करने के प्रयास तेज हो चुके हैं। दोनों देशों के बीच इन मुद्दों पर बातचीत की संभावना है:
- कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करना
- हवाई संपर्क को पुनः स्थापित करना
- जल संबंधी आंकड़ों का आदान-प्रदान
- वीजा सुविधा और लोगों के बीच संपर्क को सहज बनाना
ये सभी पहलें यह संकेत देती हैं कि दोनों देश न केवल सैन्य तनाव को पीछे छोड़ना चाहते हैं, बल्कि सांस्कृतिक और कूटनीतिक सेतु भी फिर से जोड़ना चाह रहे हैं।
भारत ने दोहराया SCO में चीन को समर्थन
भारत ने SCO में चीन की अध्यक्षता को समर्थन देने की प्रतिबद्धता को भी दोहराया है। हाल ही में दिल्ली में भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री और चीनी उपविदेश मंत्री सुन वेइदोंग के बीच हुई बातचीत में यह समर्थन विशेष रूप से रेखांकित किया गया।
अगर रक्षा मंत्री का यह दौरा फाइनल होता है, तो यह भारत और चीन के बीच सहयोग और संवाद की वापसी का स्पष्ट संकेत होगा।
संवाद के रास्ते पर बढ़ते भारत-चीन
जहां गलवान संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच विश्वास की खाई चौड़ी हो गई थी, अब वही देश सुरक्षा, विश्वास और साझेदारी के रास्ते पर लौटने की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की संभावित चीन यात्रा निश्चित रूप से भारत-चीन संबंधों में एक नया अध्याय खोल सकती है — जहां टकराव के बजाय सहयोग को प्राथमिकता दी जाए।
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