देसी हथियारों के दम पर होगा चीन-पाकिस्तान का मुकाबला! सुरक्षा क्षेत्र के लिए कई अहम घोषणाएं

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 1 फरवरी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज वित्त वर्ष 2022-23 का बजट पेश किया। इस दौरान उन्होंने रक्षा क्षेत्र के लिए कई अहम घोषणाएं की। उन्होंने डिफेंस सेक्टर में आयात घटाने और देश को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया।वित्त मंत्री ने कहा कि डिफेंस सेक्टर में शोध एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए प्राइवेट सेक्टर, स्टार्ट-अप कंपनियों और अकेडमिक जगत की भागीदारी बढ़ाई जाएगी। सीतारमण ने कहा कि 25 फीसदी आरएंडडी बजट के साथ डिफेंस आरएंडडी को इंडस्ट्री, स्टार्टअप्स और एकैडेमिया के लिए खोला जाएगा। सैन्य साजोसामान बनाने के लिए प्राइवेट इंडस्ट्री को प्रोत्साहित किया जाएगा।

68 फीसदी खरीदारी घरेलू इंडस्ट्री से की जाएगी

प्राइवेट इंडस्ट्री डीआरडीओ (डीआरडीए) और दूसरे संगठनों के साथ मिलकर काम कर सकेंगी। 2022-23 में डिफेंस में 68 फीसदी कैपिटल प्रॉक्योरमेंट बजट घरेलू इंडस्ट्री के लिए रखा गया है जो पिछले वित्त वर्ष में 58 फीसदी था। यानी अगले वित्त वर्ष में 68 फीसदी खरीदारी घरेलू इंडस्ट्री से की जाएगी।

आत्मनिर्भर बनना क्यों है जरूरी

भारत रक्षा साजोसामान का दूसरा सबसे बड़ा आयातक है। कहा जाता है कि जो देश डिफेंस इक्विपमेंट के आयात पर निर्भर रहता है, वह कभी भी मजबूत नहीं बन सकता है। इसलिए देश के आत्म सम्मान के लिए डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भर बनना बहुत जरूरी है। हाल में सरकार ने कई रक्षा सौदों पर मुहर लगाई है, लेकिन दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर सेना के लिए इतने इंतजाम अब भी नाकाफी हैं।

पिछले साल का रक्षा बजट 4.78 लाख करोड़ रुपये था

पिछले साल सरकार ने रक्षा बजट 4.78 लाख करोड़ रुपये का रखा था। उससे पहले साल 2020-2021 में यह बजट 4.71 लाख करोड़ रुपये का था। चीन से सीमा पर बढ़ रहे तनाव के मद्देनजर रक्षा बजट में खासी बढ़ोतरी का अंदाजा लगाया गया था। देश के रक्षा बजट का बड़ा हिस्सा सैनिकों के वेतन और पूर्व सैनिकों की पेंशन में चला जाता है। इसके बाद बची रकम से सेना की सभी जरूरतें पूरी नहीं हो पाती हैं।

जानें बड़ी घोषणाएं

–    रक्षा क्षेत्र के लिए पूंजीगत खरीद बजट का 68 फीसद आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए खर्च होगा

–    रक्षा उपकरणों के आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए घरेलू उद्योग पर निर्भरता बढ़ाई जाएगी.

–    पूंजीगत बजट पिछले वित्त वर्ष के 58 फीसदी से बढ़कर अब 68 फीसद कर दिया गया है.

–    रक्षा क्षेत्र में केंद्र की मोदी सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ और ‘मेक फार द वर्ल्‍ड’ पर जोर दिया है.

–    इस वित्त वर्ष में ‘मेक इन इंडिया’ के जरिए इस क्षेत्र में दूसरे विकल्‍पों को तलाशा जाएगा.

–    बजट में रक्षा क्षेत्र को मजबूती देने के लिए विकास और अनुसंधान पर विशेष बल दिया गया.

–    डीआरडीओ को 25 फीसद अधिक धनराशि दी जाएगी

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