दिल्ली दंगे पर दावाः 9/11 आतंकी हमले की तरह दिल्ली में रची गई साजिश

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 29 जनवरी। फरवरी, 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे की साजिश की तुलना अभियोजन पक्ष ने अमेरिका के 9/11 आतंकी हमले से की है। शुक्रवार को जेएनयू छात्र उमर खालिद की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अमित प्रसाद ने कोर्ट में कहा कि 9/11 आतंकी हमले की साजिश मलेशिया में रची गई। उसका प्रमुख साजिशकर्ता कभी अमेरिका नहीं गया। केवल वही लोग अमेरिका गए, जिन्होंने घटना को अंजाम दिया था। ठीक उसी तरह उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे की साजिश रची गई।

वाट्सएप चैट का दिया गया हावाला

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के कोर्ट में सुनवाई के दौरान अमित प्रसाद ने अपनी दलीलों के पक्ष में साक्ष्य के तौर पर कई वाट्सएप चैट पेश किए, जो उमर खालिद को संबोधित थे। उन्होंने कहा कि बचाव पक्ष के वकील त्रिदीप पेस द्वारा वेब सीरीज ‘ट्रायल आफ द शिकागो-7’ का जिक्र करना उतना उचित नहीं, जितना कि इस दंगे की साजिश को समझने के लिए अमेरिका की 9/11 की घटना प्रासंगिक है। उन्होंने वाट्सएप चैट के अंश को पेश कर बताया कि किस तरह उमर खालिद जाफराबाद में बांटे गए पर्चे तैयार कर रहा था। पर्चे धरनास्थल के अलावा मस्जिदों के इमामों को नमाज के दौरान खुतबा पढ़ने के लिए दिए गए थे।

सीएए-एनआरसी विरोध मात्र नाटक

अमित प्रसाद ने कहा कि उमर खालिद के लिए नागरिकता संशोधन कानून व राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर का विरोध तो बहाना था। असल में उसे तीन तलाक कानून बनने, अनुच्छेद 370 हटने और अयोध्या के विवादित ढांचे का दर्द था। इस संदर्भ में उन्होंने अमरावती की एक सभा में उमर खालिद के संबोधन का वीडियो चलवाया। उन्होंने उमर और शरजील इमाम के बीच की कड़ी जोड़ते हुए कहा कि शरजील भी अपने भाषणों में यही बातें कहता आया है। इससे पहले हुई सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने कहा था कि उमर खालिद ने कोई गोपनीय बैठक नहीं की, जो बैठकें हुईं, वह सार्वजनिक थीं।

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