जलवायु न्याय के माध्यम से ही जलवायु परिवर्तन से लड़ा जा सकता है- उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने 13वें एशिया-यूरोप शिखर सम्मेलन के रिट्रीट सत्र को संबोधित किया
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 27नवंबर। उपराष्ट्रपति, श्री एम. वेंकैया नायडु ने 26नवंबर को दो दिवसीय एशिया-यूरोप शिखर सम्मेलन (एएसईएम) के रिट्रीट सत्र को संबोधित किया, जो 25 नवंबर को वर्चुअल प्रारूप में शुरू हुआ, जिसका विषय “साझा विकास के लिए बहुपक्षवाद को मजबूत करना” था। उपराष्ट्रपति ने शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र में भी अपनी बात रखी थी।
The Vice President, Shri M. Venkaiah Naidu virtually addressing the Retreat Session of the 13th ASEM Summit today. #ASEM13 pic.twitter.com/Uci0lYpYEq
— Vice President of India (@VPSecretariat) November 26, 2021
रिट्रीट सत्र में, श्री नायडु ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने वर्तमान वैश्विक प्रणाली, विशेष रूप से स्वास्थ्य प्रणाली और आपूर्ति श्रृंखला में कई कमियों को सामने लाया है और इन अंतरालों को दूर करने के लिए एक बहुपक्षीय और सहयोगात्मक दृष्टिकोण का आह्वान किया है। कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भारत के योगदान के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया की आबादी के छठे हिस्से में संक्रमण के फैलाव को नियंत्रित करके, भारत ने दुनिया को सुरक्षित बनाने में योगदान दिया है। एक अरब से अधिक टीकाकरण के मील के पत्थर का उल्लेख करते हुए, श्री नायडु ने कहा कि भारत जरूरतमंद देशों को टीकों के वैश्विक निर्यात को फिर से शुरू करने की प्रक्रिया में है।
तेजी से वैश्वीकृत दुनिया में समुद्री सुरक्षा के महत्व पर जोर देते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि महासागर समृद्धि के मार्ग हैं और यह महत्वपूर्ण है कि उनकी पहुंच पारंपरिक और गैर-पारंपरिक दोनों तरह के खतरों से मुक्त और सरल रहे। इस संबंध में, उन्होंने भारत के दृष्टिकोण को परिभाषित करने वाले पांच सिंद्धातों का उल्लेख किया जिसमें मुक्त, खुले और सुरक्षित समुद्री व्यापार, अंतर्राष्ट्रीय कानून के आधार पर समुद्री विवादों का शांतिपूर्ण समाधान, प्राकृतिक आपदाओं और समुद्री खतरों के सामूहिक निपटान, समुद्री पर्यावरण और समुद्री संसाधनों के संरक्षण और प्रोत्साहन सहित देशों की स्थिरता और अवशोषण क्षमता पर आधारित जिम्मेदार समुद्री संपर्क शामिल है।
श्री नायडु ने कहा कि महामारी के बाद के दौर में एक अलग दुनिया हमारा इंतजार कर रही है। उन्होंने कहा, “यह वह है जो विश्वास और पारदर्शिता, लचीलापन और विश्वसनीयता के साथ-साथ विकल्पों और अतिरेक पर भी अधिक महत्व डालता है।“ उन्होंने कहा कि एशिया और यूरोप के देशों को एक साथ लाने वाली एएसईएम प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका है। इस अवसर पर, उन्होंने इस क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास सुनिश्चित करने के लिए एकजुटता की भावना से अपने अनुभव और संसाधनों को दुनिया के साथ साझा करने की भारत की प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की।
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