समग्र समाचार सेवा
लखनऊ, 14 अगस्त: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 14 अगस्त 1947 के विभाजन विभीषिका को याद करते हुए कांग्रेस पर सीधा हमला बोला। उन्होंने इसे कांग्रेस की तुष्टिकरण नीति का “काला अध्याय” बताते हुए कहा कि इस भीषण त्रासदी ने सनातन भारत की एकता को तोड़कर देश को गहरी पीड़ा दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में इस दिन को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस घोषित कर देश को उसके इतिहास की सच्चाई से जोड़ा। आज पूरा राष्ट्र इस दिन शहीदों और विस्थापितों की पीड़ा को स्मरण कर रहा है।
‘कांग्रेस ने सत्ता के लालच में कराया देश का बंटवारा’
सीएम योगी ने आरोप लगाया कि जहां स्वतंत्रता सेनानियों ने फांसी के फंदे को हंसते-हंसते गले लगाया, वहीं कांग्रेस ने सत्ता की लालसा में देश का विभाजन करा दिया।
उन्होंने कहा कि लाहौर, कराची, रावलपिंडी, मुल्तान जैसे क्षेत्र हिंदू, सिख और बौद्ध विहीन बनाने की सुनियोजित साजिश उसी नीति का नतीजा थी। इस हिंसा में 15 से 20 लाख लोग मारे गए और करोड़ों अपने घर-बार से बेघर हो गए।
विस्थापितों के प्रति उपेक्षा का आरोप
योगी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने विभाजन के दौरान विस्थापित हुए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन और ईसाई समुदाय के लोगों के लिए न तो स्मारक बनाए, न संग्रहालय स्थापित किए।
“उनकी पीड़ा को भुला दिया गया, जबकि यह हमारे इतिहास का सबसे दर्दनाक अध्याय था,” उन्होंने कहा।
उत्तर प्रदेश विधान सभा के मानसून सत्र-2025 में… https://t.co/ORoNnDDH72
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) August 14, 2025
सीएए और शरणार्थियों को अधिकार
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना करते हुए कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के जरिए पहली बार पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए धार्मिक शरणार्थियों को नागरिकता और पुनर्वास का अधिकार मिला।
उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर और अन्य क्षेत्रों में बसे इन लोगों ने भारत के विकास में सक्रिय योगदान दिया है।
“कांग्रेस ने इनकी सुध लेने की बजाय उनकी पीड़ा को अनदेखा किया, लेकिन आज सीएए ने इन्हें नया जीवन दिया है,” योगी ने कहा।
इतिहास से सीखने की जरूरत
सीएम योगी ने कहा कि विभाजन की विभीषिका सिर्फ अतीत की घटना नहीं, बल्कि आज के भारत के लिए एक चेतावनी है। देश को यह समझना होगा कि तुष्टिकरण और सत्ता की राजनीति किस तरह राष्ट्र की एकता को तोड़ सकती है। उन्होंने कहा कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प में यह जरूरी है कि हम इतिहास से सबक लें और ऐसे घटनाक्रम दोहरने न दें।
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