कांग्रेस,सपा,वाम दल व तृणमूल-सब आम जन के लिए सिर्फ शूल

कुमार राकेश
कुमार राकेश

*कुमार राकेश

कांग्रेस,सपा,बसपा,राजद,वाम दल व तृणमूल,सब हो रहे है आम जनता के लिए शूल.देखते जाये ,आगे आगे क्या होता है .जो होगा ,अच्छा होगा,जो हो रहा है ,वो अच्छा ही हो रहा है .भाजपा बम बम है.बाकी दलों में कहाँ दम है .भाजपा में तो ख़म है ,लेकिन अन्य दलों में ऐसा लग रहा है ,पानी ही कम है ,पानी ही नहीं चीनी भी कम है.भाजपा अपने रौ में है तो सब कर रहे भौं-भौं हैं .कहते है ये आवाज़ तो चौकीदारों की होती है परन्तु आजकल ये आवाज़  लंबरदारो व रिश्तेदारो के हैं .जिनके दम पर राजनीति की जा रही है .सबको पता है लंबरदारो व रिश्तेदारो की राजनीति कौन कर रहा हैं .पहले नारा था,सबका साथ,अपनों का विकास.पर अब नारा है ,सबका साथ,सबका विकास ,देश पहले.बाकी सब बकवास.आज का नारा है –न खाऊंगा ,न खाने दूंगा.पहले का नारा था ,खाओ व खाने दो .देश को अभी कम बेचा है ,कुछ ज्यादा बेचने दो .

पर बीते दिनों तो हद ही हो गयी.सच में ऐसा भी होता है क्या.इसे क्या कहा जाये .राजनीतिक दिवालियापन या मूर्खता या साज़िश ..आप कुछ भी कह सकते है .हद है भ्रम की.क्या भ्रम फ़ैलाने को ही राजनीति कहते हैं? भाई साहेब क्या खूब कहा किसी ने.अरे भाई किसी ने क्यों? अखिलेश यादव ने.विदेश से पढ़े लिखे अखिलेश भाई ने.वो भी समाजवादी कहे जाने वाली पार्टी का युवा अध्यक्ष अखिलेश ने ,क्या हो गया है अखिलेश भाई को.कुछ दिमाग तो उपयोग कर लेते .नहीं तो कुछ नरेन्द्र भाई मोदी से ही उधार ले लेते.शायद बुद्धि शायद ठिकाने पर आ जाती.दिमाग को थोडा सुकून मिल जाता .पर क्या करे.वोट की राजनीति से शायद उनकी  बुद्धि विकास में  ताला लग गया है.चाबी पहले मुलायम सिंह जी के पास थी .पर बेटे के बड़े हो जाने पर वो चाबी सिर्फ उनके पुत्र वधु के पास रहती है .ऐसा है क्या .यूँ तो अखिलेश भाई  की पत्नी डिम्पल भाभी भी पढ़ी लिखी, सुन्दर ,सुघड़ व काबिल महिला कही जाती हैं.क्या अखिलेश भाई उनसे भी सलाह मशविरा नहीं किया .शायद नहीं किया होगा.तभी तो ऐसे उलटे पुल्टे बयान दे डाला.कोरोना की दवाई नहीं लेना.वेक्सिन नहीं लेना नहीं तो नपुंसक हो जाओगे.अरे भाई बिना दवाई के तो ऊपर जाने से अच्छा है ऐसा वैसा हो जाना,जबकि ऐसी बात बिलकुल नहीं है .यदि है हिम्मत तो कम से कम ईवीएम की तरह इसकी भी स्वतंत्र जाच करवा ले,और तो और,एक नये नेता के नेता भी उनके साथहो लिए .जी हाँ, यूएन में रहे मीडिया विशेषज्ञ से कांग्रेस नेता में परिणत आकाश  मार्ग से भारत के ख़ूबसूरत प्रदेश केरल पधारे शशि थरूर भी.अब उनको किस बात का गरूर .वो खुद ही ख़ूबसूरत व उनके चहुँ ओर सौंदर्य ही सौन्दर्य .पर देखते जाये थरूर साहब ,अब आपका नशा भी होने  वाला है काफूर.इसलिए बकबास से हो जाये दूर.पर ये क्या पत्रकार से राजनेता बने जयराम भाई भी,उस खाली-पीली मुहिम में.न ऊधो का लेना.न माधो का देना.चित भी मेरी.पट भी मेरी..वो भी  कोरोना की दवाई को लेकर..जबकि उनके दावे है हवाई,पर ऐसे बोल रहे थे कि उन्होंने ही बनायीं वो दवाई.जबकि पूरी कांग्रेस हो गयी है हवाई..हे ईश्वर सबको सद्बुद्धि दो.साथ में कांग्रेस को खासकर.वो तो बेचारे प्रवक्ता गौरव बल्लभ को.थोडा भान  हुआ. कुछ ज्ञान हुआ. तब जाकर कांग्रेस के नेता शांत हुए .कल मंडी हाउस पर एक टिप्पणी सुनने को मिली –कांग्रेस गन्दी वाली राजनीति क्यों कर रही है ? क्यों इतनी जल्दी मरने की तैयारी कर रही है. मरना है तो है ही,मरे तो कम से कम शान से तो मरे देश का नाम लेकर तो मरे.कांग्रेस को तो राष्ट्रहित की तो सोचना चाहिए.क्या पैसा ही सब कुछ है ? देश से बड़ा कुछ भी नहीं होना चाहिए.मेरा भी मानना है .देश से बड़ा कोई भी नहीं.कुछ भी नहीं .राष्ट्र सर्वप्रथम,सर्वदा सर्वप्रथम.

राजद व बसपा का भी कामो बेश वैसा ही हाल है ,जैसे पहले बेहाल थे.राजद के तेजस्वी ने भी  पिछले विधान सभा  चुनाव में 10 लाख सरकारी नौकरियां  कागज़ पर ही बाँट दी थी.वैसे भी उनके पास पैसो की कोई  कमी तो रही नहीं कभी.सपूत पिता के सपूत पुत्र.जो मन में आया बोल दिया.बाकी आम जनता तो सदैव “आम” ही रहा उनके लिए .बहन मायावती के लिए भी .

आज कल के एक नया राजनीतिक ट्रेंड देखने को मिल रहा हैं .एक नए “राजनीतिक फैशन” का ईजाद हुआ है  .सबको पता है फैशन अब पेरिस का विषय ही नहीं रहा .अब ग्लोबल हो गया है .जी हाँ,ग्लोबल से लोकल ,जैसा कि मोदी जी ने बोला था- लोकल से ग्लोबल.देखिय साहेब-कुछ बोलना है बोलने के लिए,तो बोल दिया .हम बोलेंगे .भले ही उल्टा पुल्टा ही सही .पर क्यों .क्योकि मोदी विरोध में बोलना है .मोदी विरोध भी अब एक नया फैशन है .उससे क्या.जितना मोदी का विरोध ,उतना ही मोदी मज़बूत.कभी कभी तो शांत हो जाओ भाई लोग, राष्ट्र हित में .आम जन के हित में ,कोरोना को देश से भागने के लिए ,अपने लिए ,सबके लिए ,अपने वैज्ञानिको के लिए .अपने शोध कर्ताओ के लिए .वैसे भी कुछ कर लो ,नरेन्द्र भाई मोदी अभी इतनी जल्दी गद्दी से नहीं हटने वाले ..

शायद भूल गए आप लोग ,पिछले 2019 के लोक सभा चुनाव में सपा वालो के साथ बसपा वालो ने भी मोदी जी को भर भर झोली वोट दिया था .भरोसा नही है तो चुनाव आयोग के आंकड़े उठाकर देख लो .दूध का दूध ,पानी का पानी हो जायेगा .वैसे तो आप पानी-पानी हो ही चुके है.वो भी  अपने ही वोटरों के सामने .वो भी कहते है- कोई कुछ भी कहे, उनके खाते में पहली बार कोई सरकारी रकम आई ,वो भी मोदी राज में .उसके पहले तो सुनते बहुत  थे .पर वो ऐसे आये कभी नहीं.अब पश्चिम बंगाल को ही देख लो ,पहले तो अपने पास पूरा बंगाल था,अब सिर्फ पश्चिम है.पूरब तो किसी और के पास .बंगाल में भी किसानो के खातों में 2 हजार से लाखो रूपये आये थे लोक सभा चुनाव के काफी पहले 2019 में .वे सब अचंभित थे ,क्या हो गया मोदी सरकार को .जो कहती है .वो कर देती है .तो वोट भी तो उन्हें ही मिलना चाहिए .और देखिये चमत्कार .बंगाल में कभी 2 प्रतिशत पाने वाली पार्टी को 40 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिला.कभी एक सांसद थे ,अब 18 हो गए.शायद अगली बार पूरे के पूरे 42 मिल जाये तो कोई आश्चर्य नहीं.

मोदी राज में तो सिर्फ कमाल ही कमाल हो रहा है .मोदी जी की बात ममता दीदी मान जाती तो बंगाल में भी हो जाते किसान मालामाल.पर ममता दीदी ने कर दिया खेल .किसानो को नहीं मिल रहे उनको पैसो का मेल .देश भर में किसानो के खातो में हज़ारो करोड रूपये प्रधानमंत्री ने भेजे ,पर ममता दीदी के कथित जिद व गुस्से की वजह से करीब 70 लाख किसानो को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का लाभ नहीं मिल रहा ..क्यों नहीं ? क्योकि ममता दीदी की वजह से .ममता दीदी को बड़ा डर,भय है .तनाव है .कि ऐसा होने से नरेन्द्र भाई मोदी का सम्मान बढ़ जायेगा.बंगाल में भाजपा की सरकार आ जाएगी.वो तो आना ही है .ममता दीदी कुछ भी कर ले .अब तो उनके अपने ही पराये हो चले.क्या क्या जतन नहीं किया था  ममता दीदी ने उन सभी के लिए .बंगाल को भ्रष्ट करने के लिए.सबसे  पहले बंगाल की मीडिया को उपकृत किया.कुछ को छोड़कर सभी मीडिया वालो को राज्य सभा का सदस्य बनवा दिया था.तो सब चुप .मीडिया चुप .तो जनता चुप.अफसर निरंकुश.जनता त्रस्त.मीडिया की बोलती बंद की दी थी दीदी ने अपने स्टाइल में.तो आम जनता की बोलती बंद की उनके पुलिस व अफसरों से ,अब आम जनता कराहने लगी है.एक मात्र राष्ट्रीय पार्टी भाजपा में अपनी आस देखने लगी है .भाजपा को अपना विश्वास देने लगी है .तृणमूल कांग्रेस से तृण को मूल से उखाड़ने लगी है .ममता दीदी के महल में कई दीवारे धसने लगी है .दरकने लगी है गिरने लगी है .भरभराने लगी है .ममता दीदी फंसने लगी है .उनके लोग उनसे उलझने लगे है .वो भाजपा के पास जाकर सुलझने व स्वयं को सुलझाने लगे है .ममता दीदी का राजनीतिक दीपक बुझने लगा है .उनके भतीजे का दीपक भी टिमटिमाने लगा है.बंगाल के विकास का नया नारा बनने लगा है .ममता दीदी का तम्बू उखड़ने लगा है.

पर ममता दीदी तो ऐसी नहीं थी.सच में आप तो ऐसी नहीं थी,जब आप भाजपा के संस्थापक व भारत रत्न प्रधानमंत्री अटल जी के साथ उनके मंत्रिमंडल में मंत्री थी .क्या अटल जी की जयजयकार करती थी.नेता हो तो अटल जी जैसा.तब भाजपा उनके लिए प्यारी थी ,न्यारी थी ,दुलारी थी ,अब क्यों अनाड़ी सी हो गयी .बार बार मुस्कुरा कर बात करने वाली ममता दीदी को आजकल गुस्सा बहुत आ रहा है .प्यार् खो सा गया है .स्नेहिल ममता दीदी क्रोधिल हो गयी हैं .पहले मुकुल रॉय ,शुभेंदु अधिकारी के कारण सब पर भारी थी ,अब वो सब कह रहे है कि अब है ममता दीदी को गद्दी से उतरने व उतारने की तैयारी ,हाय दीदी,क्यों गयी आपकी मति मारी.पहले आप थी जनता पर भारी ,अब जनता है आप पर भारी ,यही है महिमा बड़ी न्यारी ,इस दुनिया की.इस राजनीति की.

ममता दीदी,ऐसा क्या कर दिया प्रधानमंत्री  मोदी जी ने-कि आप उनपर कुपित हैं ? उनकी विकास की बातो से आप व्यथित है ,भाजपा आंदोलित है पर आप क्रोधित है ? ममता दीदी ,आप 70 लाख किसानो के हक को क्यों मार रही है ? उनके हजारो करोड़ की मदद को क्यों रोक  रही हैं?  इससे आपको क्या मिलेगा ? मेरे को लगता है ,अब तो  कुछ नहीं मिलेगा.आप जान लीजिये ममता दीदी ,इस बार 2021 के विधान सभा चुनाव में आपको तो सिर्फ हार मिलने वाला है जबकि भाजपा को ,मोदी जी को फूलो से भरा पूरा विशालकाय सुगन्धित पुष्पों का हार ,जिसमे जीत की सुगंध होगी,आम जनता के मान,सम्मान व स्नेह की रजामंदी  होगी. भाजपा आनंदित होगी. देश आनंदित होगा .आम जनता गदगद होगी .पर आपकी सिर्फ भद पिटेगी .भाजपा के नगाड़े बजेंगे ,आपके ढोल फटेंगे.आपको तो सिर्फ दंड मिलेगा ,कोप मिलेगा ,आम जनता का क्रोध मिलेगा और एक लम्बा वनवास मिलेगा.

वैसे भी ये मौसम कोविड का है .जिसमे एकांतवास का खास महत्व है .हम तो नहीं चाहेगे कि आपको कोविड पकड ले ,,परन्तु राजनीतिक हार वाला कोविड तो आपको ग्रसने वाला है .पर आपको क्या कमी है .आप का अपना जुगाड़ है ,आपका सगा भतीजा है .जो आपके सभी अपनों को एक एक करके आपसे दूर करता जा रहा है .आपको इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए .शायद एक दिन वो भी उन सभी के साथ चला गया तो ??!! जरा सोचिये ममता दीदी.आज एक बड़ी बात याद आती है ,देश के एक बहुत बड़े राजनेता की,सभी दलों में आदरणीय ,भाजपा के संस्थापको में से एक,भाजपा के  पूर्व अध्यक्ष,राजनीतिक संत,चिन्तक  आदरणीय कुशा भाऊ जी ठाकरे निजी बातचीत में कहा करते थे ,राकेश,तुम्हे नहीं पता ,ये राजनीति जो है न बड़ा निर्मम होती  है ,निष्ठुर भी,निर्दयी भी .राजनीति किसी की  नहीं होती  है ,ये तो सिर्फ स्वार्थ की साथी होती  है ,अवसर का दास होती  है.इसलिए जब कोई भी राजनीति में आता है तो उसे सबकुछ जान समझकर आना चाहिए.माया –मोह से परे होकर इस मैदान में आना चाहिए.ममता दीदी को पता है कि आदरणीय कुशा भाऊ जी ठाकरे कैसे नेता थे.उनके पास वो भी मिलने जाती थी.चुपचाप  ज्ञान लेने.कांग्रेस के कई नेता भी जाते थे उनसे ज्ञान लेने ,सम्मान देने.क्योकि वे एक राजनीतिक संत थे.आम जन के प्रिय और विचारो के महंत थे.

इसलिए जागो सब लोग जागो ,राष्ट्र के लिए जागो ,राज्य के लिए जागो ,अपने लिए नहीं ,देश उत्थान के लिए जागो .जागो फिर से एक बार .दल भावना से ऊपर उठकर .जन बल के लिए ,नहीं तो ये पब्लिक है ,अब जानती है व अच्छी तरह पहचानती भी है .कोविड भगाओ,देश बचाओ.

*कुमार राकेश

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