समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 01 अगस्त: शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी ने लोकतांत्रिक जनादेश के तहत सत्ता में बनी मोदी सरकार पर भारतीय अर्थव्यवस्था को पूरी तरह क्षतिग्रस्त करने का गंभीर आरोप लगाया है। विपक्षी पार्टी का कहना है कि सरकार वास्तविक दुनिया से दूर, एक काल्पनिक दुनिया में जी रही है।
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बाद इस आरोप को पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने दोहराया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर लिखा:
“पिछले दस वर्षों में मोदी सरकार द्वारा लिए गए पाँच प्रमुख निर्णयों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। इसके लिए किसी और को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।”
नोटबंदी और जीएसटी ने मचाई तबाही
रमेश ने नोटबंदी को विकास के लिए सबसे बड़ा अवरोध बताया। उन्होंने कहा कि इस कदम ने न केवल गति रोकी, बल्कि करोड़ों लोगों की आजीविका पर गहरा असर डाला। साथ ही, उन्होंने जीएसटी प्रणाली को दोषपूर्ण करार देते हुए स्पष्ट किया कि यह व्यवस्था केवल बड़े व्यापारों को लाभ पहुँचाती है—जिसकी लागत वहन छोटे व्यवसाय नहीं कर सकते।
“नोटबंदी ने विकास की रफ्तार रोक दी और करोड़ों भारतीयों की आजीविका छीन ली। दोषपूर्ण जीएसटी ने छोटे व्यवसायों को बुरी तरह प्रभावित किया है।”
चीन से आयात: MSME संकट गहरा गया
जयराम रमेश ने चीन से हो रहे रिकॉर्ड आयात को स्थानीय उद्योगों के लिए घातक बताया। उन्होंने कहा कि छोटे और मध्यम उद्यम, विशेष रूप से गुजरात के स्टेनलेस स्टील उद्योग में लगभग एक तिहाई MSMEs बंद हो गए हैं।
“हमारी नीति के चलते विदेशी सस्ते उत्पाद हमारे बाजार में टिक गए। लाखों MSMEs संघर्ष कर रहे हैं, जबकि सरकार नागरिकों का विश्वास खो चुकी है।”
निवेश और उपभोग में गिरावट
रमेश का मानना है कि निजी निवेश एक दशक पहले जैसे स्तरों पर नहीं रहा। उन्होंने कहा कि राजनीतिक छापामारी, बढ़ती जबरन वसूली और अस्थिरता ने निवेशकों का विश्वास कम कर दिया तथा कई उद्योगपति विदेशी नागरिकता लेना शुरु कर चुके हैं।
उन्होंने यह भी जिक्र किया कि घरेलू बचत घट रही है जबकि घरेलू कर्ज़ लगातार बढ़ता जा रहा है। निजी उपभोग—खासकर आम लोगों की जीवनशैली में— गिरावट की ओर है, लेकिन विलासिता की वस्तुओं की खपत अब भी सुख देती दिखती है। यह आर्थिक असमानता की गहरी ओर संकेत करता है।
कांग्रेस की टिप्पणी: काल्पनिक वास्तविकता में जीना सही नहीं
रामेश ने यह बात साफ बोलकर रख दी कि मोदी सरकार और उनके समर्थक एक कल्पना की दुनिया में जीवन यापन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार वास्तविक तथ्यों को स्वीकार नहीं कर रही है और अर्थव्यवस्था की गिरावट को मानने में ‘कंजूसी’ कर रही है।
“सरकार आर्थिक संकट को समझने नहीं चाहती—वे कल्पना में रहते हैं। जबकि असली दुनिया के लोग गंभीर हालात से जूझ रहे हैं।”
कांग्रेस की ओर से उठाए गए ये गंभीर आरोप सरकार की आर्थिक नीतियों और प्रभावों पर नई बहस का आमंत्रण हैं। चाहे वह नोटबंदी हो, जीएसटी की खामियां, चीन से आयात पर नियंत्रण की कमी, या गिरते निवेश और उपभोग का संकट—ये सभी राष्ट्रीय विमर्श और आर्थिक सुधार की दिशा में एक बड़ी चुनौती पेश करते हैं।
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