हरियाणा और महाराष्ट्र में हार से आहत कांग्रेस, ईवीएम पर उठाए सवाल, बैलेट पेपर से चुनाव की मांग तेज

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,30 नवम्बर।
हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों में मिली हार से कांग्रेस पार्टी में असंतोष का माहौल है। हार के कारणों पर चर्चा के बजाय, कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने एक बार फिर ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पार्टी ने यह मांग उठाई है कि देश में चुनाव बैलेट पेपर के माध्यम से कराए जाएं।

ईवीएम पर कांग्रेस का शक

कांग्रेस नेताओं का मानना है कि ईवीएम के जरिए चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ियां हो सकती हैं। उनका तर्क है कि ईवीएम के परिणाम जनता के वास्तविक जनादेश को प्रतिबिंबित नहीं करते। पार्टी ने पहले भी कई मौकों पर ईवीएम को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है और इसे चुनाव में पारदर्शिता की कमी का कारण बताया है।

बैलेट पेपर की मांग

कांग्रेस का कहना है कि बैलेट पेपर से चुनाव कराने से पारदर्शिता और जनता का विश्वास बहाल होगा। पार्टी नेताओं ने यह भी दावा किया कि बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाने पर गड़बड़ी की संभावना कम हो जाती है और परिणाम अधिक विश्वसनीय होते हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “ईवीएम का इस्तेमाल लोकतंत्र के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। हमें पारंपरिक तरीके से चुनाव कराना चाहिए ताकि जनता को यकीन हो सके कि उनका वोट सुरक्षित है।”

विपक्षी दलों का समर्थन

कांग्रेस की इस मांग को कुछ अन्य विपक्षी दलों का भी समर्थन मिल रहा है। सपा, बसपा और टीएमसी जैसे दल भी पहले ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से चुनाव कराने की वकालत कर चुके हैं। यह मामला अब राजनीतिक चर्चा का केंद्र बन गया है।

चुनाव आयोग का रुख

चुनाव आयोग ने बार-बार कहा है कि ईवीएम पूरी तरह सुरक्षित और पारदर्शी हैं। आयोग का तर्क है कि ईवीएम से चुनाव प्रक्रिया तेज, सटीक और निष्पक्ष होती है। आयोग ने बैलेट पेपर की मांग को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि यह कदम चुनाव प्रक्रिया को धीमा कर सकता है और पुराने समय की समस्याओं को दोबारा जन्म दे सकता है।

हरियाणा और महाराष्ट्र में हार के कारण

विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस की हार का मुख्य कारण संगठन की कमजोरी, गुटबाजी और जनसंपर्क की कमी है। लेकिन पार्टी इन आंतरिक कारणों पर आत्ममंथन करने के बजाय ईवीएम पर दोष मढ़ रही है।

क्या बैलेट पेपर समाधान है?

बैलेट पेपर की वापसी से चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता भले बढ़े, लेकिन यह सवाल बना रहेगा कि क्या यह कांग्रेस की हार का समाधान है? राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि कांग्रेस को अपनी रणनीति, संगठन और जमीनी स्तर पर कार्य में सुधार करना चाहिए, न कि चुनाव प्रक्रिया को दोष देना चाहिए।

निष्कर्ष

हरियाणा और महाराष्ट्र में हार से कांग्रेस को झटका जरूर लगा है, लेकिन इसका समाधान ईवीएम पर सवाल उठाने से नहीं होगा। बैलेट पेपर की मांग उठाना आसान है, पर असली चुनौती है पार्टी को मजबूत बनाना और जनता के विश्वास को फिर से हासिल करना। कांग्रेस के लिए यह समय आत्ममंथन और संगठनात्मक बदलाव का है, ताकि वह भविष्य में बेहतर प्रदर्शन कर सके।

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