समग्र समाचार सेवा
लखनऊ, 18 जून: उत्तर प्रदेश में आगामी 2027 के विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस ने अब कमर कस ली है। पार्टी का फोकस अब जिला संगठन को चुनावी रणनीति का केंद्र बनाने पर है। कांग्रेस नेतृत्व का मानना है कि असली लड़ाई ज़मीनी कार्यकर्ता ही लड़ता है और इसलिए अब टिकट वितरण में जिला इकाइयों की राय को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी। लखनऊ में मंगलवार को पूर्वांचल ज़ोन के अंतर्गत आने वाले बारह ज़िलों के लिए बुलाई गई समीक्षा बैठक में इस दिशा में कई अहम फैसले लिए गए।
बैठक में उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे, प्रदेश अध्यक्ष अजय राय, नेता विधानमंडल दल आराधना मिश्रा ‘मोना’, राष्ट्रीय सचिव सत्यनारायण पटेल, प्रदेश उपाध्यक्ष दिनेश सिंह और प्रदेश महासचिव अनिल यादव समेत सभी ज़िलों के जिला अध्यक्ष, शहर अध्यक्ष और कॉर्डिनेटर शामिल हुए। पूर्वांचल के सिद्धार्थनगर, महाराजगंज, गोरखपुर, बस्ती, कुशीनगर, आज़मगढ़, मऊ, देवरिया, बलिया, संत कबीर नगर, अयोध्या और अंबेडकर नगर के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
बैठक में स्पष्ट किया गया कि जुलाई के अंत तक हर जिले में ब्लॉक और बूथ स्तर तक कांग्रेस कमेटियों का गठन कर लिया जाएगा। पार्टी अब उन कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता देगी जो वर्षों से संगठन से जुड़े रहे हैं और जिन्होंने आंदोलनों में भागीदारी की है। संगठन सृजन अभियान के अंतर्गत सक्रिय और प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं को ही संगठन में जिम्मेदारी दी जाएगी और यह प्रक्रिया तय समय के भीतर पूरी की जाएगी।
राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे ने कहा कि 2027 के चुनाव में कांग्रेस पूरी ताकत से मैदान में उतरेगी और उसकी सबसे बड़ी ताकत जिला स्तरीय संगठन होंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि टिकट वितरण में जिला कमेटियों की सिफारिश को सबसे ऊपर रखा जाएगा क्योंकि ये कार्यकर्ता आम जनता से सीधे जुड़े होते हैं और स्थानीय समस्याओं की गहराई से समझ रखते हैं।
प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने भी दोहराया कि अब पार्टी उन्हीं कार्यकर्ताओं को टिकट देगी जिनकी सिफारिश जिला कमेटी करेगी। उनका कहना था कि टिकट अब केवल ‘काम करने वाले’ और संगठन को मजबूत करने वाले कार्यकर्ताओं को ही मिलेगा।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि कांग्रेस का आगामी चुनावी घोषणा पत्र स्थानीय मुद्दों पर आधारित होगा। पूर्वांचल के प्रतिनिधियों ने युवाओं की बेरोजगारी, महिला सुरक्षा, किसान समस्याएं और क्षेत्रीय विकास जैसे मुद्दों को सामने रखा। इन समस्याओं को घोषणा पत्र में स्थान दिया जाएगा ताकि कांग्रेस की राजनीति एक बार फिर ज़मीन से जुड़ी नजर आए।
1989 के बाद से उत्तर प्रदेश की सत्ता से बाहर रही कांग्रेस, अब एक बार फिर वापसी की रणनीति पर काम कर रही है। संगठन सृजन अभियान के तहत पार्टी ने हर जिले और बूथ पर कमेटियों के पुनर्गठन का कार्य शुरू कर दिया है ताकि एक मजबूत और क्रियाशील संगठन तैयार किया जा सके।
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