त्रिपुरा विधानसभा में कांग्रेस विधायक सुदीप रॉय बर्मन का हंगामा, भूमि घोटाले की सीबीआई जांच की मांग

समग्र समाचार सेवा
अगरतला,29 मार्च।
त्रिपुरा विधानसभा में आज भूमि घोटाले को लेकर कांग्रेस विधायक सुदीप रॉय बर्मन ने बड़ा हंगामा किया। उन्होंने आरोप लगाया कि पूरे राज्य में करीब 10,000 करोड़ रुपये का भूमि घोटाला हुआ है, जिसमें प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर भू-माफिया तक की संलिप्तता है। उन्होंने मुख्यमंत्री प्रोफेसर (डॉ.) माणिक साहा पर सीधा निशाना साधते हुए इस घोटाले की सीबीआई जांच की मांग की।

विधायक सुदीप रॉय बर्मन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि 18 सितंबर 2023 को सिपाहीजला जिले के जिलाधिकारी (डीएम) ने राज्य सरकार को एक पत्र लिखा था, जिसमें 1400 खदानों में हुए भ्रष्टाचार और भूमि घोटाले का खुलासा किया गया था। पत्र में भू-माफियाओं की सांठगांठ का जिक्र करते हुए दो वरिष्ठ अधिकारियों – भूमि रिकॉर्ड एवं बंदोबस्त अधिकारी रत्नजीत देबबर्मा और सहायक वरिष्ठ कंप्यूटर कार्यकर्ता तापस चौधरी – के नाम भी शामिल थे।

सवाल यह उठता है कि जब डीएम ने खुद इस भ्रष्टाचार की ओर इशारा किया था, तो सरकार ने त्वरित कार्रवाई क्यों नहीं की? उल्टा, पत्र भेजे जाने के 22 दिन बाद ही डीएम का ट्रांसफर कर दिया गया। विधायक सुदीप का दावा है कि यह ट्रांसफर इसलिए हुआ, क्योंकि उन्होंने भू-माफियाओं के काले कारनामों को उजागर किया था।

विधानसभा सत्र के दौरान जब कांग्रेस विधायक इस मुद्दे को उठाने लगे, तो उन्हें बोलने नहीं दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, “त्रिपुरा में भाजपा सरकार पूरी तरह भ्रष्टाचार में लिप्त है। जब भी कोई घोटालों के खिलाफ बोलता है, उसे चुप कराने की कोशिश की जाती है। अगर सरकार दोषी नहीं है, तो सीबीआई जांच से भाग क्यों रही है?”

विधायक ने आगे कहा कि यह घोटाला सिर्फ सिपाहीजला जिले तक सीमित नहीं है, बल्कि त्रिपुरा के 8 जिलों में व्यापक रूप से फैला हुआ है। भू-माफिया और प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से खस भूमि को निजी संपत्ति के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, दस्तावेजों में हेरफेर कर सरकारी जमीन को बेचा जा रहा है और अवैध रूप से भूमि के हस्तांतरण को अंजाम दिया जा रहा है।

उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की कि इस घोटाले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषियों को सख्त सजा दी जाए। उन्होंने सवाल उठाया कि जब यह पत्र मुख्यमंत्री तक पहुंच चुका था, तो अब तक कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया गया?

सुदीप रॉय बर्मन ने भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यह सरकार पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त है। उन्होंने कहा, “त्रिपुरा में अब ‘आयोग की सरकार’ चल रही है, जहां हर काम में कमीशन लिया जाता है। सत्ताधारी दल ने अन्याय के खिलाफ खड़े होने वालों का मुंह बंद कर दिया है, लेकिन हम चुप नहीं बैठेंगे।”

कांग्रेस विधायक ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस मामले में मुख्यमंत्री माणिक साहा को स्वयं हस्तक्षेप करना चाहिए और अगर सरकार दोषी नहीं है, तो सीबीआई जांच को हरी झंडी देनी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया, तो विपक्ष इसे बड़ा मुद्दा बनाकर सड़क से सदन तक संघर्ष करेगा।

अब देखने वाली बात होगी कि क्या त्रिपुरा सरकार इस मामले में कोई कार्रवाई करती है या फिर विपक्ष की मांगों को नजरअंदाज कर दिया जाता है। क्या इस भूमि घोटाले की परतें खुलेंगी, या यह मामला भी फाइलों में दबा दिया जाएगा?

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