भर्तृहरि को प्रोटेम स्पीकर बनाने पर कांग्रेस ने किया विरोध, चेयरपर्सन पैनल से हट सकते हैं तीन सांसद

कुमार राकेश
नई दिल्ली, 23 जून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में लोकसभा का पहला सत्र 24 जून से शुरू होने वाला है, लेकिन प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति को लेकर सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्षी इंडी गठबंधन आमने सामने आ खड़े हुए है।
सरकार ने 20 जून को कटक से भाजपा सांसद भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया था। इसे लेकर कांग्रेस ने आपत्ति दर्ज की थी कि कांग्रेस के आठ बार के सांसद कोडिकुन्निल सुरेश की जगह सात बार के सांसद भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करना लोकसभा के नियमों का उल्लंघन है।

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस के इन बयानों को लेकर कहा कि झूठ की सीमा होती है। हमने नियमों के तहत ही भतृर्हरि महताब को प्रोटेम स्पीकर बनाया है। महताब लोकसभा के सबसे वरिष्ठ सांसद हैं। वे लगातार सात बार लोकसभा में चुने गए हैं, जबकि सुरेश कोडिकुन्निल भले ही आठ बार सांसद रहे हों, लेकिन वे लगातार नहीं चुने गए। वे 1998 और 2004 में लोकसभा सदस्य नहीं थे।

इधर विपक्ष धमकी दे रहा है कि संसद में चेयरपर्सन के पैनल को जॉइन नहीं करेगा। दरअसल शनिवार को विपक्ष के सूत्रों ने बताया कि लोकसभा सांसदों को शपथ दिलाने के लिए प्रोटेम स्पीकर भतृर्हरि की मदद के लिए चेयरपर्सन पैनल में पांच सांसद नियुक्त किए गए हैं।

इनमें से तीन विपक्षी सांसद- सुरेश कोडिकुन्निल (कांग्रेस), थलिक्कोट्टई राजुथेवर बालू (DMK), सुदीप बंदोपाध्याय (TMC) इस पैनल में शामिल होने से मना कर सकते हैं। बाकी दो सांसद राधा मोहन सिंह और फग्गन सिंह कुलस्ते भाजपा से हैं।

कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया है कि दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले सुरेश को भाजपा सरकार ने नजरअंदाज किया। विपक्षी सूत्रों का सुझाव है कि सुरेश, बालू और बंद्योपाध्याय अपनी निर्धारित भूमिका को स्वीकार करने से इनकार कर सकते हैं। जवाब में, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने महताब की नियुक्ति का बचाव करते हुए कहा कि चयन निर्बाध सेवा अवधि के आधार पर किया गया था।

जैसे-जैसे सत्र करीब आ रहा है, सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि यह विवाद कैसे सामने आता है और क्या यह आने वाले दिनों में विधायी कार्यवाही को प्रभावित करेगा।

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