कांग्रेस, प्रियंका वाड्रा और उनका दिवा स्वप्न..

 

 

 

*कुमार राकेश

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा का वो रहस्यात्मक बयान! वो भी देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद को लेकर! आज की स्थिति में ये बयान किसी के लिए भी हंसी का सहज कारण हो सकता है.जी हाँ,मेरे लिए भी ,आपके लिए भी और सबके लिए.शायद इसीलिये एक हिंदी की एक कहावत मशहूर हैं -घर में नहीं दाने,अम्मा चली भुनाने.वैसे सोचने में क्या जाता है.मैं भी सोचता हूँ काश ! मै भी भारत का या अमेरिका का राष्ट्रपति बन जाऊ! सोचने से कौन रोकता है.पर हमारे भगवद्गीता में कहा गया है -कर्म प्रधान है .कर्म से बड़ा कुछ भी नहीं .कोई नहीं .हम नहीं .तुम नहीं .कोई भी नहीं .उसके बाद ही “कर्मण्ये वाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन” की महिमा बखान की गयी है .

यदि कांग्रेस के कर्मो का हिसाब किया जाये ,लेखा-जोखा किया जाये तो हम पाते है कर्म के परिपेक्ष्य में कांग्रेस हर तरह से सभी दलों की तुलना में फिसड्डी साबित होती जा रही है.कभी पूरे देश पर राज करने वाली कांग्रेस के पास आज की तारीख में सिर्फ राजस्थान,छतीसगढ़,पंजाब है .सांझा दोस्ती में केरल और झारखंड हैं .पंजाब हाथ से जाने की तैयारी में हैं .जिस राज्य में सरकारे हैं ,वहां पर ऐसे ऐसे गुट है कि उसका ईश्वर भी मालिक बनने को तैयार नहीं .अभी 5 राज्यों के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस हार के मोड में ज्यादा दिख रही हैं.

मणिपुर ,गोवा ,उत्तराखंड,पंजाब और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस नीचे से पहले नम्बर की पार्टी है ,लेकिन अपनी माता जी से प्रताड़ित रही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा के उस ज़ज्बे को सलाम ,नमन ,जिसके तहत वो दावा कर रही है कि वही उत्तर प्रदेश में पार्टी की मुख्यमंत्री का चेहरा होगी .परन्तु जब उनकी माता जी को ये पता चलता है तो वो डर के मारे युटर्न ले लेती है.प्रियंका अचानक “सीधी रेखा” से वृत्त बनते हुए “वक्र रेखा” बन जाती है और कांग्रेस का अंक गणित-रेखागणित में परिणत  होते हुए दर्शन शास्त्र में तब्दील हो जाता है.ऐसा क्यों ? यदि कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता की माने तो प्रियंका वाड्रा को सीएम् का चेहरा बनाये जाने को लेकर पिछले साल ही पार्टी की एक बैठक में फैसला हुआ था .तो प्रियंका ने शायद उसी आत्म विश्वास में मीडिया के सामने सीएम पद को लेकर टिप्पणी कर दी – कोई और दिखता आपको मेरे अलावा सीएम् पद के लिए माकूल चेहरा .लेकिन मेरे को लगता है ये एक सुनियोजित खेल था ,कांग्रेस का ,कांग्रेस के लिए ,कांग्रेस को तथाकथित तौर पर महिमा मंडन करने के लिए ,जिसमे उस मीडियाकर्मी का भी एक अभिनय शामिल  था.परन्तु लगता है प्रियंका का वो खेल का पर्दाफाश हो गया है .वैसे भी उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस की स्थिति नीचे से पहले नम्बर वाली ही दिख रही है .प्रियंका वाड्रा या कोई भी कुछ भी दावा कर ले .उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की क्या दशा और दुर्दशा हैं ,सभी इस सत्य से वाकिफ है,लेकिन आम जनता के सामने अभिनय तो मजबूरी है.

प्रियंका वाड्रा और उनकी कांग्रेस की स्थिति वास्तव में बड़ी उहापोह वाली है,पशोपेस वाली हैं  .जटिल है .हास्यास्पद भी है .व्यंग्यात्मक भी है ,साथ में आलोचनात्मक भी .परन्तु सृजनातमक कम .वाचालपन ज्यादा .क्या करे ये तथाकथित 138 साल की अति प्राचीन पार्टी.जिसे एक विदेशी से शुरू किया था .कालांतर में आज .एक विदेशी के हाथ में किसी प्रकार चल पा रही है.दम तोडती नज़र आ रही है.मज़बूत कम मजबूर जयादा नज़र आ रही है ये पार्टी.जो काम करने वाले हैं,मज़बूत है ,दम ख़म वाले हैं .वो समूह-23 बनकर इस पार्टी को रसातल में जाता देख रहे हैं.क्योकि आज की स्थिति में उस समूह को अछूत बताकर किनारे कर दिया गया है.शायद अहम् और निहित स्वार्थो के तहत कई खंडो में बंटी ये ऐतिहासिक पार्टी कही जाने वाली इंदिरा कांग्रेस कहीं  सोनिया कांग्रेस बनकर न रह जाये और वीर गति को प्राप्त हो .

एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता की चिंता है -उन्हें किसी भविष्यवक्ता ने कहा था-भारत की भूमि पर एक विदेशी द्वारा शुरू की गयी इस पार्टी का अंत भी एक विदेशी द्वारा ही होगा.पिछले 7 वर्षो से उन्हें ऐसा कुछ महसूस हो रहा है.सबको पता है कांग्रेस में विदेशी मूल का कौन है?क्यों हैं?किसलिए है?

कभी इसी विदेश मूल की भावनाओ से आहत होकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के निर्माता शरद राव पवार ने पुरानी वाली इंदिरा कांग्रेस छोड़ी थी,पर सिर्फ सत्ता व निहित स्वार्थो की वजह से कई राज्यों में गठबंधन के साथ हैं.तस्वीर साफ़ है .कौन कैसा राष्ट्रवादी ?क्यों राष्ट्रवादी ?राष्ट्र के लिए या निहित स्वार्थ के लिए ?

ये भी एक बड़ा सवाल है सच्चा  राष्ट्रवादी कौन ? सबको एक स्वर में जवाब मिलता है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी से बड़ा राष्ट्रवादी कोई नहीं .उल्लेखनीय है इस भाजपा में 100 से ज्यादा सांसद कांग्रेस पृष्ठभूमि के हैं और आने वाले दिनों में भाजपा में उनकी संख्या बढ़ सकती है.

सबको पता है फिलहाल भारत की जरुरत भारतीय जनता पार्टी ही है ,जिसे अब कांग्रेस फार्मूला से आगे बढ़कर सरकार चलाना भलीभांति आ गया है.लगता है भाजपा प्रधानमंत्री प्रधान मंत्री नरेन्द्र भाई मोदी के नेतृत्व में भारत में सत्ता और सरकार सञ्चालन की विशेषज्ञ हो गयी है.कांग्रेस को अपना भविष्य बचाने के लिए उनके कई नुस्खो को अंगीकार करना होगा.उन्हें सिर्फ विरोध के लिए विरोध की राजनीति को बंद करना होगा.तभी उनकी स्थिति कमोबेश बची रह सकती है.

ये भारत की जनता है.सब जानती हैं.सबको पहचानती है .समय समय पर किसको रास्ता दिखाना है और किसको नया रास्ता देना है.सब समझती है..

Comments are closed.