रूस के सेंट पीटर्सबर्ग से मुंबई पोर्ट तक नए रूट का निर्माण, 25 दिन में रूस से सीधे मुंबई पहुंचेगा कच्चा तेल
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 21जून। स्वेज नहर को दरकिनार करते हुए रूस के सेंट पीटर्सबर्ग से मुंबई पोर्ट तक एक नया रूट बनाया गया है. इस रूट पर ईरान की मदद से अब रूसी कच्चा तेल आसानी से भारत पहुंच सकेगा. पहले जिस माल को पहुंचने में 40 दिन लगते थे, अब सिर्फ 25 दिन लगेंगे. इससे समय और खर्च दोनों कम लगेगा.
■ रूस से रिकॉर्ड तेल खरीद रहा है भारत, सऊदी अरब को पीछे छोड़ बना दूसरा सबसे बड़ा सप्लायर
■ भारत में रूस से छह गुना बढ़ा कोयले का आयात, वैश्विक प्रतिबंधों के बावजूद रिकॉर्ड खरीद
■ भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और बैंक ऑफ रशिया अगले हफ्ते एक अहम बैठक कर सकते हैं। अगर सहमति बन जाती है तो दोनों देशों के बीच पेमेंट करना आसान होगा।
एक तरफ जहां पूरी दुनिया का ध्यान यूक्रेन युद्ध और ताइवान पर केंद्रित है, वहीं दूसरी ओर एक रणनीति के तहत रूस के बाल्टिक सागर तट पर स्थित सेंट पीटर्सबर्ग को अरब सागर तट पर स्थित मुंबई के जवाहर लाल नेहरू पोर्ट से ट्रांजित कॉरिडोर के रूप में विकसित किया गया है.
■ यह व्यापार मार्ग भारत और रूस के बीच विशेष रूप से कच्चे तेल, एलएनजी और अन्य तेल आधारित उत्पादों जैसे जीवाश्म ईंधन में आश्चर्यजनक रूप से बढ़ते व्यापार को बड़ा प्रोत्साहन देने की क्षमता रखता है.
■ भारत, अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयात करने वाला और खपत करने वाला देश है.
■ भारत ने रूसी तेल के आयात में 10 गुना वृद्धि कर दी है. यह हमारी जरूरत का 20% पूरा कर रहा है. अभी कुछ दिनों पहले तक यह मात्र दो फीसदी तक सीमित था.
■ सऊदी अरब को तीसरे स्थान पर धकेलने के बाद रूस भारत को तेल सप्लाई करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है. इराक अभी भी भारत के लिए तेल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बना हुआ है. भारत की बढ़ती ऊर्जा खपत इस खपत को और अधिक बढ़ा सकती है.
■ इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) 7,200 किमी लंबा मार्ग है. यह समुद्र, रेल और सड़क लिंक से जुड़ेगा. भारत को यूरोप से जोड़ने वाला यह सबसे छोटा और सबसे सस्ता मार्ग होगा. साथ ही अब न तो अफगानिस्तान और न ही प. एशिया या सेंट्रल एशिया की जरूरत पड़ेगी.
■ इस ट्रेड रूट का परीक्षण इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान शिपिंग लाइन्स ग्रुप (IRISL) द्वारा पहले ही सफलतापूर्वक किया जा चुका है. इसके लिए एक सेंट पीटर्सबर्ग में टेस्ट रन किया गया. टेस्ट रन में 41 टन का रूसी कार्गो शामिल था. 40 फुट कार्गो में लकड़ी के टुकड़े थे जो मुंबई के जवाहर लाल नेहरू पोर्ट तक लाए गए.
■ सेंट पीटर्सबर्ग में रूस की सबसे बड़ी सरकारी स्वामित्व वाली ऊर्जा कंपनी गज़प्रोम है. यह नॉर्डिक स्ट्रीम 1 और 2 सहित प्रमुख रूसी गैस पाइपलाइनों की उत्पत्ति का सेंटर पॉइंट है. बड़े कार्गो बंदरगाह वाला सेंट पीटर्सबर्ग में एक प्रमुख व्यापार और औद्योगिक केंद्र है. वहीं, दूसरी ओर जेएलएन पोर्ट भारत का सबसे बड़ा कंटेनर पोर्ट है.
■ इस तरह के एक ट्रांजिट ट्रेड कॉरिडोर से भारत को रूस के खिलाफ अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से बचने में मदद मिलेगी. क्योंकि कच्चा तेल और एलएनजी को सीधे रूसी बंदरगाह से भारतीय बंदरगाह पर भेजा जाता है. भुगतान गैर-डॉलर मुद्रा में किया जाता है. यह तकनीकी रूप से प्रतिबंधों को कम कर देगा.
माल सेंट पीटर्सबर्ग से मुंबई आने में सिर्फ 25 दिन लगेंगे.पहले घुमावदार रास्ते से आने में 40 दिन लगते थे. ये माल सेंट पीटर्सबर्ग से शुरू होकर नीदरलैंड में रॉटरडैम बंदरगाह तक जाता था, और फिर स्वेज नहर के जरिए भारत पहुंचता था. नया मार्ग सेंट पीटर्सबर्ग से शुरू होकर पश्चिमी रूस होते हुए आस्ट्राखान के कैस्पियन बंदरगाह तक जाएगा. कैस्पियन सागर को पार करते हुए माल ईरान के अंजली पोर्ट तक पहुंचेगा. अंजली बंदरगाह से माल हाईवे के जरिए होर्मुज की खाड़ी के किनारे स्थित बंदर अब्बास लेकर जाया जाएगा. और फिर यहां से समुद्री रास्ते से जेएलएन पोर्ट तक माल पहुंचेगा.
Comments are closed.