मस्त मौला, जिंदा दिल और बेबाक, निराला अंदाज का..अलविदा संदीप

इंद्र वशिष्ठ।

आइये इंद्र जी, आ भई इंद्र, बोलिये इंद्र जी, बोलो इंद्र।
इस अंदाज में बात करने वाला संदीप ठाकुर चला गया। करीब तीस साल पुराने दोस्त संदीप का हृदय गति रुक जाने मुंबई में कल 30 अक्टूबर 2023 को असमय निधन हो गया। सुबह उसे सांस लेने में दिक्कत हुई। अस्पताल ले जाते समय रास्ते में एंबुलेंस में ही उसकी सांसें थम गई।
आज सुबह मित्र गुलशन खत्री ( मेट्रो एडिटर, नवभारत टाइम्स) ने यह सूचना दी, लेकिन अभी भी, यकीन ही नहीं हो रहा कि संदीप हमारे बीच नहीं है।
संदीप से पिछले हफ्ते 26 अक्टूबर को ही तो, नेशनल मीडिया सेंटर में मुलाकात हुई थी। काफ़ी समय साथ बिताया। ये मालूम नहीं था कि यह हमारी आखिरी मुलाकात साबित होगी।
तभी उसने बताया कि वह अगले दिन यानी 27 अक्टूबर को मुंबई जा रहा है।
संदीप की इकलौती बेटी मुंबई में रहती है।
बरसों का साथी-
क्राइम रिपोर्टिंग करने के दौरान मेरी संदीप से मुलाकात हुई। वर्ष 1994 में नवभारत टाइम्स के रिपोर्टर मित्र किशोर मालवीय की शादी में संदीप समेत नौ पत्रकार मित्र और दिल्ली पुलिस के तत्कालीन प्रवक्ता रवि पवार पटना गए थे। तब से लेकर पिछले हफ्ते वीरवार तक संदीप से मिलने जुलने का सिलसिला जारी था।
मेरे द्वारा सांध्य टाइम्स और संदीप द्वारा हिंदुस्तान अखबार छोड़ देने के बाद हम दोनों पीआईबी में ज़्यादा समय बिताते थे। दोनों वही से अपना कार्य करते थे।
आजकल तो मैं नेशनल मीडिया सेंटर कम ही जाता हूं। लेकिन मेरे नेशनल मीडिया सेंटर जाने की एक वजह संदीप से मिलना होता था।
निराला अंदाज-
संदीप मीडिया सेंटर नियमित रूप से जाता था। संदीप का अंदाज/ स्टाइल निराला था। उसके कपड़े, चश्मा, जूते, हैट और घड़ी सब कुछ अलग हट कर होता था। यह सब कुछ उस पर जंचता भी था और यही उसकी पहचान भी थी। बारहों महीने कमीज के बटन छाती तक खुले रखने वाला संदीप सेहत के प्रति बहुत जागरूक था। सेहतमंद रहने के लिए वह सैर के साथ जिम में पसीना भी बहाता था। खुशमिजाज और जिंदा दिल संदीप को मैंने कभी परेशान या दुखी नही देखा। ऐसे व्यक्ति का अचानक इस तरह चले जाना बहुत दुखदायी है।
संदीप को घूमने फिरने का बहुत शौक था।

मूलतः बिहार में भागलपुर निवासी संदीप ने राष्ट्रीय सहारा अखबार से अपनी पत्रकारिता की शुरुआत दिल्ली विश्वविद्यालय की रिपोर्टिंग से की।
संदीप ठाकुर दैनिक हिंदुस्तान में वरिष्ठ संवाददाता के पद पर रहे। इसके बाद महानगर, हमवतन, सन स्टार आदि अखबारों में भी वरिष्ठ पदों पर रहे। अभी वह मासिक पत्रिका रविवार दिल्ली में सलाहकार संपादक के पद पर थे।

हीरो-
हीरो की तरह दिखने/रहने वाले संदीप का झुकाव फिल्म क्षेत्र में भी था। आखिरी मुलाकात में संदीप ने बताया कि सामाजिक सरोकार से जुड़ी उनकी फिल्म ढाई आखर गोवा में होने वाले फिल्म फेस्टिवल में दिखाई जाएगी। इस फिल्म में संदीप ने सहायक निर्देशक के रूप में काम किया। संदीप ने पुणे स्थित फिल्म एंड टेलीविजन संस्थान से बकायदा कोर्स भी किया था।

संदीप की पत्नी शिखा टीचर और बेटी सौंदर्या मीडिया एंफ्लुएंसर है।
भगवान् संदीप की आत्मा को शांति प्रदान करें और परिवार को दुख सहने की शक्ति दे।

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