कोरोना थर्ड वेव- बाल आयोग ने हर राज्य से ICU समेत बच्चों के इलाज वाले 22 उपकरणों का डेटा मांगा, बच्चे होंगे प्रभावित
समग्र समाचार सेवा
दिल्ली, 23 मई। भले ही कोरोना की दूसरी लहर के उफान के बाद अब इसमें कमी देखी जा रही है, लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि कुछ दिनों के बाद देश तीसरी वेव से संक्रमित हो सकता है। तीसरी वेव की जद में देश की 35 फीसद तक जनता आ सकती है। इसके साथ यह भी माना जा रहा है कि तीसरी लहर का सबसे ज्यादा शिकार बच्चे और किशोर हो सकते हैं।
ऐसी आशंकाओं के बीच राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने अब राज्यों से एक हफ्ते के भीतर बच्चों के लिए हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के आंकड़े आयोग में जमा करने का आदेश दिया है।
एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा, ‘हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर की क्या हालत है यह सेकेंड वेव में सामने आ गया है। हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर की किल्लत से भी बड़ी दिक्कत यह है कि मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर भी पूरी तरह से चालू हालत में नहीं है। इसकी मुख्य वजह मेडिकल सिस्टम में टेक्नीशियन की भारी किल्लत का होना और लापरवाह रवैया है। सेकेंड वेव के दौरान कई ऐसे मामले खुलकर सामने आए जब वेंटिलेटर राज्यों में धूल फांकते रहे, कुछ वेंटिलेटर मरम्मत के अभाव में बेकार पड़े रहे।’
प्रियांक कहते हैं, ‘इसीलिए हमने सावधानी के साथ राज्यों से हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के आंकड़े मांगे हैं, जिससे जरूरत के वक्त बहानेबाजी की गुंजाइश न रहे। राज्य एलर्ट हो जाएं और अभी से हम केंद्र सरकार को यह बता सकें कि किस राज्य में क्या स्थिति है, किसको कितनी मदद की जरूरत है?’
आयोग ने एक विस्तृत फार्म राज्यों को भेजा है, लेकिन इस फार्म में आंकड़े भरते वक्त राज्यों के पसीने छूट जाएंगे। इसमें बच्चों के इलाज के लिए कुल अस्पताल, नर्सिंग होम, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, डॉक्टर, नर्सों के आंकड़ों को जुटाने में तो शायद राज्यों को ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी, लेकिन इसके आगे के आंकड़ों को जुटाने में राज्यों को मुश्किल हो सकती है। दरअसल, पब्लिक डोमेन में मौजूद रिपोर्ट में चाइल्ड हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के आंकड़े गायब नजर आते हैं। लिहाजा ऐसे में राज्यों को इतने बारीक आंकड़े आयोग को देना आसान नहीं होगा।
आयोग ने इन आंकड़ों की राज्यों से मांग-
1-नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट-एनआईसीयू (0 से 28 दिन के बच्चों के लिए इंटेंसिव केयर यूनिट)
2-सिक न्यू बार्न केयर यूनिट-एसएनसीयू (28 दिनों के भीतर किसी भी तरह की बीमारी होने पर),
3-पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट-पीआईसीयू (0-18 साल के बच्चों के लिए) की संख्या मौजूदा समय में कितनी हैं, कितनी चालू हालत में और कितनी सेंक्शन हुईं।
4-गंभीर अवस्था में अगर कोई बच्चा अस्पताल आए तो कितने बेड चालू हालत में।
5- मौजूदा समय में बच्चों के लिए कितनी एंबुलेंस चालू हालत में हैं।
6-बच्चों के डॉक्टर रेजिडेंशियल हैं और कितने डॉक्टर कॉल पर बुलाए जा सकते हैं।
7-मौजूदा समय में कितना पैरा मेडिकल स्टाफ है।
8-ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, नेबुलाइजर, ऑक्सीमीटर, ट्रांसपोर्ट वेंटिलेटर, रेडियेंट वार्मर, बेसिनेट, प्लोटोथिरैपी, लैरिंगोस्कोपी, सक्शन पंप, ऑक्सीजन सिलेंडर समेत 22 मेडिकल इक्विपमेंट के बारे में भी पूछा गया है कि कितने अभी चालू हालत में, कितने खराब और कितनों की मरम्मत की जरूरत है। पिछले तीन साल में एनआईसीयू, एसआईसीयू और पीआईसीयू में हुईं बच्चों की मौतों के आंकड़े भी मांगे गए हैं।
थर्ड वेव के निशाने पर बड़ी आबादी होगी प्रभावित –
2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर लगाए गए अनुमान के मुताबिक 0-4 साल तक के बच्चों की जनसंख्या तकरीबन 11 करोड़ से ज्यादा यानी कुल आबादी का तकरीबन 11 फीसदी है।12 करोड़ से ज्यादा आबादी 5-9 साल तक के बच्चों की है। यानी कुल आबादी का तकरीबन 12.5 फीसद है। 10 से 14 साल तक के बच्चों की आबादी भी 12 करोड़ से ज्यादा है यानी तकरीबन 12 फीसद। 15-19 साल तक के किशोरों की आबादी 10 करोड़ से ज्यादा यानी कुल आबादी के मुकाबले तकरीबन 10 फीसदी के आसपास है।
2019 में जारी हुए सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के मुताबिक 46.9 फीसदी लोग भारत में 25 साल से कम उम्र हैं। लिहाजा इस रिपोर्ट के आंकड़ों को आधार बनाएं तो थर्ड वेव की जद में आने वाली आबादी तकरीबन 35-38 फीसदी होगी।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष और भारतीय बाल विकास अकादमी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अशोक राय कहते हैं कि ‘बच्चों का हेल्थ सिस्टम बिल्कुल अलग होता है। उनके लिए वेंटिलेटर, इंटेंसिव केयर यूनिट और सभी तरह के अन्य मेडिकल उपकरण अलग होते हैं।’ केवल बच्चों के डॉक्टर ही इलाज के लिए जरूरी नहीं, बल्कि बच्चों के वार्ड में काम करने वाली नर्सेज भी अलग तरह से प्रशिक्षित होनी चाहिए। तो क्या हमारे यहां बच्चों के लिए प्रशिक्षित नर्सेजे हैं? वे कहते हैं, ‘अभी हमारे पास बाल रोग चिकित्सकों की भारी कमी है। इसका कोई आंकड़ा तो नहीं मगर प्रशिक्षित नर्सें बेहद कम संख्या में होंगी।’ वे कहते हैं, ‘पब्लिक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के आंकड़ों के बीच में ही बच्चों के लिए आंकड़े मौजूद होंगे। पर कोई स्पेसिफिक रिपोर्ट के बारे में फिलहाल मुझे कोई जानकारी नहीं।’
बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर संजीव सिंह कहते हैं, ‘अभी सेकेंड वेव में ही बच्चों में इन्फेक्शन शुरू हो गया है। थर्ड वेव में बच्चे ही कोरोना का सबसे पहला शिकार होंगे। क्या कोई रिपोर्ट पब्लिक डोमेन में है जिसमें मौजूदा चाइल्ड हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के बारे में आंकड़े खोजे जा सकें? वे कहते हैं, ‘कुछ तो आंकड़े मौजूद होंगे, पर इस पर अलग से कोई रिपोर्ट मेरे संज्ञान में नहीं है जिससे स्पष्ट रूप से बच्चों के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के बारे में जानकारी मिले। राज्यवार कुछ आंकड़े मौजूद हैं। बच्चों के डॉक्टर कितने हैं, ये आंकडे़ पब्लिक डोमेन में हैं।’
कर्नाटक कोविड टेक्निकल सलाहकार समिति के सदस्य एवं वायरोलॉजिस्ट डॉ. रवि का कहना है कि कोरोना की थर्ड वेव बच्चों को बड़े स्तर पर प्रभावित करेगी। इससे निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर एक रणनीति तैयार करनी चाहिए। उनका कहना है कि कोरोना की थर्ड वेव अक्टूबर और दिसंबर के बीच आ सकती है। लेकिन तैयारी अभी से शुरू कर देनी चाहिए।
डॉ. रवि कोरोना संक्रमति बच्चों का इलाज करने के लिए स्वास्थ्य ढांचे अभी से दुरुस्त करने की जरूरत पर जोर देते हैं। वे साफ तौर पर कहते हैं, ‘ राज्य ही नहीं देश में भी हमारे पास कोविड संक्रमित बच्चों का इलाज करने के लिए पर्याप्त संख्या में कोरोना केयर वार्ड और आईसीयू नहीं है, इन्हें जल्द बढ़ाया जाना चाहिए।’
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