समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 24 अगस्त: केंद्र सरकार द्वारा संसद में पेश किया गया संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। दिल्ली सरकार के मंत्री कपिल मिश्रा ने रविवार को इस विधेयक का स्वागत करते हुए इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ ऐतिहासिक पहल बताया।
मिश्रा ने कहा—
“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह ठान लिया है कि चाहे कोई भी भ्रष्ट व्यक्ति क्यों न हो, उसे बख्शा नहीं जाएगा। यह इतना ऐतिहासिक विधेयक है कि यदि स्वयं प्रधानमंत्री भी 30 दिन के लिए गिरफ्तार होते हैं, तो उन्हें पद से इस्तीफा देना होगा। दिल्ली ने यह पीड़ा झेली है, जब अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्री जेल से ही सरकार चला रहे थे। यह निर्णय भ्रष्टाचार की जड़ों पर सीधा प्रहार है।”
विधेयक का प्रावधान
गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में यह विधेयक पेश किया। इसके तहत यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई भी मंत्री किसी गंभीर आपराधिक मामले में गिरफ्तार होकर 30 दिन से अधिक हिरासत में रहता है, तो उसे पद छोड़ना अनिवार्य होगा।
इसके साथ ही, पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर में भी इसी तरह के प्रावधान वाले दो विधेयक पेश किए गए हैं। फिलहाल तीनों विधेयकों को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा गया है।
विपक्ष का विरोध और सदन में हंगामा
हालांकि विपक्षी दलों ने इस कदम का विरोध किया है। संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने शनिवार को विपक्ष के रवैये पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा—
“इस विधेयक पर चर्चा के लिए पहले ही सहमति बनी थी कि सदन में व्यवस्था बनी रहेगी। लेकिन जैसे ही कार्यवाही शुरू हुई, टीएमसी सांसद वेल में आकर कागज फेंकने लगे, कांग्रेस के वेणुगोपाल ने भी कागज फाड़े। यह समझौता कहां गया?”
रिजिजू ने आरोप लगाया कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के सांसद अपने शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर हंगामा कर रहे हैं।
“टीएमसी की ममता बनर्जी कोलकाता से आदेश देती हैं और यहां सांसदों को मजबूरन हंगामा करना पड़ता है। विपक्ष ने इस ऐतिहासिक और क्रांतिकारी बिल का स्वागत करने के बजाय राजनीति को तरजीह दी।”
पीएम मोदी ने खुद को छूट देने से किया इंकार
रिजिजू ने खुलासा किया कि जब कैबिनेट में यह प्रस्ताव आया तो सिफारिश की गई थी कि प्रधानमंत्री को इस प्रावधान से बाहर रखा जाए। लेकिन नरेंद्र मोदी ने इसे ठुकरा दिया।
“प्रधानमंत्री ने कहा कि वह भी देश के नागरिक हैं और उन्हें कोई विशेष छूट नहीं मिलनी चाहिए। अगर कोई मुख्यमंत्री या मंत्री गलत करेगा तो उसे पद छोड़ना होगा। यही नैतिकता है। अगर विपक्ष नैतिकता को प्राथमिकता देता तो वे भी इस बिल का स्वागत करते।”
जनता में सकारात्मक प्रतिक्रिया
भाजपा नेताओं का दावा है कि जनता इस विधेयक का स्वागत कर रही है। उनका मानना है कि यह बिल न केवल भ्रष्टाचारियों के खिलाफ निवारक कदम साबित होगा, बल्कि लोकतंत्र को और मजबूत बनाएगा।
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